अपनी जैविक मां से मिलने के लिए 22 साल बाद भारत आई बेटी, स्पैनिश कपल ने लिया था गोद
जन्म के बाद एक स्पैनिश कपल द्वारा गोद ली गई बच्ची 22 साल बाद अपनी जैविक मां से मिलने भारत आई है। 23 साल की मिरिया स्पेन से पुणे अपनी जैविक मां से मिलने आई हैं। जब वो 14 महीने की थीं, तब उन्हें स्पेन के एक कपल ने गोद ले लिया था।
पुणे। जन्म के बाद एक स्पैनिश कपल द्वारा गोद ली गई बच्ची 22 साल बाद अपनी जैविक मां से मिलने भारत आई है। 23 साल की मिरिया स्पेन से पुणे अपनी जैविक मां से मिलने आई हैं। जब वो 14 महीने की थीं, तब उन्हें स्पेन के एक कपल ने गोद ले लिया था। शनिवार को वो अपनी जैविक मां से मिलीं और इस मौके पर दोनों की ही आंखों से खुशी के आंसू छलक आए। मिरिया की मां ने उन्हें खूब सारे तोहफे भी दिए।
23 साल की मिरिया (जीनत) अपनी जैविक मां से मिलने के लिए भारत आई हैं। मिरिया 14 महिने की थीं जब उन्हें एंटीच मार्टी रमन और उनकी पत्नी गारिका बाटाशिया फोरस ने गोद ले लिया था। पेशे से साउंड टेक्नीशियन एंटिच और लाइब्रेरियन गारिका ने मिरिया को सोसायटी ऑफ फ्रेंड्स ऑफ द सैसून अस्पताल (SOFOSH) द्वारा चलाए जाने वाले श्रीवात्सा से गोद लिया था। चार साल बाद इसी संगठन से उन्होंने एक बेटा आकाश भी गोद लिया था।
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एंटिच और गारिका फिर उन्हें अपने साथ स्पेन ले गए। मिरिया 10 साल की थी जब वो पहली बार भारत आईं लेकिन तब उनके माता-पिता उनकी जैविक मां का पता नहीं लगा पाए थे। अब 23 साल की उम्र में वो दोबारा भारत आईं और शनिवार को उन्होंने अपनी मां से मुलाकात की। दोनों मां-बेटी की मुलाकात काफी भावुक रही। हालांकि दोनों एक-दूसरे से ठीक से बात नहीं कर पाए क्योंकि मिरिया केवल स्पैनिश बोलती हैं और उनकी अंग्रेजी भी ज्यादा अच्छी नहीं है। वहीं उनकी जैविक मां केवल हिंदी बोलना जानती हैं।
मिरिया की जैविक मां अलिफिया (बदला हुआ नाम) ने बताया कि मिरिया एक एब्यूजिव सेक्शुअल रिलेशनशिप से पैदा हुई थीं। उन्होंने कहा, 'मैं 21 साल की थी जब एक रिश्तेदार ने मेरा कई बार यौन शोषण किया गया था। मेरे गर्भवती होने के बाद उसने और मेरे परिवार ने मुझे छोड़ दिया। मैं जीनत को छोड़ना नहीं चाहती थी, लेकिन मैं अविवाहित थी और घरों में काम कर के जीवन व्यतीत कर रही थी। मैं नहीं चाहती थी कि वो ये जीवन जीए।' मिरिया को अपनी मां मिलकर काफी खुशी हुई और उन्होंने कहा कि वो हिंदी सीखने जरूर भारत आएंगी। 'मैं कभी नहीं भूल सकती कि मुझे जन्म देने के लिए अम्मी ने कितने दर्द झेले हैं। एसओएफओएसएच ने मेरी कितनी मदद की है। मैं अगले साल फिर भारत आउंगी और हिंदी सीखूंगी।'
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