गोवा: शिवाजी की दो प्रतिमाओं में से एक को हटाने पर मचा बवाल
पणजी। एक ओर देश भर में मूर्तियों के साथ छेड़छाड़ हो रही है वहीं गोवा में दो ऐसी मूर्तियां हैं जो एक ही महापुरुष की बनी है। हालांकि इस पर सरकार और पुलिस दोनों का काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। एक सप्ताह के भीतर वहां कई विरोध प्रदर्शन हुए, एक धमकी मिली और पुलिस के पास शिकायत भी दर्ज हुई है। अंग्रेजी अखबार Indian Expess के अनुसार यह सब एक साल पहले शुरू हुआ था, जब 'हिन्दू भीड़' उत्तरी गोवा के वालपोई जिले में स्थित हाथवाड़ा में एकत्रित हुई और शिवाजी के नाम के नारे लगाने लगी। यह सब 18 फरवरी 2017 को हुआ। पुलिस के रिकॉर्ड्स के अनुसार भीड़ चाहती थी कि हाथवाड़ा के ट्रैफिक स्क्वायर के सेंटर में शिवाजी की एक मूर्ति स्थापित की जाए। इसके ठीक बाद स्थानीय निवासियों और भीड़ के बीच काफी कहासुनी हुई जिस पुलिस ने पीतल की मूर्ति का अपनी कस्टजी में ले लिया। वहां मौजूद मुस्लिम घरों की ओर पत्थरबाजी क गई और कई बैनर फाड़े गए लेकिन पुलिस भीड़ को नियंत्रित करने में सफल रही और हर किसी को वापस उसके घर भेजा।
19 फरवरी 2017 की सुबह...
इसके बाद 19 फरवरी 2017 की सुबह ही वहां लोगों ने देखा कि हाथवाड़ा के मेन जंक्शन में जहां की अधिकतर आबादी मुस्लिम है और जिसके रिंग रोड पर कैथोलिक और हिन्दुओं का घर है , वहां शिवाजी की मूर्ति लगी है। पुलिस के रिकॉर्ड के अनुसार सुबह 2.30 बजे मूर्ति लगाई गई। जब पुलिस ने आस पास के लोगों और भीड़ में शामिल कई चेहरों से पूछताछ की तो जवाब मिला कि किसी 'शिवप्रेमी' ने मूर्ति लगाई होगी। इसके बाद अज्ञात लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज करा दी गई।
और फिर इस साल 19 फरवरी को...
वहीं इस वर्ष 19 फरवरी को, ट्रैफिक जंक्शन में के सामने वालपोई पार्क में शिवाजी की प्रतिमा लगाई गई। यह ट्रैफिक जंक्शन से 800 मीटर की दूरी पर था। इससे पहले पार्क में शिवाजी की एक छोटी मूर्ति लगी थी। बीते साल ही एक प्रस्ताव दिया गया था कि पार्क में शिवाजी की जो 2 फीट लंबी प्रतिमा लगी थी उसकी जगह एक नई प्रतिमा लगा दी जाए।
लेकिन मामला यहीं खत्म नहीं हुआ
इस साल 19 फरवरी को हुआ कार्यक्रम विधिवत हुआ और इसमें कई नेता और धार्मिक समूहों के अग्रणी लोग शामिल हुए। एक हफ्ते बाद, 3 मार्च को, सरकार ने धारा 144 लगाने के बाद हाथवाड़ा जंक्शन पर लगी प्रतिमा को हटा दिा। मूर्ति को हटाने की निगरानी करने वाले एक अधिकारी का कहना है, 'किसी को भी चित्र या वीडियो लेने की अनुमति नहीं थी।' लेकिन मामला यहीं खत्म नहीं हुआ। अब कई लोग अलग-अलग समूहों में सामने आ गए हैं और खुद को 'शिवप्रेमी' बताा रहे हैं। शिवसेना की स्थानीय इकाई उनके इस कदम को समर्थन देते हुए मूर्ति की चोरी की शिकायत दर्ज कराई है।