गैंगरेप, पत्थर से हमला और फिर जीने की कोशिश
जब स्वतंत्रता दिवस की सुबह आठ बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले की प्राचीर से देश को सम्बोधित कर रहे थे, वो लड़की डॉक्टरों की टीम से घिरी हुई थी. इनमें एक प्लास्टिक सर्जन, एक न्यूरो सर्जन, एक जनरल सर्जन और एक नेत्र विशेषज्ञ शामिल थे.
इन सबने तक़रीबन आठ घंटों तक उसके तमाम जख़्मों को ठीक करने की कोशिश की ताकि उसे जीने का एक और मौका मिल सके. ये उसकी पहली सर्जरी थी, आने वाले हफ़्ते में उसकी कई सर्जरी हुईं.
14 अगस्त की शाम जब उन्हें नागपुर के ऑरेंज सिटी अस्पताल लाया गया तो डॉक्टरों को लगा था कि उनके बचने की उम्मीद बहुत कम है. सिर और चेहरा पत्थरों से कुचला हुआ था. बाईं आंख की पुतली बाहर निकल आई थी, मुंह फटा हुआ था. उनके पूरे शरीर पर न जाने कितनी चोटें थीं, वो पूरी तरह ख़ून में लथपथ थी.
अस्पताल के क्रिटिकल केयर यूनिट के प्रमुख डॉ. राजेश अपने चेंबर में बैठकर उस शाम की याद करते हैं.
उन्होंने बीबीसी मराठी को बताया, "वो दर्द में तड़प रही थी. वो बहुत मुश्किल से और धीरे-धीरे सांस ले रही थी. उसकी खोपड़ी और मुंह बुरी तरह टूटा हुआ था."
डॉक्टरों के लिए यह एक इमरजेंसी थी. 26 साल की उस लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ था. हमलावरों ने ढाई किलो के पत्थर से उसका चेहरा और सिर कुचल दिया था.
ढाई किलो के पत्थर से हमला
यह लड़की नागपुर से तक़रीबन 85 किलोमीटर दूर उमरेड इलाके में कोयले की एक कंपनी वेस्टर्न कोलफ़ील्ड लिमिटेड (WCL) में काम करती थी. अपराध कंपनी की इमारत से कुछ दूरी पर हुआ, जहां दिन भर ट्रकों की कतारें लगी रहती हैं. लेकिन पुलिस का कहना है कि किसी ने अभियुक्तों को नहीं देखा.
हमलावरों ने दोपहर लगभग दो बजे एक सुनसान कच्चे टॉयलेट तक उसका पीछा किया.
डॉ. अटल कहते हैं, "जब वो हमारे पास आई, उसका ब्लड प्रेशर बहुत कम था. तब हमें लगा जैसे वक़्त हमारे हाथ से निकलता जा रहा है. उसे हमारे पास लाने में ज़रा सी भी देर होती तो जाने क्या हो जाता." अगले कुछ ही घंटों में डॉक्टरों की एक टीम उसकी हालत स्थिर करने में जुट गई. नतीजन, उस रात उसकी हालत स्थिर हो गई.
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जब स्वतंत्रता दिवस की सुबह आठ बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले की प्राचीर से देश को सम्बोधित कर रहे थे, वो लड़की डॉक्टरों की टीम से घिरी हुई थी. इनमें एक प्लास्टिक सर्जन, एक न्यूरो सर्जन, एक जनरल सर्जन और एक नेत्र विशेषज्ञ शामिल थे.
इन सबने तक़रीबन आठ घंटों तक उसके तमाम जख़्मों को ठीक करने की कोशिश की ताकि उसे जीने का एक और मौका मिल सके. ये उसकी पहली सर्जरी थी, आने वाले हफ़्ते में उसकी कई सर्जरी हुईं.
डॉ. अटल ने बताया, "उसकी खोपड़ी में कई जगह फ़्रैक्चर हुआ था. उसके दांत टूटे हुए थे. उसका मुंह भी पूरी तरह से कुचल दिया गया था. राहत की बात बस ये थी उसके मष्तिष्क के अंदरूनी हिस्से में कोई चोट नहीं आई थी. मैंने 25 साल के अपने करियर में इस तरह की बर्बरता नहीं देखी थी. लेकिन आज वो ठीक है, वो ख़तरे से बाहर है. वो अभी बोल नहीं पा रही है लेकिन इशारों से बातें कर रही हैं. कुछ दिनों वो बोलने भी लगेगी."
बलात्कार और हत्या की कोशिश
उमरेड की डीएसपी पूर्णिमा तावड़े कहती हैं, "लड़की का बयान हमारी जांच के लिए बेहद ज़रूरी है. पुलिस ने प्रमुख अभियुक्त ममलेश चक्रवर्ती (24 साल) और संतोष माली (40 साल) को गिरफ़्तार कर लिया है. उन पर आईपीसी की धारा 307 (हत्या की कोशिश) और 376 डी (बलात्कार) के तहत आरोप तय किए हैं. दोनों ही मध्य प्रदेश के दावोस के रहने वाले हैं और उमरेड की एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में काम करते हैं. वो इस खदान से देश के अलग-अलग हिस्सों में कोयला ले जाते थे.
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पुलिस ने बताया चक्रवर्ती सफ़ाईकर्मी और संतोष माली ड्राइवर का काम करते थे.
पुलिस का कहना है कि इन दोनों ने अपराध के वक़्त शराब पी रखी थी. दोनों ही इस वक़्त न्यायिक हिरासत में हैं. पुलिस का कहना है कि इस अपराध में दो से ज़्यादा लोग शामिल थे या नहीं, ये लड़की के बयान के बाद ही पता चलेगा.
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अस्पताल में मौजूद में लड़की की मां ने बीबीसी से कहा, "मेरी बेटी बोलेगी और अपराधियों को पकड़वाकर इंसाफ़ पाएगी.'' वो आंखों में आंसू भरकर कहती हैं, "मैं हमेशा उसके लिए चिंतित रहती थी. मुझे पता था कि वो कितनी मुश्किल हालात में काम करती है लेकिन वो मुझे और अपने पिता दोनों को ढांढस बढ़ाते हुए कहती थी कि वो अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती है. वो एक निडर लड़की है जिसके ढेरों सपने थे."
लड़की का परिवार छत्तीसगढ़ के भिलाई में रहता है.
इस घटना के बाद उमरेड में लोगों ने बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन किया था जिसके बाद राज्यमंत्री हंसराद हरीन ने कोयला खदान का दौरा किया और दोषियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई का आश्वासन दिया. बीबीसी मराठी ने डब्ल्यूसीएल के जन संपर्क अधिकारी को कई सवाल भेजे हैं जिनका जवाब आना अभी बाकी है.
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