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Gandhi Jayanti: जब अपनी मौत से 3 दिन पहले दिल्ली की दरगाह गए थे महात्मा गांधी

Gandhi Jayanti: जब अपनी मौत से 3 दिन पहले दिल्ली की दरगाह गए थे महात्मा गांधी

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नई दिल्ली: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की आज 151वीं जयंती है। गांधी जी 18 जनवरी, 1948 को अपना अंतिम उपवास समाप्त करने के नौ दिन बाद 27 जनवरी 1948 को दिल्ली में पवित्रता और शांति लाने के लिए दिल्ली के महरौली स्थित कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी दरगाह गए थे। उस समय दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा फैली थी। महात्मा गांधी का दिल्ली की दरगाह आखिरी दौरा माना जाता है। इस दौरे के ठीक तीन दिन बाद 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर 79 वर्षीय महात्मा गांधी की हत्या कर दी थी।

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Mahatma Gandhi

धर्म के नाम पर हो रहे दंगों से परेशान थे बापू

दिल्ली में कड़ाके की ठंड पड़ रही थी और सांप्रदायिक हिंसा को देखते हुए महात्मा गांधी दिल्ली की दरगाह 27 जनवरी 1948 को सुबह 8 बजे से पहले पहुंच गए। बापू इस बात से काफी परेशान थे कि धर्म के नाम पर मुसलमानों के जमीन पर हमला किया गया था। गांधी के साथ उस वक्त मौलाना आजाद और राज कुमारी अमृत कौर भी थीं। हालांकि बापू कुछ समय पहले ही उपवास से लौटे थे इसलिए वह काफी कमजोर और अस्वस्थ थे।

दिल्ली में उस वक्त दंगों के दौरान महरौली सहित कई मुस्लिम क्षेत्रों पर हमला किया गया था, दंगे के दौरान कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी दरगाह पर भी हमला किए गए थे। यहां तक कि दरगाह के कर्मचारियों ने भी इसे छोड़ दिया क्योंकि उन्हें अपने जीवन की आशंका थी। वे भी सुरक्षित स्थानों पर चले गए। दिल्ली में कई स्थानीय मुसलमानों को अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर शरण लेनी पड़ी थी।

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बापू के PA प्यारे लाल नायर ने दरगाह वाली घटना का किया जिक्र

महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के निजी सहायक (PA) प्यारे लाल नायर, ने 'महात्मा गांधी पूर्णाहुति' में लिखा है, दरगाह के कुछ हिस्से को क्षतिग्रस्त देखकर बापू काफी दुखी हुए थे। यहां पाकिस्तान से आने वाले शरणार्थियों द्वारा हमला किया गया था। सरकार ने ही उन्हें कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी दरगाह के करीब बसाया था। उस दिन बापू ने दरगाह में सभी से शांति से रहने की अपील की। उन्होंने शरणार्थियों को क्षतिग्रस्त क्षेत्र के पुनर्निर्माण के लिए कहा। गांधीजी ने प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से दरगाह की मरम्मत करवाने के लिए कहा क्योंकि दंगों के दौरान यहां व्यापक क्षति से वह काफी टूट गए थे। गांधी जी ने नेहरू से 50 हजार रुपये इसके मरम्मत के लिए आवंटित करने को कहा। उस वक्त यह एक बहुत बड़ी राशि थी।

दरगाह से वापसी के बाद बापू ने लिखा....

कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी दरगाह से वापस आने के बाद गांधी जी ने लिखा, "अजमेर स्थित दरगाह के अलावा यह (कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी दरगाह) दूसरी ऐसी जगह है, जहां हर साल मुसलमान ही नहीं, बल्कि हजारों गैर-मुस्लिम भी आते हैं।"

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दरगाह में संबोधित करते हुए गांधी जी ने सबको क्या कहा?

दरगाह में संबोधित करते हुए गांधी जी ने वहां जमा हुई भीड़ को कहा, ''मैं एक तीर्थ यात्रा पर आया हूं। मैं मुसलमानों, हिंदुओं और सिखों से अनुरोध करता हूं कि वे साफ दिलों के साथ यहां आए हैं और यह संकल्प लें कि वे कभी भी अपने सिर को बढ़ाने के लिए संघर्ष नहीं होने देंगे। सभी लोग यहां मेल- जोल से रहते हैं, दोस्तों और भाइयों के रूप में एकजुट होते हैं। हमें खुद को शुद्ध करना चाहिए और अपने विरोधियों से भी प्यार से मिलना चाहिए।"

दिल्ली में अपने 744 दिनों के दौरान गांधी सिर्फ दो धार्मिक स्थलों पर गए

महात्मा गांधी दिल्ली में 12 अप्रैल 1915 से लेकर 30 जनवरी 1948 तक 744 दिन दिल्ली में बिताए थे, इतने दिनों में बापू ने सिर्फ दो बार धार्मिक स्थलों का दौरा किया था। जिसमें एक था बिड़ला मंदिर। गांधी जी ने 22 सितंबर, 1939 को बिड़ला मंदिर का उद्घाटन इस शर्त पर किया था कि वहां दलितों को आने से रोका नहीं जाएगा। गांधी जी ने अपना दूसरी धार्मिक दौरान इसी दरगाह में 27 जनवरी 1948 को अपनी मौत से दिन पहले किया। हालांकि वह एक धर्मपरायण हिंदू थे।

गांधी जी दिल्ली में वाल्मीकि मंदिर के एक छोटे से कमरे में रहते थे, जहां वे वाल्मीकि समुदाय के बच्चों को पढ़ाते थे। ये वाल्मीकि मंदिर दिल्ली में उस वक्त रीडिंग रोड पर था और मौजूदा वक्ता में मंदिर मार्ग पर स्थित है।

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English summary
Gandhi Jayanti 2020: Mahatma Gandh Last act Visited Qutbuddin Bakhtiyar Kaki Dargah during Delhi violence. Just nine days after ending his last fast on January 18, 1948, to bring sanity in Delhi which was engulfed in unprecedented communal violence, and three days before he was assassinated on January 30, weak and weary 79-year-old Mahatma Gandhi was visiting the Qutbuddin Bakhtiyar Kaki Dargah in Mehrauli.
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