गोरखालैंड की मांग को लेकर सुलगा दार्जिलिंग, बंद के पहले दिन बवाल
दसवीं क्लास तक बंगाली को अनिवार्य किए जाने के बाद गोरखालैंड सुलग उठा। गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के बंद के आह्वान के बाद दार्जिलिंग में बवाल हुआ।
दार्जिलिंग। पश्चिम बंगाल के उत्तरी इलाके में गोरखालैंड की मांग को लेकर समर्थकों ने सरकारी कार्यालयों में जमकर तोड़फोड़ की। गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने गोरखालैंड को अलग राज्य बनाने के लिए अनिश्चितकालीन बंद का आह्वान कर रखा है। पुलिस ने सरकारी कार्यालयों में आगजनी में शामिल होने के आरोप में गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन के सतीश पोखरेल को गिरफ्तार कर लिया है।
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सरकारी ऑफिसों में जमकर काटा बवाल
गोरखा जनमुक्ति मोर्चा, गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन को कंट्रोल करता है। इसने राज्य और गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन के सभी ऑफिसों को बंद रखने की बात कही थी। गोरखालैंड समर्थकों ने बंद के पहले दिन सरकारी ऑफिसों में बवाल काटा। हिंसा के डर की वजह से इस हिल स्टेशन इलाके से टूरिस्ट दूर ही रहे।
गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने किया है बंद का आह्वान
बंद के पहले दिन गोरखालैंड समर्थकों ने पंचायत कार्यालयों और लोक निर्माण विभाग के ऑफिसों को क्षति पहुंचाया। उन्होंने दार्जिलिंग के कार्यालयों में रखे फर्निचरों में आग लगा दी, खिड़कियों और कंप्यूटर को तोड़ दिया। इस तोड़फोड़ में होटल, ट्रांसपोर्ट और बाजार को नुकसान नहीं पहुंचाया गया क्योंकि इस पहाड़ी इलाके में टूरिज्म ही लोगों के रोजगार का बड़ा साधन है। फिर भी हिंसा होने के भय की वजह से कई होटल बंद रहे। स्थानीय प्रशासन ने हलांकि दार्जिलिंग के हालात को सामान्य बताया है लेकिन गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के प्रेसिडेंट बिमल गुरुंग ने कहा है कि हालात खराब हो रहे हैं इसलिए पर्यटकों को यहां से चले जाना चाहिए।
आखिर क्यों सुलग रहा है दार्जिलिंग?
ममता बनर्जी की सरकार के दसवीं क्लास तक बंगाली को अनिवार्य करने के फैसले के बाद इन पहाड़ी इलाकों में बवाल शुरू हुआ है। गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने सरकार के इस फैसले को नेपाली पहचान और संस्कृति में दखल बताया है। गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के बंद के आह्वान के बाद राज्य सरकार ने अपने सभी कर्मचारियों को ऑफिस आने को कहा था और अनुपस्थित रहने पर कार्रवाई की चेतावनी दी थी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दार्जिलिंग के लोगों से गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के नेताओं की बातों पर ध्यान न देने की अपील की थी।
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