Gandhi Jayanti: महात्मा गांधी को भारत का पहला न्यूट्रीशनिस्ट और डाइट गुरु कहना गलत नहीं होगा
Gandhi Jayanti: महात्मा गांधी को भारत का पहला न्यूट्रीशनिस्ट और डाइट गुरु कहना गलत नहीं होगा
नई दिल्ली: भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mohandas Karamchand Gandhi) ने जितने प्रयोग सत्य और अहिंसा के लिए किए शायद उतना ही प्रयोग उन्होंने अपने खानपान की आदतों पर भी किए थे। भारत के स्वतंत्रता संग्राम के लिए महात्मा गांधी ने कुल 17 उपवास किए थे। इसी दौरान 1933 में महात्मा गांधी ने आत्म-शुद्धि के लिए 21 दिन का अपनी जिंदगी का सबसे लंबा उपवास रखा था। मोहनदास करमचंद गांधी (महात्मा गांधी) ने अपनी किताब में लिखा है, ''जबकि यह सच है कि मनुष्य हवा और पानी के बिना नहीं रह सकता है, लेकिन जो चीज शरीर का पोषण करती है वह भोजन है। इसलिए कहावत है, ''भोजन ही जीवन है।''
गांधी जी के लिए, भोजन को हमेशा तीन हिस्सों में बांटा जा सकता है। पहला- शाकाहारी भोजन। दूसरा- मांसाहारी खान और तीसरा एक मिश्रित आहार जिसमें आम तौर पर इन दोनों (शाकाहारी और मांसाहारी) खाद्य पदार्थों का मिश्रण होता। इतिहास कार रामचंद्र गुहा ने लिखा है कि जन्म से शाकाहारी होने के कारण, गांधी जी भोजन के पहले हिस्से (शाकाहारी) से चिपके रहें। लेकिन जब उन्होंने शाकाहारियों के लिए हेनरी साल्ट्स वेजी टू वेजीटेरियनिज्म (Henry Salt's Plea for Vegetarianism) को पढ़ा, उन्होंने अपनी इच्छा से शाकाहारी बनने का फैसला किया।
बापू को पसंद था बकरी के दूध का दही
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक गांधी जी को बकरी के दूध का दही बहुत पसंद था। गांधी जी हमेशा ही वायस रीगल लॉज (जो हिमाचल प्रदेश में है) जाया करते थे। जब भी वहां वह जाते अपने साथ बकरी के दूध के दही को ले जाते थे, और दूसरों को भी खाने के लिए देते थे।
Becoming Indian किताब में जिक्र किया गया है कि एक बार वायस रीगल लॉज में महात्मा गांधी को स्नैक्स और आइसक्रीम ऑफर किया गया तो उन्होंने उसे विनम्रता से मना कर दिया और बकरी के दूध का दही भरा कटोरा उन्होंने खाया, जो वह अपने साथ लेकर आए थे।
गांधी ने अपनी किताब में किया है डाइट का जिक्र
गांधी की पुस्तक Diet and Diet Reform के चैप्टर "फूड फैडिस्ट्स" (Food Faddists) में उन्होंने अपने भोजन के बारे में बताया। उन्होंने लिखा है कि कैसे उन्होंने एक्सपेरिमेंट करके अपना पांच पाउंड वजन घटाया था। किताब में उन्होंने लिखा कि, उनके साथियों को पता होना चाहिए कि वह क्या कर रहे थे। उन्होंने अपने डाइट का खुलासा किया।
गांधी ने लिखा, मैं आमतौर पर 8 तोला अंकुरित गेहूं, मीठे बादाम के 8 तोले का पेस्ट (पतला किया हुआ) , हरे पत्ते के 8 तोले, 6 खट्टे नींबू, दो चम्मस शहद। इन भोजन को मैं दो भागों में खाता हूं। पहला भोजन सुबह 11 बजे और दूसरा शाम 6.15 बजे लेता हूं। इसमें आग पर चढ़ी हुई एकमात्र चीज पानी है। मैं सुबह में और दिन में एक बार पानी, नींबू और शहद उबालकर पीता हूं।'' (एक तोला में तकरीबन 11 ग्राम वजह होता है)
खाने के साथ गांधी का प्रयोग
महात्मा गांधी को अपने आहार और पोषण के साथ बड़े पैमाने पर प्रयोग करने के लिए जाना जाता है। गांधी ने अपने "आहार संबंधी प्रयोगों को न केवल शाकाहारी से, बल्कि ब्रह्मचारी के दृष्टिकोण से भी आगे बढ़ाया।" गांधी का मानना था कि अगर आपने स्वाद पर काबू कर लिया तो व्रत करना कठीन नहीं है।
गांधी ने लिखा था- छह साल के प्रयोग से मुझे पता चला है कि ब्रह्मचारी का आदर्श भोजन ताजे फल और मेवे में है। जब मैं इस आहार में परिवर्तित हुआ तो मुझे इस बात का एहसाह हुआ।
महात्मा गांधी को फुल क्रीम दूध की जगह स्किम्ड मिल्क (skimmed milk) पसंद था। यह उनके व्यक्तित्व के मानवीय पक्ष को प्रकट करने में मदद करता है। लेकिन महात्मा गांधी का मानना था कि लोगों को क्या खाना खाना है ये उनपर छोड़ देना चाहिए। इसलिए उन्होंने लिखा था- सभी को खाने पर अपना प्रयोग करने दें और उनको तय करने दें कि उन्हें क्या खाना है।