कूड़ा उठाने वाले ने 1 लाख में बनवाई अपनी मूर्ति, 10 लाख की जमीन खरीद कर करवाया स्थापित
नई दिल्ली। हम सभी अपने सपनों को पूरा करने के लिए जी-तोड़ मेहनत करते हैं लेकिन बहुत कम ही लोग होते हैं जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए जुनून की सारी हदें पार कर जाते हैं। तमिलनाडु से एक ऐसा ही अजीबोगरीब मामला सामने आया है जहां कूड़ा उठाने वाले 60-वर्षीय शख्स का सपना था कि किसी स्थान पर उसकी अपनी प्रतिमा भी हो। हैरानी बात यह है कि उस व्यक्ति ने अपने इस जुनून को पूरा करने के लिए जिंदगी भर की जमा पूंजी खर्च कर दी।
तमिलनाडु के शख्स ने स्थापित कराई खुद की मूर्ति
दरअसल, तमिलनाडु के सलेम जिले के अथानुरपट्टी गांव के नल्लथम्बी ने अपनी मूर्ति लगवाने के लिए कूड़ बीनकर जमा किए 10 लाख रुपए खर्च कर दिए। पूरी जीवन कचरा बीनने वाले के रूप में गुजारने वाले नल्लथम्बी ने आखिरकार अपना सपना पूरा किया और पांछ फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित कर दी। नल्लथंबी पहले राजमिस्त्री के तौर पर काम कर रहे थे लेकिन करीब 20 साल पहले घरेलू झगड़े के बाद घर छोड़ा दिया था।
खर्च की जीवन भर की पूंजी
इसके बाद उन्होंने कचरा बीनने का काम शुरू किया और एक-एक रुपया जोड़ने लगे। नल्लथम्बी ने पूरी जिंदगी कचरा बीनकर जमा किए गए 11 लाख रुपये जमा किए और इन्हें जमीन खरीदने में खर्च कर दिया। रविवार को उसने अपनी जमीन पर अपनी प्रतिमा स्थापित की है। नल्लथम्बी को अपनी प्रतिमा स्थापित करने के लिए जमीन की आवश्यकता थी जिसकी तलाश उन्होंने बहुत पहले से ही शुरू कर दी थी।
बचपन में देखा था खुद की मूर्ति का सपना
नल्लथम्बी ने कहा, 'जब मैं छोटा था तो मुझे अपनी खुद की एक मूर्ति चाहिए थी। उसकी मदद से मैं अपने लिए एक नाम बनाना चाहता था। मैंने अपना सपना अब पूरा कर लिया है। उन्होंने 20 साल पहले अपने परिवार को छोड़ दिया था।' नल्लथम्बी बताते हैं कि उन्होंने पहले एक राजमिस्त्री के रूप में काम किया लेकिन परिवार के साथ विवाद के बाद उन्होंने घर छोड़ दिया। इसके बाद वह सलेम जिले के अथानुरपट्टी गांव में आ गए।
मूर्तिकार को दिए एक लाख रुपए
नल्लथम्बी की पत्नी और बेटा उनके साथ नहीं आए और वह अभी भी उनके पैतृक गांव में ही रहते हैं। नल्लथम्बी ने राजमिस्त्री के तौर पर और कूड़ा बीनकर 60 वर्ष की उम्र तक करीब 11 लाख रुपए इकट्ठा कर लिए। इसमें से 10 लाख रुपए में उन्होंने वझापाड़ी-बेलूर गांव रोड पर दो प्लॉट खरीदे। कचरा बीनकर हर रोज 250 से 300 रुपए कमाने वाले नल्लथम्बी एक लाख रुपए मूर्तिकार को दिए जिसने उनकी प्रतिमा बनाई। इसके बाद उन्होंने अपनी मूर्ति को खरीदी गई जमीन पर स्थापित किया।
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