Good News: DRDO की दवा 2-DG सोमवार को होगी लॉन्च, कोरोना मरीजों के इलाज में आएगी काम
नई दिल्ली, 16 मई: कोविड-19 मरीजों के इलाज में काम आने वाली 2-डिऑक्सी-डी-ग्लूकोज या 2-डीजी दवा की पहली खेप सोमवार को लॉन्च होगी। इस दवा को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने हैदराबाद स्थित डॉक्टर रेड्डीज लिमिटेड के साथ मिलकर तैयार किया है। कोविड महामारी के खिलाफ इलाज में यह दवा मील का पत्थर साबित हो सकती है। जानकारी के मुताबिक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन इस दवा की पहले खेप जारी करेंगे।
लॉन्च
हो
रही
है
कोरोना
की
दवा
2-डीजी
पहले
से
ही
खबरें
थीं
कि
आने
वाले
हफ्ते
में
किसी
भी
वक्त
डीआरडीओ
की
कोरोना
की
दवा
2-डीजी
लॉन्च
की
जा
सकती
है।
लेकिन,
हिंदुस्तान
टाइम्स
की
एक
खबर
के
मुताबिक
इसे
सोमवार
को
ही
लॉन्च
किया
जा
रहा
है।
इस
महीने
में
ही
ड्रग
कंट्रोलर
जनरल
ऑफ
इंडिया
ने
कोविड
मरीजों
के
इलाज
के
लिए
सहायक
चिकित्सा
के
तौर
पर
ग्लूकोज
एनालोग
वाली
इस
दवा
की
आपात
इस्तेमाल
की
अनुमति
दी
थी।
कई
राज्यों
में
हुई
इस
दवा
की
क्लिनिकल
ट्रायल
में
यह
बात
सामने
आई
है
कि
2-डीजी
अस्पतालों
में
भर्ती
मरीजों
को
जल्द
स्वस्थ
करने
में
कारगर
है
और
इससे
उनकी
ऑक्सीजन
सपोर्ट
पर
से
भी
निर्भरता
कम
होती
है।
सरकार
के
मुताबिक
जिन
मरीजों
का
2-डीजी
से
इलाज
किया
गया
है,
उनका
आरटी-पीसीआर
टेस्ट
निगेटिव
में
बदलने
का
अनुपात
काफी
ज्यादा
है।
पिछले
साल
ही
शुरू
हुआ
था
काम
इस
दवा
को
विकसित
करने
की
तैयारी
पिछले
साल
अप्रैल
में
ही
कोरोना
की
पहली
लहर
के
दौरान
हुई
थी।
लैबोरेटरी
एक्सपेरिमेंट
में
ही
डीआरडीओ
और
हैदराबाद
के
सेंटर
फॉर
सेल्युलर
एंड
मोलेक्युलर
बायोलॉजी
के
वैज्ञानिकों
ने
पाया
कि
इसके
अणु
कोरोना
वायरस
के
खिलाफ
प्रभावी
तौर
पर
असर
करता
है
और
उनका
विकास
रोक
देता
है।
2020
के
मई
से
अक्टूबर
के
बीच
फेज
2
का
ट्रायल
हुआ
और
पाया
गया
कि
कोविड
मरीजों
को
देने
के
लिए
यह
एक
सुरक्षित
दवा
है।
फेज
दो
का
ट्रायल
दो
हिस्सों
में
110
मरीजों
पर
पूरा
किया
गया।
पहले
हिस्से
का
प्रयोग
6
अस्पतालों
में
और
दूसरे
हिस्से
का
प्रयोग
11
अस्पतालों
में
किया
गया।
तीसरे
चरण
का
क्लिनिकल
ट्रायल
पिछले
साल
दिसंबर
से
लेकर
इस
साल
मार्च
तक
देश
के
27
कोविड
अस्पतालों
में
220
मरीजों
पर
किया
गया।
यह
ट्रायल
दिल्ली,
उत्तर
प्रदेश,
पश्चिम
बंगाल,
गुजरात,
राजस्थान,
महाराष्ट्र,
आंध्र
प्रदेश,
तेलंगाना,
कर्नाटक
और
तमिलनाडु
के
अस्पतालों
में
किए
गए।
ऑक्सीजन
पर
निर्भरता
जल्द
खत्म
करने
में
असरदार
ट्रायल
के
दौरान
यह
बात
सामने
आई
कि
जिन
कोरोना
मरीजों
को
घोलकर
पिलायी
जाने
वाली
यह
दवा
दी
गई,
वो
बाकी
स्टैंडर्ड
इलाजों
के
मुकाबले
लगभग
2.5
दिन
पहले
स्वस्थ
हो
गए।
जबकि,
ऑक्सीजन
सपोर्ट
से
निर्भरता
खत्म
होने
वाले
मरीजों
की
संख्या
और
ज्यादा
रही;
और
तीसरे
दिन
ही
मरीजों
पर
इसका
असर
दिखाई
देने
लगा।
जबकि,
जिन
मरीजों
का
इलाज
दूसरे
स्टैंडर्ड
तरीके
से
किया
जा
रहा
था,
उन्हें
तब
भी
ऑक्सीजन
सपोर्ट
की
आवश्यकता
पड़
रही
थी।