गहलोत-पायलट टकरावः 'फेक न्यूज' चलाने के आरोप में दो पत्रकारों के खिलाफ दर्ज हुई प्राथमिकी
नई दिल्ली। अगस्त महीने में राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच राजनीतिक कहासुनी के बीच फेक न्यूज चलाने के आरोप को जयपुर पुलिस ने दो पत्रकारों को बुक किया है। गत 1 अक्टूबर को फेक न्यूज चलाने के मामले में राजस्थान आजतक के पत्रकार शरत कुमार और XYZ न्यूज एजेंसी के पत्रकार लोकेंद्र सिंह के खिलाफप्राथमिकी दर्ज की गई थी।
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विधायकपुरी थाने में 1 अक्टूबर को पत्रकारों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुई
राजधानी जयपुर के विधायकपुरी पुलिस स्टेशन में राजस्थान आजतक के पत्रकार शरत कुमार पर गत 1 अक्टूबर को मुकदमा दर्ज किया गया है, जबकि दूसरी प्राथमिकी XYZ न्यूज एजेंसी के पत्रकार लोकेंद्र सिंह के खिलाफ दर्ज की गई थी। लोकेंद्र सिंह पायलट के साथ जुड़े हुए हैं, जो सोशल मीडिया पर उनकी प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हैं, जिस पर प्रतिक्रिया देते हुए सिंह ने प्राथमिकी को राजनीति से प्रेरित बताया है।
दोनों पत्रकारों पर अवैध फोन टैपिंग के बारे गलत रिपोर्ट गढ़ने का है आरोप
विशेष अपराधों और साइबर अपराध-आयुक्त के थानाधिकारी (एसएचओ) ने दर्ज प्राथमिकी में दोनों पत्रकारों पर जैसलमेर के एक होटल में मौजूद कांग्रेस विधायकों और मंत्रियों के अवैध फोन टैपिंग के बारे एक गलत रिपोर्ट गढ़ने का आरोप लगाया है, जबकि वह जयपुर के मानसरोवर के एक होटल से किया जा रहा था। हालांकि जुलाई में राजस्थान में गहलोत और पायलट के बीच जारी टकराव के बीच उठे सियासी संकट के दौरान राजस्थान कांग्रेस ने अशोक गहलोत खेमे के विधायकों को अगस्त में विधानसभा सत्र से पहले हॉर्स ट्रे़डिंग के डर से उन्हें जयपुर के एक होटल से निकालकर जैसलमेर स्थानांतरित कर दिया था।
पत्रकारों द्वारा भ्रामक, आधारहीन, फर्जी व सनसनीखेज खबरें बनाई गईंः FIR
एफआईआर में कहा गया है कि राजस्थान आज तक के पत्रकार शरत कुमार द्वारा ऐसी भ्रामक, आधारहीन, फर्जी और सनसनीखेज खबरें बनाई गईं और सोशल मीडिया और समाचार चैनल पर प्रसारित की गईं। उक्त खबर 7 अगस्त को चलाई गई थी। आजतक के पत्रकार शरत कुमार के खिलाफ सूचना प्रौद्योगिकी (संशोधन) अधिनियम, 2008 की धारा 76 समेत भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।
7 अगस्त को व्हाट्सएप पर एक भ्रामक जानकारी प्रसारित की जा रही थी
दर्ज किए गए प्राथमिकी में कहा गया है कि गत 7 अगस्त को व्हाट्सएप पर एक "भ्रामक जानकारी" प्रसारित की जा रही थी कि जैसलमेर के सूर्यगढ़ होटल में रहने वाले मंत्रियों और विधायकों की अवैध फोन टैपिंग की जा रही थी और होटल में चार जैमर लगाए गए थे और यह जयपुर के मानसरोवर क्षेत्र में एक होटल से चलाया जा रहा था, जिसमें एक निजी दूरसंचार कंपनी के अधिकारी शामिल थे।
जांच के बाद पुलिस ने 1 अक्टूबर को पत्रकारों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की
प्राथमिकी में आगे कहा गया है कि इस मामले को 7 अगस्त को जयपुर में पुलिस नियंत्रण कक्ष के ड्यूटी अधिकारी द्वारा विशेष अपराधों और साइबर अपराध के एसएचओ को बताया गया था, जिसके बाद एसएचओ द्वारा मामले में एक शिकायत दर्ज की गई और जांच की गई थी और जांच के बाद पुलिस ने 1 अक्टूबर को उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की। हालांकि जांच अधिकारी ओमप्रकाश मतवा टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं थे।
जुलाई में सचिन पायलट नेतृत्व में 18 अन्य MLA ने विद्रोही तेवर अपनाए थे
दरअसल, जुलाई महीने में सचिन पायलट नेतृत्व में 18 अन्य विधायकों के विद्रोह के साथ गहलोत और पायलट के बीच का झगड़ा बाहर आया था, जिससे लगभग एक महीने तक राजस्थान में राजनीतिक संकट बना रहा। इसके लिए गहलोत और उनके अन्य नेताओं ने उनकी सरकार को गिराने की कोशिश के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया, जबकि पायलट को प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) के अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री के पद से हटाया गया। इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पुनिया ने कहा कि गहलोत लोकतंत्र के बारे में बड़ी बात करते हैं, लेकिन मीडिया को दबा रहे हैं।
एक महीने तक राजस्थान में चले राजनीतिक संकट का अंत अगस्त में हुआ
उल्लेखनीय है करीब एक महीने तक चले राजस्थान में चले राजनीतिक संकट का अंत अगस्त में महीने में हुआ जब पायलट और अन्य विधायकों ने नई दिल्ली में कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मुलाकात की और शिकायतों को देखने के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) द्वारा तीन सदस्यों की एक समिति का गठन कर दिया गया।