गायत्री प्रजापति रेप केस मामले में नया मोड़, बयान से मुकर गई सरकारी गवाह
लखनऊ: यूपी में समाजवादी पार्टी की सरकार में मंत्री रहे गायत्री प्रजापति एक बार फिर चर्चा में हैं। गायत्री प्रजापति पर दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली महिला अब अपने बयान से पलट गई है। महिला और उसकी बेटी ने अपने बयान में कहा है कि गायत्री प्रजापति ने नहीं बल्कि उनके सहयोगियों ने उनके साथ दुष्कर्म किया है। बता दें कि इसी महिला के आरोप के बाद अखिलेश यादव की सरकार में तत्कालीन मंत्री रहे गायत्री प्रजापति के खिलाफ लखनऊ के एक पुलिस थाने में दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज हुई थी। यहां तक की जांच शुरू होने के बाद गायत्री प्रजापति को जेल भेज दिया गया।
महिला ने बयान में क्या कहा है?
गायत्री प्रजापति पर दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली महिला ने बताया है कि पूर्व मंत्री ने उनके साथ दुष्कर्म नहीं किया बल्कि उनके सहयोगी रहे राठ (हमीरपुर) निवासी रामसिंह और उसके साथियों ने उनके साथ दुष्कर्म किया है। बता दें कि पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति के खिलाफ दुराचार एवं पोक्सो एक्ट के तहत कार्रवाई की गई थी। लेकिन अब सरकारी पक्ष की एक प्रमुख गवाह ही अपने पुराने बयान से मुकर गई। अब इस मामले में कोर्ट ने उसका बयान एवं जिरह दर्ज कर दूसरे गवाह को एक अगस्त को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है।
समय पर उपस्थित हों दोनों पक्षों के वकील
मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि साक्षी संख्या चार को तलब किया जाए साथ में अभियुक्त भी तलब हो। अगली सुनवाई पर दोनों पक्षों के वकील को समय पर उपस्थित होने के लिए कहा गया है। सुनवाई के दौरान सरकारी पक्ष ने कोर्ट को सूचित किया कि गायत्री प्रजापति फिलहाल लखनऊ के जेल में बंद हैं। फिलहाल उनकी तबीयत ठीकक नहीं चल रही है कि इसलिए उनको अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इसलिए इस सुनवाई पर उनको पेश नहीं किया जा सका। सुनवाई में गायत्री प्रजापति को छोड़कर बाकी आरोपी अशोक तिवारी, आशीष शुक्ला, विकास वर्मा, अमरेंद्र सिंह, चंद्रपाल तथा रूपेश्वर को अदालत में पेश किया गया।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दर्ज हुआ था मुकदमा
बता दें कि जब यह मामला सामने आया था तब गायत्री प्रजापति मंत्री थे अखिलेश के करीबी माने जाते थे। ऐसी स्थिति में महिला की ओर से संगीन आरोप के बाद भी यूपी पुलिस केस दर्ज करने में आनाकानी कर रही थी। कई दिनों तक मामला ऐसी पड़ा रहा पीड़ित महिला थाने का चक्कर लगाती रही लेकिन केस दर्ज नहीं हुआ। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और इसके बाद कोर्ट ने यूपी पुलिस को ये आदेश दिया कि इस फैसले पर किसी तरह की कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए। प्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राजधानी लखनऊ के गौतम पल्ली थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी। पॉस्को एक्ट के तहत दर्ज हुए मुकदमें में पुलिस पूर्व मंत्री समेत सभी आरोपियों को अरेस्ट कर जेल भेज चुकी है।
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