गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर को लेकर कटघरे में STF की थ्यौरी, इन सवालों का जवाब देना होगा मुश्किल
नोएडा। कानपुर एनकाउंटर में 8 पुलिसकर्मियों की बेरहमी से हत्या करने वाले हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे का शुक्रवार सुबह कानपुर से 17 किमी पहले एनकाउंटर कर दिया गया। पुलिस की जो थ्यौरी है उसके मुताबिक उत्तर प्रदेश एसटीएफ की टीम विकास दुबे को उज्जैन से लेकर कानपुर आ रही थी। अचानक रास्ते में आए जानवरों को बचाने के चक्कर में वह गाड़ी पलट गई जिसमें दुबे बैठा हुआ था। दुबे ने मौके का फायदा उठाकर भागने का प्रयास किया जिसमें वह मारा गया। शुक्रवार शाम करीब छह बजे कानपुर के हैलट अस्पताल में तीन डॉक्टरों अरविंद अवस्थी, शशिकांत मिश्र और विपुल चतुर्वेदी के पैनल ने करीब दो घंटे वीडियोग्राफी के बीच पोस्टमार्टम किया और देर शाम कड़ी सुरक्षा के बीच उसका अंतिम संस्कार भी कर दिया गया। पुलिस की इस थ्यौरी पर सवाल उठ रहे हैं। एचटीएफ ने एनकाउंटर की जो पूरी कहानी सुनाई है वो सवालों के घेरे में है। आइए जानते हैं वो बड़े सवाल जिसपर लग रहे हैं सवालिया निशान
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STF ने कहा मवेशियों को बचाने में फिसल गई गाड़ी, मौके पर कहीं नहीं है फिसलने के निशान?
एसटीएफ का कहना है कि गाय-भैंस के झुंड को बचाने के लिए सरकारी गाड़ी के ड्राइवर ने गाड़ी को मोड़ने का प्रयास किया जिस चक्कर में गाड़ी सड़क पर फिसल गई। हालांकि, इस दुर्घटना के बाद जितनी भी तस्वीरें मीडिया में सामने आई हैं, उनमें कहीं भी सड़क पर वाहन फिसलने के निशान नजर नहीं आ रहे हैं। जब भी कोई बड़ा सड़क हादसा होता है तो वाहन काफी दूर घिसटते हुए चला जाता है पर इस मामले में ऐसा कुछ भी नहीं नजर आया। ऐसे में यदि इसे संयोग मान लिया जाए तो भी बड़ा सवाल यह है कि जब इतने बड़े अपराधी को पुलिस गाड़ी में ला रही थी तो उसके हाथ खुले क्यों थे? क्या उसे हथकड़ी नहीं लगाई गई थी?
जब वो गिरफ्तारी के लिए तैयार था तो भागने की कोशिश क्यों करेगा?
एक दिन पहले जिस तरह विकास दुबे की गिरफ्तारी हुई उसको लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। बताया जा रहा है कि उसने खुद मंदिर परिसर में कुछ लोगों को अपनी पहचान बताई थी। यदि वह गिरफ्तारी के लिए तैयार नहीं था तो एक हाई सिक्यॉरिटी जोन में क्यों गया? यदि कल गिरफ्तारी के लिए तैयार था तो आज उसने भागने की कोशिश क्यों की?
मीडिया को नाके पर क्यों रोका गया?
मीडियाकर्मियों का दावा है कि वे भी उस काफिले के साथ ही उज्जैन से आ रहे थे, लेकिन दुर्घटना स्थल से कुछ पहले मीडिया और सड़क पर चल रही निजी गाड़ियों को रोक दिया गया था। न्यूज एजेंसी एएनआई ने भी इसका फुटेज जारी किया है। आखिर क्यों मीडिया को आगे बढ़ने से कुछ देर के लिए रोक दिया गया था? यदि विकास ने भागने की कोशिश की तो उसके पैर में गोली क्यों नहीं मारी गई? इस तरह के और भी कई सवाल उठ रहे हैं, जिनका अभी पुलिस को जवाब देना होगा।
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