सरकार ने कृषि कानूनों को लेकर विरोध कर रहे किसानों से सम्मानपूर्वक व्यवहार किया है- मानवाधिकार परिषद में भारत
मानवाधिकार परिषद के 46वें सत्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि, राजदूत इंद्र मणि पांडे ने कहा कि भारत ने साल 2024 तक किसानों की आय को दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है।
नई दिल्ली। मानवाधिकार परिषद के 46वें सत्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि, राजदूत इंद्र मणि पांडे ने कहा कि भारत ने साल 2024 तक किसानों की आय को दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है और तीनों कृषि कानूनों को लागू करने का उद्देश्य किसानों की आय को बढ़ाना है। शुक्रवार को उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों को लेकर विरोध कर रहे किसानों के प्रति सरकार ने अत्यंत सम्मान दिखाया है और कृषि कानूनों से संबंधित उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए उनके साथ लगातार बातचीत कर रही है।
इंद्र मणि पांडे ने आगे कहा कि भारत ने साल 2024 तक किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है और अपने इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए ये तीन कृषि कानून लाए गए हैं। ये कानून विशेष रूप से छोटे किसानों को लाभान्वित करेंगे और उन्हें अधिक विकल्प प्रदान करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ने विरोध कर रहे किसानों के प्रति बेहद सम्मानजनक रवैया दिखाया है और कृषि कानूनों को लेकर उनसे लगातार संवाद जारी रखा है।
उन्होंने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के विषय में कहा कि अगस्त 2019 में संसद द्वारा जम्मू और कश्मीर की स्थिति में संवैधानिक परिवर्तन एक ऐतिहासिक निर्णय था, जिसका जम्मू और कश्मीर के लोगों सहित भारत के लोगों ने स्वागत किया है। उन्होंने आगे कहा कि, 'इसने वहां सामाजिक और आर्थिक विकास को बल दिया है। उन्होंने कहा कि इससे वहां दशकों से हो रहे भेदभाव और सीमापार आतंकवाद में कमी आएगी, जिनकी वजह से वहां के लोग सबसे ज्यादा परेशान रहे हैं। उन्होंने आगे कहा, 'हमने जिला विकास परिषद (डीडीसी) के चुनावों के माध्यम से जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को बहाल किया है, और 'गांव की ओर लौटो' पहल के माध्यम से सुशासन प्रदान किया है।'
आतंकवादी
घटनाओं
में
आई
है
कमी
उन्होंने
आगे
कहा
कि
जम्मू-कश्मीर
में
आतंकवादी
घटनाओं
में
उल्लेखनीय
गिरावट
आई
है
और
प्रगतीशील
कानूनों
को
जम्मू
और
कश्मीर
तक
लागू
किया
गया
है
ताकि
वहां
के
लोग
भी
भारत
के
बाकी
लोगों
की
तरह
समान
अधिकारों
का
आनंद
ले
सकें।
गौरतलब है कि भारत की यह प्रतिक्रिया संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार के उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट के उस बयान के विरोध में आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत ने किसानों के विरोध पर रिपोर्टिंग या टिप्पणी करने और सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के प्रयासों के लिए पत्रकारों और कार्यकर्ताओं पर राजद्रोह के आरोप लगाए, जो मानवाधिकारों का उल्लंघन है।
उन्होंने कहा कि हम हाई कमिश्नर द्वारा की गईं टिप्पणियों को लेकर चिंतित थे। उन्होंने सरकार द्वारा इस मुद्दे को सुलझाने के लिए किए गए प्रयासों पर गौर नहीं किया। उन्होंने गणतंत्र दिवस के दिन हुई हिंसा को लेकर कुछ नहीं बोला। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के प्रति उसकी उदासीनता निश्चित रूप से नई नहीं है। उन्होंने कहा कि हमें उच्चायुक्त के बयान में निष्पक्षता की कमी लगी और हमें इसे देखकर खेद हुआ।