हिंद महासागर के अंदर दो हिस्सों में टूट रही है धरती, भूकंप कर रहे हैं आगाह
नई दिल्ली- हिंद महासागर के अंदर दो विशाल टेक्टनोनिक प्लेट दो भागों में टूटती जा रही हैं, एक रिसर्च में बहुत बड़ा खुलासा हुआ है। शोध में ये बात तब सामने आई जब 2012 में हिंद महासागर में रिक्टर स्केल पर 8 से भी ज्यादा तीव्रता वाले दो भूकंप के झटकों का अध्ययन शुरू किया गया। हालांकि, अनुसंधान में ये पाया गया है कि इंसानों के लिए समंदर के अंदर हो रही ये टूट बहुत धीरे हो रही है और निकट भविष्य में इसको लेकर ज्यादा चिंतित होने की बात नहीं है। लेकिन, ये सच है कि वो दोनों बड़े भूकंप की वजह टेक्टोनिक प्लेट में पड़ रही यही दरार है, जो हर पल चौड़ी होती जा रही है।
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हिंद महासागर के अंदर दो हिस्सों में बंट रही है धरती
एक नई स्टडी में ये जानकारी सामने आई है कि हिंद महासागर के अंदर एक विशाल टेक्टोनिक प्लेट दो टुकड़ों में टूटती जा रही है। हालांकि लाइव साइंस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक इंडिया-ऑस्ट्रेलिया-कैपरीकॉर्न टेक्टोनिक प्लेट के नाम से जाना जाने वाले ये प्लेट फिलहाल बहुत ही धीमी रफ्तार से टूट रही हैं। दरअसल, हिंद महासागर के नीचे मौजदू केंद्रों वाले दो बड़े भूकंपों ने वैज्ञानिकों को यह सोचने को मजबूर कर दिया था कि धरती के अंदर कुछ तो हलचल हो रही है। यह भूकंप 11 अप्रैल, 2012 को हिंद महासागर में इंडोनेशिया के पास आया था, रिक्टर स्केल पर इनकी तीव्रता 8.6 और 8.2 थी। हालांकि, वैज्ञानिकों को इसमें कुछ असमान्य सा अनुभव हो रहा है कि जो भूकंप आए थे, वह उस स्थान पर नहीं थे, जहां पर टेक्टोनिक प्लेट के दो टुकड़े हो रहे हैं। बल्कि, ये भूकंप टेक्टोनिक प्लेट के बीच में एक अजीब सी जगह पर पैदा हुए थे।
धरती के अंदर मची है टूट-फूट
भूवैज्ञानिक
सुराग
के
आधार
पर
वैज्ञानिकों
का
कहना
है
कि
दोनों
भूकंप
से
उन्हें
संकेत
मिले
कि
धरती
के
अंदर
वॉरटन
बेसिन
के
इलाके
में
कुछ
टूट-फूट
मची
हुई
है।
पेरिस
की
इंस्टीट्यूट
ऑफ
अर्थ
फिजिक्स
में
समुद्री
भूविज्ञान
की
सीनियर
रिसर्चर
और
स्टडी
की
को-रिसर्चर
ऑरिली
कोड्यूरियर
का
कहना
है
कि
'यह
एक
पहली
की
तरह
है।........यह
एक
समान
प्लेट
नहीं
है।
वहां
पर
तीन
प्लेट
हैं
जो
काफी
हद
तक
एक-दूसरे
से
बंधे
हुए
हैं
और
साथ
मिलकर
एक
ही
दिशा
में
बढ़
रहे
हैं।
'इसलिए
वैज्ञानिकों
ने
इसी
फ्रैक्चर
जोन
पर
अपनी
रिसर्च
को
ज्यादा
फोकस
किया
था।
(ऑरिली
की
तस्वीर
सौजन्य-ट्विटर)
धरती की टूट की रफ्तार बहुत ही धीमी है
रिपोर्ट में बताया गया है कि अभी इस विशाल चट्टानी टेक्टोनिक प्लेट की टूटने की रफ्तार एक साल में करीब 0.06 इंच (1.7 मिलीमीटर) है। इसका मतलब वैज्ञानिकों ने ये बताया है कि अगले 10 लाख साल में ये प्लेट एक-दूसरे से टूट कर करीब 1 मील दूर खिसक जाएंगे, यानि 1.7 किलोमीटर। रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि एक इंसान के लिए धरती के इन दो विशालकाय भूगर्भीय प्लेटों को टूटने में अनंतकाल का समय लगने वाला है। वैज्ञानिकों की भाषा में इंसानों की नजर में धरती की संरचना में यह टूट-फूट बहुत धीरे हो रही है, लेकिन धरती के लिए यह एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। क्योंकि, प्लेटों के खिसकने अथवा टूटने से पृथ्वी की आंतरिक संरचना में बहुत बड़े बदलाव आते हैं।
उस इलाके में भी किसी बड़े भूकंप की आशंका नहीं
शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि इंडिया-ऑस्ट्रेलिया-कैपरीकॉर्न अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग गति से आगे बढ़े रहे हैं। हालांकि, अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि क्योंकि टूट की रफ्तार बहुत ही धीमी है, इसलिए इस खास फॉल्ट पर दूसरा भूकंप अगले 20,000 वर्षों तक आने की संभावना नहीं है। यही नहीं इस तरह से उस हिस्से में टेक्टोनिक प्लेट को पूरी तरह से टूट कर अलग होने में करोड़ों साल लग जाएंगे।
धरती के अंदर हो रहे बदलाव के कुछ उदाहरण
वैज्ञानिकों
ने
धरती
में
हो
रहे
इस
तरह
के
कुछ
बदलाव
के
उदाहरण
भी
दिए
हैं।
मसलन,
मध्य-पूर्व
में
मृत
सागर
फॉल्ट
0.2
इंच
(0.4
सेंटी
मीटर)
सालाना
की
गति
से
अलग
होता
जा
रही
है।
वहीं
कैलिफोर्निया
में
सैन
एंड्रियाज
फॉल्ट
इससे
कहीं
तेजी
से
0.7
इंच
(1.8
सेंटी
मीटर)
सालाना
की
रफ्तर
से
अलग
हो
रही
है।
(कुछ
तस्वीरें
प्रतीकात्मक
सौजन्य:
सोशल
मीडिया)