CDS जनरल बिपिन रावत पीएम मोदी को देंगे सलाह, कब दबाना है परमाणु बम का बटन!
नई दिल्ली। जनरल बिपिन रावत आज सेना प्रमुख के पद से रिटायर हो जाएंगे और एक जनवरी को उनके पास नई जिम्मेदारी होगी। वह नए साल के मौके पर देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानी सीडीएस का जिम्मा संभाल लेंगे। बतौर फोर स्टार जनरल, जनरल रावत सरकार के मिलिट्री सलाहकार होंगे। जनरल रावत के पास डिर्पाटमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स होगा और वह इसके मुखिया के तौर पर काम करेंगे। बतौर सीडीएस जनरल रावत देश की न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी (एनसीए) के रक्षा सलाहकार होंगे यानी संकट के समय जनरल रावत ही वह शख्स होंगे जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को किसी देश पर परमाणु हमले के बारे में सलाह दे सकेंगे।
कमांड के सलाहकार अब हैं जनरल रावत
चार जनवरी 2003 को कैबिनेट की सुरक्षा समिति की ओर से एनसीए यानी न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी का गठन किया गया था। इस अथॉरिटी के तहत पॉलिटिकल और एग्जिक्यूटिव दो प्रकार की काउंसिल को मंजूरी दी गई थी। जहां इसकी एग्जिक्यूटिव काउंसिल का मुखिया राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) होता है जो पॉलिटिकल काउंसिल प्रधानमंत्री की देखरेख में काम करती है। एनसीए, स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड के निर्देशों पर काम करती है। मगर अब जबकि सीडीएस के तौर पर जनरल रावत जिम्मेदारी संभाल लेंगे तो वह देश की न्यूक्लियर कमांड के लिए सलाहकार का काम करेंगे। न्यूक्लियर कमांड, यह तय करती है कि परमाणु हथियारों का प्रयोग सही ढंग से हो रहा हो।
तो क्या जनरल रावत के हाथ में होगा कंट्रोल
वेबसाइट द प्रिंट ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि यह बात तय हो चुकी है कि स्ट्रैटेकिजक कमांड फोर्स का ऑपरेशनल और प्रशासनिक कंट्रोल जैसा है वैसा ही रहेगा। यानी एनएसए के जरिए पीएम ही इसे नियंत्रित करेंगे। आपको बता दें कि पीएम मोदी एनसीए की जिस पॉलिटिकल काउंसिल की अध्यक्षता करते हैं, उस पर ही यह जिम्मेदारी है कि कब किस देश पर परमाणु हमले का फैसला लेना है। भारत के पास अभी तक अमेरिका की तर्ज पर न्यूक्लियर कमांड, कंट्रोल और कम्यूनिकेशंस सिस्टम नहीं है। वहीं एग्जिक्यूटिव काउंसिल में एनएसए के अलावा तीनों सेनाओं के प्रमुख, डीआरडीओ के टॉप ऑफिसर्स और एटॉमिक एजेंसी के दूसरे अधिकारी भी शामिल होते हैं।
थियेटर कमांड को निर्देश दे सकेंगे जनरल रावत
सीडीएस, तीनों सेना प्रमुखों से भी ऊपर की रैंक है। सीडीएस की कुर्सी पर आने के बाद जनरल रावत के पास पहली जिम्मेदारी होगी कि वह तीनों सेनाओं के बीच एकीकरण और सेनाओं के बीच आपसी सामंजस्य को कायम करने में ध्यान देंगे। इसके अलावा रक्षा खरीद प्रक्रिया की जिम्मेदारी भी अब जनरल रावत पर होगी। उनका जिम्मा होगा कि वह खरीद प्रक्रिया को जितना छोटा कर सकते हैं, कर दें। सीडीएस की यह जिम्मेदारी भी होगी कि वह सेना, वायुसेना और नौसेना के प्रमुखों को युद्ध या संकट की स्थिति में थियेटर कमांड बनाने की अथॉरिटी दे सके।
मार्च 2023 तक होगा रावत का कार्यकाल!
बतौर सीडीएस रावत का कार्यकाल कितने समय का होगा, इस पर अभी संशय बरकरार है। मगर बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट की मानें तो रावत मार्च 2023 तक इस पद पर रहेंगे। फिलहाल रावत की उम्र 62 साल है यानी जब वह 65 साल के हो जाएंगे तब रिटायर होंगे। उनकी सैलरी और बाकी भत्ते, बाकी सेना प्रमुखों के बराबर ही होंगे। सीडीएस का कार्यकाल हालांकि तय अवधि वाला होगा।