क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

Good News: मंदी हो जाएगी छूमंतर, ऐसे आपकी आय बढ़ाने जा रही है सरकार

Google Oneindia News

बेंगलुरू। संभावित मंदी और जीडीपी दर लगातार गिरावट के लिए लोगों की गिरती आय वृद्धि दर को माना जा रहा है। ऐसा लगता है सरकार ने इसका तोड़ निकाल लिया है। ऐसी अटकलें हैं कि केंद्र सरकार की ओर से कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) कर्मचारियों के पीएफ में अंशदान कम करने का प्रस्ताव किया गया है और अगर हुआ तो कर्मचारियों की टेकहोम सैलरी में वृद्धि हो जाएगी।

EPFO

श्रम और रोजगार मंत्रालय की तरफ से से पेश किए गए उक्त प्रस्ताव के अंतर्गत कर्मचारी भविष्य निधि में कर्मचारियों के अंशदान में कम हो जाएगी। मसलन, अगर आपकी बेसिक सैलरी 25000 रुपए प्रतिमाह है, तो 12 फीसदी के हिसाब से 3000 रुपए अंशदान की बजाय अब 6 फीसदी (अनुमान) यानी 1500 रुपए कर्मचारी भविष्य निधि संगठन को देना पड़ेगा।

EPFO

गौरतलब है भारतीय अर्थव्यवस्था में गिरावट और संभावित में मंदी के लिए शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में आय का लगातार गिरावट है, जिससे तीन सेक्टर्स सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। इनमें ऑटो सेक्टर पहले पायदान पर है जबकि दूसरे पायदान पर है टेक्सटाइल इंडस्ट्री और रियल एस्टेट सेक्टर्स तीसरी इंडस्ट्री है, जो लोगों की घटती आय के चलते मंदी की मार झेल रही है।

EPFO

लोगों की घटती आय को बढ़ाने के लिए सरकार ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन को जाने वाले अंशदान करने का प्रस्ताव करके एक तीर से तीन निशाने साधे हैं। पहला, कर्मचारियों को अब पहले की तुलना में अधिक वेतन हासिल होगा, जिससे उनका आय बढ़ेगा। दूसरा, आय में वृद्धि होगी बचत और क्रय शक्ति में वृद्धि होगी।

तीसरा, आय वृद्धि से बचत और उपभोग में प्रोत्साहन मिलेगा, जिसका सीधा लाभ उन सेक्टरों में मिलेगा जिनपर संभावित मंदी का सबसे अधिक असर पड़ने की आशंका है। क्योंकि आय वृद्धि, क्रय शक्ति, बचत प्रोत्साहन से ऑटो सेक्टर, टेक्सटाइल सेक्टर और रियल एस्टेट इंडस्ट्री को सीधा फायदा होगा। क्योंकि हाथ में खर्च अधिक योग्य पैसे रहने पर आदमी निवेश करने के अधिक विकल्पों की तलाश कर सकता है।

EPFO

उल्लेखनीय है वर्तमान में ईपीएफ में कर्मचारी और नियोक्ता दोनों की तरफ से बेसिक सेलरी का 12-12 फीसदी का भुगतान किया जाता है। यदि आप किसी ऐसे संगठन में काम करते हैं जहां कर्मचारियों की संख्या 20 से अधिक है और आप कम से कम 15000 रुपये बेसिक वेतन पाते हैं। ऐसी स्थिति में आपका ईपीएफ अंशदान 1800 रुपए प्रतिमाह होगा और आपके नियोक्ता की तरफ से भी इतनी ही राशि पीएफ खाते में जमा की जाएगी।

ऐसे में हर महीने आपके खाते में होने वाले योगदान की राशि 3600 रुपये होगी। अब केंद्र सरकार की तरफ से आपके ईपीएफ में योगदान को घटाकर 6 फीसदी कर दिया जाता है तो आपकी तरफ से किया जाने वाला अंशदान घटकर 900 रुपये प्रतिमाह पर आ जाएगा।

EPFO

ऐसा माना जाता है कि आय वृद्धि बचत प्रोत्साहन को जन्म देती है और बचत क्रय शक्ति में इजाफा करती है और अपनी अतिरिक्त राशि को विभिन्न तरीकों से निवेश अथवा उपभोग में खर्च कर सकते हैं, जिससे डूब रहे ऑटो सेक्टर, टेक्सटाइल सेक्टर और रियल एस्टेट सेक्टर पटरी पर लौट सकते हैं, जो पूरी तरह से लोगों की क्रय शक्ति और बचत प्रोत्साहन से जमा पैसों पर निर्भर होते हैं। हालांकि इसका दूसरा पक्ष यह भी है ईपीएफओ योगदान में कटौती से रिटायरमेंट के समय मिलने वाले पैसे में कमी हो जाएगी।

फिलहाल, अर्थव्यवस्था को पटरी पर वापस लाने और विभिन्न सेक्टरों में संभावित मंदी से निपटने में केंद्र सरकार का यह प्रस्ताव काफी कारगर उपाय हो सकता है। क्योंकि मौजूदा समय में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन में 60 लाख से अधिक मेंबर सूची बद्ध हैं।

EPFO

अगर प्रस्तावित अंशदान को 12 से 6 फीसदी से रिप्लेस कर दिया गया तो मार्केट में लिक्विड मनी बढ़ेगी और बढ़ी हुई क्रय शक्ति उपभोग में वृद्धि को बढ़ावा ही नहीं देगी बल्कि वृहद निवेश के लिए बचत को भी प्रोत्साहित करेगी, जिससे मंदी की शिकार होने वाले सेक्टर में रौनक लौट आएगी।

यह भी पढ़ें-वैश्विक मंदी: भारतीय मध्यमवर्ग ने सिर्फ लग्जरी सामानों से किया है किनारा!

Comments
English summary
Indian government in planning to cut down EFPO partial deduction which is now 12 percent of basic salary and government proposal to half of current dedication structure of Employee and employers intakes
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X