पत्रकार गौरी लंकेश मर्डर केस: सवा दो करोड़ रुपये खर्च कर हत्या में प्रयोग हथियार ढूंढेगी पुलिस
नई दिल्ली। वरिष्ठ पत्रकार और जानीमानी समाजिक कार्यकर्ता गौरी लंकेश की हत्या के करीब दो साल बाद अभी भी हत्या में इस्तेमाल किए गए हथियार नहीं मिल सके हैं। एसआईटी खोजने के लिए हर संभव प्रयास कर चुकी है। अब एसआईटी ने उन हथियारों को खोजने के लिए एक खास मिशन शुरू करने जा रही है।
हत्या में इस्तेमाल किए गए 7.65 मिमी-कैलिबर की देसी पिस्तौल की खोज मुंबई के पास वसई नाले में बारिश और बाढ़ के थम जाने के बाद की जाएगी। इस खास मिशन की लागत 2.2 करोड़ रुपये से अधिक आंकी गई है। आपको बता दे कि गौरी लंकेश हत्याकांड की जांच में बस एक यही सबूम मिलना बाकी रह गया है।
कर्नाटक और महाराष्ट्र सरकार साझा करेंगे खर्च
कर्नाटक और महाराष्ट्र पुलिस इस खास मिशन के लिए आने वाली लागत को 30:70 के अनुपात में साझा करेंगे। उन्हें उम्मीद है कि इससे मामले की जांच में एक भी सबूत की कमी नहीं रहेगी। मामले में अब तक कुल 18 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। पुलिस बलों को उस खास इलाके में ड्रेजिंग के काम को करने के लिए विशेषज्ञों को नियुक्त करना होगा, जहां से उन्हें पता चले कि पिस्तौल कहां से फेंकी गई थी। उनका मानना है कि इसे एक पुल से फेंका गया था, जो इस साल मानसून के दौरान गहरे डूब गई होगी।
आपको बता दें कि हथियार का खोज इसलिए भी जरूरी है कि क्योंकि इससे चार हत्याओं की कडियां मिलती हैं। ये हत्याएं महाराष्ट्र में नरेंद्र दाभोलकर, गोविंद पानसरे, कर्नाटक में गौरी लंकेश और एमएम कलबुर्गी की हुई थीं। उल्लेखनीय है कि पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या साल 2017 में हुई थी। इस सनसनीखेज घटना के तुरंत बाद एक जांच टीम बनाई गई थी जिसमें एमएन अनुचेथ जांच अधिकारी थे। अनुचेथ और उनकी टीम के 40-50 अधिकारियों ने 15-16 महीने में गौरी लंकेश हत्या मामले की गुत्थी सुलझा ली। गौरी लंकेश हत्या मामले की जांच के दौरान कलबुर्गी मामले की गुत्थी भी सुलझ गई। सुप्रीम कोर्ट ने अभी हाल में आदेश दिया कि गौरी लंकेश मामले की जांच करने वाली एसआईटी ही कलबुर्गी मामले की जांच करेगी।