अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री गेगांग अपांग ने भाजपा छोड़ी, कहा- पार्टी में लोकतंत्र नहीं
ईटानगर। अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री गेगांग अपांग ने भारतीय जनता पार्टी छोड़ दी है। मंगलवार को उन्होंने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को अपना इस्तीफा भेज दिया। गेगांग अपांग 23 साल तक अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। 2014 में अपांग कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। करीब पांच साल तक वो भाजपा में रहे।
पार्टी ने सिद्धान्तों को ताक पर रख दिया
गेगांग अपांग ने अपने इस्तीफे में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से कहा है कि मैं यह देखकर निराश हूं कि बीजेपी अब दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी के सिद्धातों पर नहीं चल रही। बल्कि सिर्फ सत्ता हासिल करने की कोशिश की जा रही है चाहे जो तरीका अपनाना पड़े। पार्टी एक नेता की मुट्ठी में है, जो लोकतांत्रिक निर्णय प्रक्रिया में ही यकीन नहीं करता है। ना ही उन मूल्यों को मानता है, जिनके लिए पार्टी की स्थापना हुई थी।
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भाजपा ने तिकड़म से सरकार बनाई
अपांग ने कहा है कि बीजेपी को अरुणाचल प्रदेश में 2014 में जनादेश नहीं मिला था लेकिन पार्टी ने नैतिकता का ख्याल नहीं रखा। नेतृत्व ने खरीद-फरोख्त कर कालिखो पुल को मुख्यमंत्री बनवा दिया। सुप्रीम कोर्ट से विरोध में फैसले के बावजूद बीजेपी ने सरकार गठित की। अपांग ने कहा है कि कालिखो की आत्महत्या की कोई उचित जांच कराई गई। उन्होंने कहा है कि 10-11 नवंबर को पासीघाट में हुई राज्यस्तरीय कार्यकारिणी की बैठक के दौरान बीजेपी महासचिव राम माधव ने कई सदस्यों और पदाधिकारियों को अपने विचार तक नहीं रखने दिए।
अपांग ने कहा है कि केंद्र सरकार सरकारी योजनाओं को आमलोगों तक पहुंचाने के मुद्दे पर नाकाम रही है। नगा शांति वार्ता, चकमा-हाजोंग मुद्दा, नागरिकता बिल जैसे मुद्दों पर सरकार फेल है, वहं बांग्लादेश, म्यांमार और चीन जैसे पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण संबंध स्थापित करने जैसे अहम मुद्दों का समाधान खोजने में मोदी सरकार नाकाम रही है।
सात बार रहे विधायक, 23 साल मुख्यमंत्री
गेगांग अपांग अरुणाचल प्रदेश के सबसे सीनियर नेताओं में शुमार हैं। वो सात बार विधायक और 23 साल तक अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं। अपने इस्तीफे में भी उन्होंने कहा है कि वो इंदिरा गांधी, राजीव गांधी से लेकर वाजपेयी और मनमोहन सिंह के साथ का कर चुके हैं लेकिन इस सरकार ने उन्हें निराश किया है।
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