GD Agarwal Profile: आईआईटी के पूर्व प्रोफेसर जिसने गंगा को बचाने के लिए दे दी अपनी जान
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ऋषिकेश। गंगा की सफाई को लेकर 111 दिन से अनशन पर बैठे पर्यावरणविद् जीडी अग्रवाल का 86 साल की उम्र में निधन हो गया है। पिछले दिनों उनको ऋषिकेश के एम्स में भर्ती कराया गया था जहां उन्होंने आखिरी सांस ली। बता दें कि जीडी अग्रवाल ने गंगा की सफाई के मुद्दे पर साल 2012 में पहली बार आमरण अनशन पर बैठए थे। इसके बाद 22 जून 2018 से उन्होंने हरिद्वार के कनखल के जगजीतपुर स्थित मातृदसन आश्रम में दोबार आमरण अनशन शुरू किया था। दो दिन पहले उन्होंने जल भी त्याग दिया था। आइए जान लेते हैं कि आखिरी ये जीडी अग्रवाल कौन थे और इनकी शिक्षा दीक्षा कितनी थी और कहां के रहने वाले थे।
खुद थे आइआइटी
1932 में जन्मे जीडी अग्रवाल का कांधला, मुजफ्फरनगर (उ.प्र.) जन्म स्थान है। स्कूली शिक्षा के बाद जीडी अग्रवाल ने आइआइटी रूड़की से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। इसके बाद इन्वायरमेंटल इंजीनियरिंग में डॉक्टरेट की उपाधि कैलिफॉर्निया विश्वविद्यालय से प्राप्त की। इसके बाद उत्तर प्रदेश के सिंचाई विभाग में डिजाइन इंजीनियर के तौर पर सेवा दी और फिर आइआइटी कानपुर में पढ़ाने लगे जहां इनको सिविल एवं पर्यावरण इंजीनियरिंग विभाग का प्रमुख भी बना दिया गया था। जीडी अग्रवाल को स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद के नाम भी जाना जाता है।
चार राज्यों में किया गंगा के लिए अनशन
जीडी अग्रवाल जिन्होंने गंगा को प्रदूषण से बचाने के लिए एक-दो नहीं बल्कि 2008 से 2012 के बीच कुल चार राज्यों में आमरण अनशन किया। यहां तक कि उनकी मांगे नहीं माने जाने पर उन्होंने जान देने की धमकी भी दी। गंगा की सफाई से नाखुस जीडी अग्रवाल ने साल 2012 में राष्ट्रीय गंगा बेसिन प्राधिकरण की सदस्या से त्याग पत्र दे दिया था। इसके साथ उन्होंने बाकी सदस्यों को भी त्याग पत्र देने की सलाह दी थी।
ये थी जीडी अग्रवाल की प्रमुख मांगे
अब बात कर लेते हैं जीडी अग्रवाल के मांगों की। जीडी अग्रवाल की मांग थी कि नदियों को प्रदुषण से रोकने के लिए उनका पर्यावरणीय प्रवाह बनाए रखा जाए। इसके साथ-साथ नदियों के किनारे किए गए अतिक्रमण को हटाया जाए। साथ-साथ इसके लिए एक प्रभावी कानून भी बनाया जाए।