गोवा : चुनावी ‘फल’ से केजरीवाल पहले अपना पेट भरेंगे, जरूरत पड़ी तब ‘दीदी’ की सोचेंगे !
नई दिल्ली, 25 दिसंबर। गोवा में भाजपा से लड़ने आये केजरीवाल पहले ममता बनर्जी से ही भिड़ गये हैं। उन्हें केवल अपनी पड़ी है तो फिर दीदी की क्यों सोचें ? इस बीच दलबदलुओं के सहारे चुनावी वैतरणी पार करने का सपना देखने वाली तृणमूल को जोर का झटका लगा है।

पूर्व विधायक समेत तृणमूल के पांच नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने ममता बनर्जी पर आरोप लगाया है कि वे वोट के लिए हिंदू और ईसाई समुदाय को आपस में बांट रही हैं। केजरीवाल ने कहा है कि जो पार्टी (तृणमूल) सिर्फ तीन महीना पहले गोवा आयी है वह सरकार बनाने की बात कर रही है। जबकि हकीकत ये है कि उसका वोट शेयर एक प्रतिशत भी नहीं है। तृणमूल की गोवा में कोई हैसियत नहीं है। उसको बेवजह महत्व दिया जा रहा है। केजरीवाल ने गोवा में भ्रष्टाचार मुक्त शासन को चुनावी मुद्दा बनाया है।

ममता बनर्जी वोट के लिए हिंदू-ईसाई को बांट रही हैं ?
गोवा में दल बदल की राजनीति बहुत से पहले से फलती फूलती रही है। भाजपा के पूर्व विधायक लवू मामलेदार तीन महीना पहले तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए थे। शुक्रवार को लवू मामलेदार और अन्य चार नेताओं ने तृणमूल पार्टी से इस्तीफा कर दिया। लवू का आरोप है कि ममता बनर्जी गृहलक्ष्मी योजना के नाम पर राज्य की महिलाओं का डाटा इकट्ठा कर रही हैं जिसका मकसद हिंदू और ईसाई समाज को बांटना है। तृणमूल गृहलक्ष्मी योजना के तहत पश्चिम बंगाल में सिर्फ 500 रुपये देती है जब कि उसने गोवा में पांच हजार रुपये प्रतिमाह देने का वायदा किया है। इस वायदे को पूरा करना संभव नहीं है। सरकार को कुल बजट का करीब आठ फीसदी हिस्सा इस योजना पर ही खर्च करना होगा। प्रशांत किशोर की कंपनी आईपैक राज्य की जनता को झांसा देने की कोशिश कर रही है। वह सिर्फ पर्याप्त वोट शेयर हासिल कर राज्य में मान्यताप्राप्त दल बनना चाहती है।

गोवा में भ्रष्टाचार की समस्या
अरविंद केजरीवाल ने गोवा विधानसभा चुनाव में भ्रष्टचार को मुद्दा बनाया है। उनका कहना है कि कांग्रेस ने 27 साल तो भाजपा ने 15 साल तक राज्य में लूट-खसोट को बढ़ावा दिया। आम आदिमी पार्टी गोवा को भ्रष्टचार से मुक्ति दिलाने के लिए आयी है। ये हकीकत है कि गोवा में भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या है। लुइस बर्जर रिश्वत कांड में गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री चर्चिल अलेमाओ को 2015 में गिरफ्तार किया गया था। इसी मामले में राज्य के एक और पूर्व मुख्यमंत्री दिगम्बर कामत और उनके रिश्तेदारों के घर ईडी और क्राइम ब्रांच ने छापा मारा था। इस मामले में उनके खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल की गयी थी। आरोप है कि 2012 में अमेरिकी कंपनी लुइस बर्जर ने गोवा में जल और सिवरेज परियोजना का ठेका पाने के लिए नेताओं औऱ अफसरों को करीब 9 लाख डालर की रिश्वत दी थी। कंपनी के अधिकारियों ने अमेरिकी एजेंसी के सामने रिश्वत देने की बात स्वीकार की थी। दिगम्बर कामत कांग्रेस में हैं तो चर्चिल अलेमाओ तृणमूल कांग्रेस में। चर्चिल अलेमाओ मार्च 1990 में गोवा के मुख्यमंत्री बने थे जब कि दिगम्बर कामत 2007 से मार्च 2012 तक गोवा के मुख्यमंत्री थे। हाल ही में गोवा के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने राज्य सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि कोरोना संकट के समय घर-घर राशन बांटने में धांधली की गयी थी। मैंने ये मामला उठाया तो मेरा तबादला कर दिया गया। सत्यपाल मलिक ने अपनी ही पार्टी की सरकार को घेर कर साहस का परिचय दिया था।

केजरीवाल का यू टर्न
आम आदमी पार्टी ने 2017 में भी गोवा विधानसभा का चुनाव लड़ा था। लेकिन उसे एक भी सीट नहीं मिली थी। इस बार आप और तृणमूल दोनों ने कुल 40 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कही है। कांग्रेस पहले से ही अलग ताल ठोक रही है। इन तीनों पार्टियों के अलग-अलग लड़ने से भाजपा विरोधी मतों में बंटवारा तय है। इसका फायदा भाजपा को ही मिलने वाला है। भाजपा को हराने के लिए अक्सर एक संयुक्त विपक्ष की चर्चा होती है लेकिन हकीकत में ऐसा होता नहीं है। गोवा में भाजपा को हराने आये अरविंद केजरीवाल पहले ममता बनर्जी को ही ध्वस्त करन में जुट गये हैं। जब उनसे पूछा गया कि आप भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए तृणमूल के साथ समझौता क्यों नहीं करते ? तब उन्होंने जवाब दिया, अगर त्रिशंकु विधानसभा हुई तो गैरभाजपा दलों के साथ तालमेल के बारे में सोचा जाएगा। चुनाव से पहले किसी दल के साथ गठबंधन नहीं होगा। यानी केजरीवाल चुनावी 'फल' से पहले अपना पेट भरेंगे फिर दीदी की सोचेंगे। केजरीवाल ने अपने राजनीतिक फायदे के लिए यू टर्न ले लिया है। इसी साल जुलाई में केजरीवाल खुद ममता बनर्जी से मुलाकात करने के सांसद अभिषेक बनर्जी के बंगले पर गये थे। तब उन्होंने ममता बनर्जी की राष्ट्रीय राजनीति में केन्द्रीय भूमिका का समर्थन किया था। इसी तरह मार्च 2021 में जब राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र संशोधन विधेयक के मुद्दे पर केजरीवाल की केन्द्र सरकार से तकरार हुई थी तब ममता बनर्जी ने उनका समर्थन किया था। लेकिन गोवा में केजरीवाल, दीदी के खिलाफ ही खड़े हो गये हैं।