'पिंजरा तोड़' की लड़कियांः गिरफ़्तारी, ज़मानत और फिर पुलिस कस्टडी
लड़कियों की आज़ादी से जुड़ी मुहिम 'पिंजरा तोड़' की दो महिला कार्यकर्ताओं को दो दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है.
लड़कियों की आज़ादी से जुड़ी मुहिम 'पिंजरा तोड़' की दो महिला कार्यकर्ताओं को दो दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है.
इससे पहले उत्तर पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा से जुड़े एक मामले में रविवार को ज़मानत मिल गई थी.
हालांकि ज़मानत मिलने के कुछ ही पल बाद पुलिस ने लड़कियों को दंगे से जुड़े क़त्ल के एक दूसरे मामले में गिरफ़्तार कर लिया.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ सांप्रदायिक हिंसा वाले मामले में मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट अजीत नारायण ने नताशा नरवाल और देवांगाना कालिता को जैसे ही ज़मानत देने का फ़ैसला सुनाया, दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच के एक जांच अधिकारी ने अदालत में नई अर्जी दाखिल की जिसमें दंगों से जुड़े क़त्ल के एक दूसरे मामले में उनकी गिरफ़्तारी और पूछताछ के लिए मंज़ूरी मांगी गई थी.
'पिंजरा तोड़' मुहिम से जुड़ी इन दोनों लड़कियों को शनिवार को गिरफ़्तार किया गया था.
शुरुआती एफ़आईआर
दिल्ली पुलिस की शुरुआती एफ़आईआर के मुताबिक़ इन लड़कियों पर फ़रवरी में दिल्ली के जाफ़राबाद इलाक़े में नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन के दौरान ड्यूटी पर तैनात सरकारी अधिकारी को काम करने से रोकने, उनका आदेश न मानने, उन पर हमला करने, दूसरे लोगों का रास्ता रोकने और दंगा कराने का आरोप लगाया गया था.
मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट अजीत नारायण ने 20 हज़ार रुपए के मुचलके पर नताशा नरवाल और देवांगाना कालिता को इन आरोपों में ज़मानत दे दी थी.
कोर्ट ने कहा, "केस के तथ्यों से ये पता चलता है कि अभियुक्त केवल नागरिकता संशोधन क़ानून और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर का विरोध कर रही थीं और किसी किस्म की हिंसा में शामिल नहीं थीं. ये इस समाज से गहरे रूप से जुड़ी हुई हैं और बहुत पढ़ी-लिखी भी हैं. सभी जांच को लेकर पुलिस के साथ सहयोग करने के लिए तैयार हैं."
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार कोविड-19 की महामारी को देखते हुए कोर्ट अभियुक्तों को पुलिस रिमांड पर भेजने के हक़ में नहीं थी और कस्टडी के लिए पुलिस की अर्जी ख़ारिज कर दी गई.
हालांकि इंडियन एक्सप्रेस अख़बार के मुताबिक़ दोबारा हुई गिरफ़्तारी में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने नताशा नरवाल और देवांगना कालिता पर पुलिस ने क़त्ल, क़त्ल की कोशिश, दंगा, आपराधिक साज़िश करने का आरोप लगाया है और इसके लिए 14 दिनों की पुलिस रिमांड की मांग की थी.
कोर्ट में क्या हुआ
सुनवाई के दौरान पुलिस ने कस्टडी की मांग करते हुए कोर्ट से कहा कि अभियुक्तों को पुलिस हिरासत में भेजा जाना इसलिए ज़रूरी है क्योंकि वे राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल थे. इस पर अभियुक्तों की पैरवी कर रहे वकील ने कहा है कि ये आरोप बदनियती से लगाए गए हैं और इनमें कोई दम नहीं है.
नताशा नरवाल और देवांगना कालिता के वकील वे कहा कि 24 फ़रवरी को एफ़आईआर दर्ज की गई थी. नताशा और देवांगना पुलिस की जांच में सहयोग भी कर रही हैं. इसलिए उन्हें इस मामले में ज़मानत दी जाए.
इस मामले में जज अजीत नारायण ने जैसे ही ज़मानत देने का आदेश दिया, पुलिस ने एक दूसरी अर्जी दाखिल कर पूछताछ और गिरफ़्तारी की इजाज़त मांगी. पुलिस ने कोर्ट को बताया कि दोनों ही अभियुक्त एक दूसरे मामले में संदिग्ध हैं.
15 मिनट की पूछताछ के बाद पुलिस ने उन दोनों लड़कियों की 14 दिनों की पुलिस हिरासत की मांग की. इस बार मामला क़त्ल का था और पुलिस ने कहा कि आगे की तफ्तीश के लिए पुलिस हिरासत ज़रूरी है.
इस बार बचाव पक्ष के वकील के विरोध के बावजूद कोर्ट ने नताशा नरवाल और देवांगना कालिता को दो दिनों की पुलिस हिरासत में भेजने का फ़ैसला सुनाया. क़त्ल, क़त्ल की कोशिश, आपराधिक साज़िश के अलावा पुलिस ने इन पर आर्म्स एक्ट और सार्वजनिक संपत्ति को नुक़सान पहुंचाने का आरोप भी लगाया है.
उत्तर पूर्वी दिल्ली में 24 फ़रवरी को नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोधियों और समर्थकों के बीच हिंसा भड़क गई थी. इस हिंसा में 53 लोगों की मौत हुई थी और लगभग 200 लोग घायल हो गए थे.