दुनिया को तबाही का मैसेज देते लूबान और तितली जैसे तूफान
नई दिल्ली। तेजी से बदलते पर्यावरण ने पूरी दुनिया को चक्रवाती तूफान और प्राकृतिक आपदा के चपेट में ले रखा है। जहां एक तरफ पश्चिमी गोलार्द्ध का अधिकांश भाग विनाशकारी तूफान माइकल की चपेट में है, तो उत्तरी हिंद महासागर में भी दो तूफान कहर बरपा रहा है। नासा के एक्वा सैटेलाइट मॉडरेट रेज़ोल्यूशन इमेजिंग स्पेक्ट्रोराडीमीटर (एमओडीआईएस) ने इसी महीने 11 अक्टूबर 2018 की दोपहर में चक्रवात लूबान की एक नेचुरल कलर फोटो प्राप्त की है। इस साल अरब सागर को हिट करने वाला यह तीसरा खतरनाक तूफान है। यह क्षेत्र हिंद महासागर से गुजरने वाले जहाजों के लिए एक प्रमुख चौराहे की भूमिका निभाता है, जो अटलांटिक और भूमध्यसागरीय रास्तों को जोड़ता है।
यूएस ज्वॉइंट टाइफून वॉर्निंग सेंटर (जेटीडब्ल्यूसी) के मुताबिक, अक्टूबर की दोपहर में 120 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से लूबान तूफान में हवाएं चली और समद्री लहरों की ऊंचाई 26 फीट आंकी गई। यह तूफान साउथ ईस्ट सालाह और ओमान से 400 किमी केंद्र में था। ओमान पब्लिक अथॉरिटी फोर सीविल एविशन के अनुसार, इस तूफान ने बारिश हुई है और धोफर एवम् अल वूस्टा में तेज हवाएं चली हैं।
2010 से इस क्षेत्र में अब तक बारह चक्रवात आ चुके हैं, लेकिन बहुत कम चक्रवात अरब प्रायद्वीप तक पहुंचते हैं। आमतौर पर उष्णकटिबंधीय तूफानों को शुष्क रेगिस्तान की हवाएं कमजोर करती हैं।
पूर्वी हिंद महासागर में 11 अक्टूबर तितली तूफान ने लगभग पूरे भारत के पर्यावरण को प्रभावित किया। इस तूफान के कुछ देर बाद एक जगह भूस्खलन भी देखने को मिला है। 150 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलने वाले तितली तूफान ने सैकड़ों के घर तबाह कर दिए और लाखों लोगों के घरों को बिजली कटौती का सामना करना पड़ा।
2011 में वैज्ञानिकों ने कहा था कि वायु प्रदूषण में वृद्धि- विशेष रूप से उत्तरी हिंद महासागर में एयरोसोल में वृद्धि ने ऊर्ध्वाधर हवा को कम कर दिया है। यह एक ऐसी घटना है जो मानसून के मौसम के पैटर्न को बदल सकती है और अधिक चक्रवातों को बनाने की अनुमति देती है।
ये भी पढ़ें: आखिर इतने विनाशकारी तूफान का नाम 'तितली' क्यों, क्या है चक्रवात का पाकिस्तान से कनेक्शन?