गूगल सर्च इंजन में आई गड़बड़ी के बाद लोक सभा चुनाव 2014 में बड़ा फेरबदल संभव
हाल के हफ्तों में भारत में किए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि गूगल के पास बिना चुनाव के ही उसकी रैंकिंग को ऊपर करने की शक्ति है। शोधकर्ताओं ने कहा कि अध्ययनों से पता चलता है कि जितनी ऊंची रैंकिंग होगी उतना ही अधिक लोगों का भरोसा होगा। बड़ी कंपनियां अरबों रूपए खर्च कर रही हैं। यही वजह है कि परिणाम पर भरोसा है। अब वे अपने उत्पादों को आगे बढ़ा सकती हैं। इसलिए अरविंद केजरीवाल को सर्च इंजन पर ज्यादा बार खोजने से वे नरेंद्र मोदी से बेहतर हो सकते हैं।
कई परिणामों से यह पता चलता है कि यह एक बहुत ही गंभीर मामला है, जो लोकतंत्र के लिए एक वास्तविक खतरा है। अमेरिका के वरिष्ठ मनोचिकित्सक ने बताया कि अगर दो प्रत्याशी अपनी रैंकिंग बढ़ाने के लिए प्रतियोगिता में हैं तो अच्छा है। लेकिन भारत में गूगल का खोज पर एकाधिकार है। एक उम्मीदवार के पक्ष में यह आसानी से उस उम्मीदवार के पक्ष में कर सकता है। केवल कार्यालय में बैठाकर खोज रैंकिंग में गड़बड़ी करना भर रहता है। जिससे उस प्रत्याशी के पक्ष में हजारों वोट किए जा सकते हैं।