ऊंचाई पर जंग के माहिर थे बिपिन रावत, सर्जिकल स्ट्राइक कर पाकिस्तान से लिया था उरी हमले का बदला
नई दिल्ली 8 दिसंबर। तमिलनाडु के कोयंबटूर और सुलूर केबीच कुन्नूर के घने जंगल में भीषण हादसा हुआ है। वायुसेना का हेलिकॉप्टर एमआई17-वी5 दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हेलिकॉप्टर में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत और उनके परिवार के कुछ लोग सवार थे। डीएस जनरल बिपिन रावत के हेलिकॉप्टर क्रैश की खबर आते ही हड़कंप मचा है। देश के पहले सीडीएस बिपिन रावत इस हादसे में शहीद हो गए। इस हादसे नमें उनकी पत्नी की भी मौत हो गई है।

ऊंचाई पर लड़ाई में माहिर थे बिपिन रावत
देश के पहले सीडीएस बिपिन रावत आर्मी चीफ के पद से 31 दिसंबर 2019 को रिटायर हुए, उन्हें 31 दिसंबर 2016 को आर्मी चीफ बनाए गया था। बतैर आर्मी चीफ बिपिन रावत ने काफी काम किया खास कर अशांत इलाकों में उनके काम को देखते हुए केंद्र सरकार ने जनरल रावत को आर्मी चीफ की कमान सौंपी थी। जनरल बिपिन रावत को पूर्वी सेक्टर में LoC, कश्मीर, पूर्वोत्तर में काम किया। उन्हें ऊंचाई पर लड़ाई में महारथ हासिल है। उन्हें ऊंचाई पर जंग लड़ने और काउंटर अटैक यानी जवाबी कार्रवाई में माहिर माना जाता था।

पाकिस्तान से लिया उरी हमले का बदला
2016 में उरी में भारतीय कैंप पर हुए आतंकी हमला का बदला भारत से सर्जिकल स्ट्राइक से लिया। उस समय आर्मी चीफ बिपिन रावत के नेतृत्व में भारतीय सेना ने पीओके में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक कर कई आतंकी शिविरों को नष्ट कर दिया था। जनरल रावत ने अपने ट्रेंड पैरा कमांडों की मदद से सर्जिकल स्टाइकल को अंजाम दिया और पीओके में कई आतंकियों के ठिकानों को ध्वस्त कर दिया। जनरल रावत के नेतृत्व में भारतीय सेना ने देश की सीमा के पार जाकर आतंकी शिविरों को खत्म कर आंतकियों का खात्मा किया।

म्यांमार ऑपरेशन में अहम रोल
जनरल बिपिन रावत ने 2015 में मणिपुर में हुए आंतकी हमले का बदला लेते हुए सीमा पार जाकर म्नांमार में घपसकर आंतकी संगठन एमएससीएन के कई आतंकियों को ढेर किया था। आपको बता दें कि जून 2015 में मणिपुर में हुए आतंकी हमले में सेना के कुल 18 जवान शहीद हो गए थे। 21 पैरा कमांडर ने भारतीय सीमा के पार जाकर आतंकियों को खात्मा किया और उनके ठिकानों को ध्वस्त किया। उस वक्त 21 पैरा थर्ड कॉर्प्स के अधीन थी, जिसके कमांडर बिपिन रावत थे।

कठिन परिस्थितियों में काम का लंबा अनुभव
बिपिन रावत ने सेना में रहते हुए अपना लंबा वक्त एलओसी, चीना सीमा, नार्थ ईस्ट में गुजारा है। उन्हें विकट परिस्थितियों में काम का लंबा अनुभव है। उन्होंने कश्मीर घाटी में पहले नेशनल राइफ्लस में ब्रिगिडेयर और फिर मेजर-जनरल के तौर पर कमान संभाली।

चीन से लिया लोहा
न केवल पाकिस्तान से बदला लिया बल्कि जनरल बिपिन रावत ने चीन से भी लोहा लिया। जनरल बिपिन रावत गोरखा ब्रिगेड से निकलने वाले पांचवें अफसर हैं जिन्होंने आर्मी चीफा की कमान संभाली। 1987 में चीन के साथ छोटे युद्ध के समय जनरल बिपिन रावत की बटालियन ने चीनी सेना से सीधी टक्कर लेकर भारतीय सेना का लोहा मनवाया था।

अशांत इलाकों में काम करने में महारथी
जनरल बिपिन रावत के पास अशांत इलाकों चाहे वो नार्थ ईस्ट हो या आतंक प्रभावित कश्मीर, उन्हें विषम परिस्थियों में काम का लंबा अनुभव है। उन्होंने नार्थ में मिलटरी फोर्स के पुनर्गठन में अहम भागीदारी निभाई। वहीं पश्चिमी फ्रंट पर जारी आतंकवाद व प्रॉक्सी वॉर और पूर्वोत्तर में संदऱ्, के दौरान उन्होंनेअहम भागीदारी निभाई।

बिपिन रावत की बड़ी उपलब्धियां
उन्हें भारतीय सैन्य अकादमी में उन्हें सोर्ड ऑफ ऑनर मिला। साल 1986 में उन्हें चीन से सटी सीमा एलएसी पर इंफैंट्री बटालियन के प्रमुख की जिम्मेदारी मिली। उन्होंने राष्ट्रीय राइफल्स के एक सेक्टर और कश्मीर घाटी में 19 इन्फेन्ट्री डिवीजन की भी कमान संभाली। उन्होंने कॉन्गो में संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन की भी कमान संभाली।

लाल किले से पीएम मोदी ने किया था ये ऐलान
उनके कामों को देखते हुए उन्हें 1 सितंबर 2016 को उप सेना प्रमुख की जिम्मेदारी दी गई। 31 दिसंबर 2016 को उन्हें सेना प्रमुख की जिम्मेदारी दी गई। वहीं 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लालकिले से चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद बनाए जाने की घोषणा की और 30 दिसंबर 2019 को उन्हें भारत के पहले सीडीएस के तौर पर नियुक्ति किया गया।
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