GOOD NEWS: एयरटेल और वोडाफोन वापस ले सकती है टैरिफ में वृद्धि का फैसला !
बेंगलुरू। आगामी 1 दिसंबर से एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया टेलीकॉम ऑपरेटर्स ने वॉयस कॉल और डेटा टैरिफ की कीमतें बढ़ाने के संकेत दिए थे, लेकिन मोदी सरकार द्वारा एजीआर किश्तों के भुगतान को वर्ष 2023 तक टालने के फैसले के बाद माना जा रहा है कि अब टेलीकॉम ऑपरेटर कंपनियां पूर्व घोषित टैरिफ दरों में संभावित वृद्धि को टाल सकती हैं।
मोदी कैबिनेट ने यह फैसला वित्तीय संकट से जूझ रही दूरसंचार कंपनियों को राहत पहुंचाने के उद्देश्य से किया है। भारत में टेलीकॉम सर्विस प्रदान करने वाली शीर्ष तीन कंपनियों को इससे बड़ी राहत में मिली है। इनमें एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया और रिलायंस जियो शामिल हैं।
गौरतलब है सुप्रीम कोर्ट ने सभी टेलीकॉम ऑपरेटर्स कंपनियों से एजीआर भुगतान की वसूली के लिए दूरसंचार विभाग को निर्देश दिए, जिसके बाद वित्तीय घाटे से पहले से जूझ रही एयरटेल और वोडफोन-आइडिया कंपनियों ने आगामी 1 दिसंबर से वॉयस कॉल और डेटा टैरिफ में बदलाव करने की घोषणा की थी।
रिलायंस जियो ने भी एजीआर किश्तों के भुगतान को देखते हुए अपने वॉयस कॉल और डेटा टैरिफ में जल्द बदलाव के संकेत दिए थे, लेकिन एजीआर भुगतान में दो साल तक छूट देने के प्रस्ताव को मंजूरी देकर दोनों टेलीकॉम ऑपरेटर्स और टेलीकॉम उपभोक्ताओं को राहत प्रदान की है।
कैबिनटे के फैसले की जानकारी देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि टेलीकॉम कंपनियों को 2020-21 और 2021-22 दो साल के लिए एजीआर किश्तों के भुगतान से छूट दी गई है, जिससे टेलीकॉम कंपनी भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और रिलायंस जियो को 42,000 करोड़ रुपए की राहत मिलेगी।
वरना तीनों कंपनियों को 42, 000 करोड़ रुपए दूरसंचार विभाग को भुगतान करने पड़ते और कंपनियां दीवाला होने के कगार पर पहुंच सकती थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में वोडाफोन-आइडिया व एयरटेल कंपनियों को झटका देते हुए कहा था कि इन कंपनियों को एजीआर का भुगतान करना होगा, जिसके बाद कंपनियों ने 1 दिसंबर से वॉयस कॉल और डेटा टैरिफ में बदलाव के संकेत दिए थे।
दरअसल, टेलीकॉम इंडस्ट्री की शीर्ष कंपनी में शुमार एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया कंपनियों ने सितंबर महीने में खत्म हुई तिमाही में कुल 74000 करोड़ रुपए की नुकसान का हवाला देते हुए टैरिफ दर में बढ़ोत्तरी को घोषणा की थी। माना जाता है कि एजीआर के भुगतान के चलते दोनों कंपनियों को व्यापार में भारी नुकसान झेलना पड़ा है।
अगर दोनों कंपनियां ने टैरिफ दर में बढ़ोत्तरी नहीं करती तो उनका दीवाला निकल सकता था। एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया द्वारा 1 दिसंबर से टैरिफ दर में वृद्धि की घोषणा के बाद रिलायंस जियो ने भी एजीआर का हवाला देते हुए ऐलान किया है कि वह भी जल्द टैरिफ प्लान में बदलाव करने जा रही है।
हालांकि टेलीकॉम इंडस्ट्री के बड़े प्लेयर्स द्वारा कीमतों में वृद्धि करने की घोषणाओं के बाद टेलीकॉम उपभोक्ताओं में हलचल मच गई। माना जाने लगा था कि अब सस्ती कॉलिंग और सस्ते टैरिफ वाले डेटा सर्विस के दिन बीतने वाले हैं, लेकिन सरकार ने एजीआर भुगतान को दो वर्ष टालकर टेलीकॉम इंडस्ट्री के साथ-साथ टेलीकॉम उपभोक्ताओं बचा लिया है।
वर्ष 2023 तक मिली छूट से वित्तीय संकट से जूझ रही एयरटेल और वोडाफोन कंपनियों को अधिक राहत मिलेगी, जो सितंबर माह में 74000 करोड़ रुपए का नुकसान झेलना पड़ा था। हालांकि एजीआर किश्तों के भुगतान में दो वर्ष तक मिली छूट के बाद अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है कि कीमतों में वृद्धि को लेकर अभी उनका क्या स्टैंड है।
वैसे, सरकार के फैसले के बाद पिछले 20 वर्षों से भारतीय टेलीकॉम इंडस्ट्री में राज कर रही एयरटेल, वोडाफोन -आइडिया कंपनियों के शेयरों में उछाल तय है, क्योंकि 1 दिसंबर को टैरिफ दरों में दोनों कंपनियों द्वारा घोषणा करने के बाद वोडाफोन के शेयर में 37 फीसदी उछाल दर्ज किया था।
दोनों कंपनियां बढ़े हुए टैरिफ दर से एजीआर भुगतान से होने वाले नुकसान की भरपाई करने की जुगत में थी, लेकिन अब कंपनियों को भुगतान में 2 वर्ष की छूट मिल गई है तो माना जा रहा है कि टेलीकॉम उपभोक्ताओं को भी अगले दो वर्ष तक पुराने टैरिफ का लाभ मिलेगा।
ऐसा पहली बार था जब रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के चैयरमेन मुकेश अंबानी ने एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया कंपनियों के फैसलों पर सुर में सुर मिलाते हुए रिलायंस जियो के टैरिफ में वृद्धि करने की घोषणा की थी। तर्क देते हुए अंबानी ने कहा था कि कंपनी टेलीकॉम इंडस्ट्री को मजबूत करने के लिए जियो टैरिफ में वृद्धि के साथ अन्य जरूरी कदम भी उठाने जा रही है।
सितंबर, वर्ष 2016 में भारतीय टेलीकॉम इंडस्ट्री में प्रवेश के बाद देश की आधी आबादी रिलायंस जियो की ओर रूख कर गई थी। वजह थी मुफ्त अलिमिटेड वॉयस कॉल और 5 रुपए प्रति जीबी से कम डेटा टैरिफ। यही कारण था कि महज तीन वर्ष के अंतराल में रिलायंस जियो ने 35.4 करोड़ यूजर जुटाकर देश की दूसरी बड़ी टेलीकॉम ऑपरेटर कंपनी में शुमार हो गई।
उल्लेखनीय है सुप्रीम कोर्ट ने गत अक्टूबर माह में दूरसंचार विभाग की याचिका पर एक फैसला सुनाया था, जिसके तहत दूरसंचार विभाग को यह अधिकार दिया गया कि सभी टेलीकॉम कंपनियों से बतौर एजीआर 94000 करोड़ रुपए वसूले जाएं, जो कुल मिलाकर लगभग 1.3 करोड़ रुपए की रकम बैठती है। हालांकि इसमें वोडाफोन-आइडिया को सबसे ज्यादा पैसा चुकाना था।
यही कारण था कि एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया ने जब 1 दिसबंर से टैरिफ बढ़ाने की घोषणा की तो इसके लिए सरकार द्वारा वसूले जाने वाले एजीआर का हवाला दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने दूरसंचार विभाग से अगले तीन महीने में सभी टेलीकॉम कंपनियों से भुगतान वसूलने की तिथि निर्धारित की थी, जिससे कंपनियों के हाथ-पांव फूल गए थे, लेकिन अब जब एजीआर भुगतान में दो वर्ष की छूट मिल गई है, तो कंपनियां राहत की सांस ले रही हैं।
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क्या है एजीआर?
दूरसंचार ऑपरेटरों को लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम शुल्क के भुगतान के रूप में केंद्र को 'राजस्व हिस्सेदारी' के रूप में करना होता है। इस राजस्व हिस्सेदारी की गणना के लिए इस्तेमाल की जाने वाली राजस्व राशि को एजीआर के रूप में जाना जाता है। DoT के अनुसार गणना में एक टेलीकॉम कंपनी द्वारा अर्जित सभी राजस्व को शामिल किया जाना चाहिए। इसमे गैर-टेलीकॉम स्रोत मसलन पेमेंट्स बैंक में जमा राशि पर ब्याज और परिसंपत्तियों की बिक्री शामिल है। हालांकि टेलीकॉम कंपनियों का कहना है कि AGR में केवल दूरसंचार सेवाओं से उत्पन्न राजस्व शामिल होना चाहिए और इससे गैर-दूरसंचार राजस्व को बाहर रखा जाना चाहिए।
वर्ष 2005 से एजीआर को लेकर चल रही है लड़ाई
दूरसंचार विभाग (DoT) और टेलीकॉम कंपनियों के बीच एजीआर को लेकर यह विवाद 2005 से चल रहा है। दरअसल, एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया टेलीकॉम कंपनी के लिए लॉबिंग करने वाली ग्रुप सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने AGR गणना के लिए DoT की परिभाषा को चुनौती दी थी। विवाद पर वर्ष 2015 में टीडीसैट ने फैसला सुनाया कि गैर-मुख्य स्रोतों से पूंजी प्राप्तियां और राजस्व को छोड़कर एजीआर में सभी प्राप्तियां शामिल थीं। मसलन, एजीआर में किराया, अचल संपत्तियों की बिक्री पर लाभ, लाभांश, ब्याज और विविध आय इत्यादि शामिल थीं।
कैग ने भुगतान को लेकर दूरसंचार कंपनियों को ठहराया था दोषी
एक हालिया रिपोर्ट में भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने दूरसंचार कंपनियों को "अंडरस्टैंडिग रेवन्यू" के लिए 61,064.5 करोड़ रुपए का दोषी ठहराया और सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई में DoT ने टेलीकॉम कंपनियों से बकाया राशि पर जुर्माने, जुर्माने और ब्याज की मांग की थी, जो कि 92,641 करोड़ रुपए है। (इसमें विवादित वास्तविक मांग 23,189 करोड़ रुपए, 41,650 करोड़ रुपए के ब्याज छूट, 10,923 करोड़ रुपए का जुर्माना और 16,878 करोड़ रुपए के दंड पर ब्याज शामिल है) सुप्रीम कोर्ट ने दूरसंचार द्वारा की गई एजीआर गणना की परिभाषा के पक्ष में फैसला सुनाया, जिससे अब सभी टेलीकॉम कंपनियों को लंबित भुगतान को तीन महीने के अंदर खत्म करना होगा। यही कारण है कि कंपनियां टैरिफ रेट में वृद्धि करके अपने घाटे को कम करने की कोशिश कर रही हैं।
एजीआर भुगतान की देनदारी में हो सकती थी बढ़ोतरी
ब्रोकरेज फर्म क्रेडिट सुइस ने कहा है कि कंपनी ने टेलीकॉम डिपार्टमेंट से मिले नोटिस के आधार पर एजीआर की मूल रकम के 11,100 करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया है। वहीं, पिछले 2-3 साल का अनुमान कंपनी ने खुद लगाया है। ब्रोकरेज फर्म के अनुसार वोडाफोन आइडिया की एजीआर संबंधित देनदारी 54,200 करोड़ रुपए रह सकती है। ऐसे में टेलीकॉम कंपनी को 10,100 करोड़ रुपए की अतिरिक्त प्रोविजनिंग एजीआर के लिए करनी पड़ेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी को तीन महीने के अंदर इस रकम का भुगतान करने का आदेश दिया था।
एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया को 50,921 करोड़ का घाटा
वोडाफोन आइडिया को दूसरी तिमाही में 50, 921 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। इससे पहले पिछले साल की दूसरी तिमाही में कंपनी को 4,947 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था। यह भारत के कॉर्पोरेट इतिहास में अभी तक का सबसे बड़ा तिमाही घाटा है, जिससे उबरने के लिए दोनों कंपनियों ने आगामी 1 दिसंबर से कंपनी के वॉइस कॉल और डेटा टैरिफ में बढ़ोत्तरी करने की घोषणा थी। दोनों कंपनियों का अनुमान था कि मूल्यों में वृद्धि से उन्हें एजीआर भुगतान से हुए नुकसान की भरपाई में मदद मिल सकती थी।
एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया ने खोए 50 लाख उपभोक्ता
टेलिकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) द्वारा 30 सितंबर को जारी किए गए एक रिपोर्ट में बताया गया है कि एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने सितंबर माह में 50 लाख से ज्यादा उपभोक्ता खोए हैं। इतना ही नहीं, एयरटेल और वोडाफोन का उपभोक्ता बेस कम होने के दौर लगातार जारी है। हालांकि इस बीच भारत संचार निगम लिमिटेड ( बीएसएनल) नए कस्टमर जोड़ने में कामयाब रहा जबकि रिलायंस जियो ने नए 6.983 मिलियन सब्सक्राइबर्स जोड़ने में सफल हुई।
सबसे ज्यादा वोडाफोन-आइडिया उपभोक्ताओं की संख्या घटी
एयरटेल ने सितंबर माह में 2.384 मिलियन ग्राहक खोए, वहीं 2.576 मिलियन ग्राहकों ने वोडाफोन का साथ छोड़ दिया। अब एयरटेल का सब्सक्राइबर बेस घटकर 325.567 मिलियन रह गया है जो अगस्त में 327.952 मिलियन था। वहीं वोडाफोन का सब्सक्राइबर बेस घटकर 375.063 मिलियन से घटकर 372.952 मिलियन हो गया। सितंबर माह में एयरटेल की तुलना में वोडाफोन ने ज्यादा कस्टमर खोए। सितंबर में वोडाफोन का साथ 2.576 मिलियन कस्टमर्स ने छोड़ दिया, लेकिन इस बीच जियो का सब्सक्राइबर बेस बढ़कर 355.223 मिलियन हो गया, जो अगस्त में 348.240 मिलियन था। हालांकि बीएसएनल के सब्सक्राइबर बेस में मामूली बढ़त दर्ज की गई, जो 116.234 मिलियन से बढ़कर 116.972 मिलियन हो गई है।