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सरकार को अपनी गलती मानते हुए लॉकडाउन को तुरंत खत्म करना चाहिए: मार्कंडेय काटजू

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नई दिल्ली। कोरोना वायरस के संक्रमण से निपटने के लिए लॉकडाउन को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक बड़ा हथियार बताया है। दुनिया के तमाम देशों ने कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन कर रखा है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस मार्कंडेय काटजू लॉकडाउन के पक्ष में नहीं हैं। मार्कंडेय काटजू का कहना है कि लॉकडाउन एक गलती है, इसे सरकार को समाप्त करना चाहिए। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के बिना हजारों भारतीयों की मौत हो सकती है, लेकिन लॉकडाउन के कारण भुखमरी से लाखों लोगों की निश्चित तौर पर मौत होगी।

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Lockdown पर बोले Markandey Katju, Government अपनी गलती मानते हुए तुरंत करे खत्म | वनइंडिया हिंदी
40-45 करोड़ लोगों पर आजीविका का संकट मंडरा रहा

40-45 करोड़ लोगों पर आजीविका का संकट मंडरा रहा

काटजू ने कहा कि लॉकडाउन की वजह से 40-45 करोड़ लोग बुरी तरह से प्रभावित हैं, जो असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं। जो लोग दिहाड़ी के मजदूर, प्रवासी कामगार हैं, इन लोगों के पास नौकरी का कोई स्थायी इंतजाम नहीं है। इन लोगों को रोज खाना खाने के लिए कमाना पड़ता है। काटजू ने कहा कि 25 मार्च से कोरोना वायरस की वजह से देशव्यापी लॉकडाउन है, लेकिन अब इसकी समीक्षा का समय आ गया है। मेरा मानना है कि बिना विशेषज्ञों से परामर्श लिए प्रधानमंत्री ने 24 मार्च को राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन का ऐलान किया, यह जल्दबाजी में लिया गया फैसला था, लिहाजा अब इसपर फिर से विचार करना चाहिए।

अलग-अलग बीमारी से लाखों लोगों की मौत

अलग-अलग बीमारी से लाखों लोगों की मौत

सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज ने कहा कि हर वर्ष दुनिया में तकरीबन 646000 लोगों की फ्लू से मौत हो जाती है, यानि हर रोज लगभग 2000 लोगों की मौत होती है। इनमे भारत में मरने वालों की भी एक बड़ी संख्या है। यही नहीं 2016 में 20 करोड़ से अधिक लोगों को मलेरिया हो गया, जिसमे से 7 लाख लोगों की मौत हो गई। आंकड़ों के लिहाज से हर रोज 2000 लोगों की मौत हुई, इसमे एक बड़ी संख्या भारतीयों की भी है। हर वर्ष 40 करोड़ लोग डेंगू से संक्रमित होते हैं, जिसमे से 22 हजार लोगों की मौत होती है। अहम बात ये है कि मरने वालों में अधिकतर बच्चे होते हैं। हर वर्ष 15 लाख लोग टीबी से मरते हैं, जिसमे से अधिकतर भारतीय होते हैं। हर वर्ष 38 लाख लोग मधुमेह से मरते हैं।

82 करोड़ लोग भूखे सोए

82 करोड़ लोग भूखे सोए

तमाम आंकड़ों के जरिए जस्टिस काटजू ने बताने की कोशिश की है कि आखिर कैसे अलग-अलग बीमारियों से लाखों लोगों की मौत होती है। उन्होंने कहा कि 2017 में 96 लाख लोग दुनियाभर में कैंसर से मर गए। इसमे भी बड़ी संख्या में भारतीय शामिल थे। एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए जस्टिस काटजू ने कहा कि 2018 में दुनियाभर में 82 करोड़ लोग भूखे सोए, इसमे अधिकांश लोग भारतीय थे। भारत में 5 वर्ष से कम उम्र के 48 फीसदी बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। लिहाजा हम अनुमान लगा सकते हैं कि भारत में भुखमरी से मौत का क्या आंकड़ा हो सकता है।

सरकार गलती माने, लॉकडाउन खत्म करे

सरकार गलती माने, लॉकडाउन खत्म करे

लॉकडाउन के दुष्परिणाम के बारे में जस्टिस काटजू ने कहा कि लॉकडाउन से आजीविका पर संकट मंडरा रहा है। परिणास्वरूप खाद्य दंगे हो सकते हैं, कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है। उन्होंने कहा कि पालघर में जो घटना हुई, उसे फिर से दोहराया जा सकता है। देशभर में लोग तमाम मुश्किलों का सामना कर रहे हैं और वह अलग-अलग राज्यों में लॉकडाउन की वजह से फंसे हुए हैं। जस्टिस काटजू ने कहा कि सरकार को अपनी गलती मानकर लॉकडाउन को खत्म कर देना चाहिए, अन्यथा स्थित काफी गंभीर हो सकती है।

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English summary
Government should accept its mistake and immediately revoked lockdown says former SC Judge Markandey Katju.
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