Galwan Valley clash:साढ़े छह महीने बाद सामने आया नया सच, अमेरिकी रिपोर्ट से चीन बेनकाब
नई दिल्ली- पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में जून में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़पों के बाद एक अमेरिकी रिपोर्ट ने चीन को दुनिया के सामने बेनकाब कर दिया है। एक टॉप अमेरिकी सिक्योरिटी पैनल की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन की शी जिनपिंग सरकार ने गलवान की हिंसक झड़प की पूर्वनियोजित योजना बनाई थी, जिसमें भारतीय जवानों की संभावित हत्या को भी ध्यान में रखा गया था। अमेरिकी संसद में पेश अपनी वार्षिक रिपोर्ट में इकोनॉमिक एंड सिक्योरिटी रिव्यू कमीशन ने कहा है कि 15 जून को गलवान घाटी की घटना से कुछ हफ्ते पहले से चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव बढ़ाने के संकेत देना शुरू कर दिया था। गौरतलब है कि गलवान का संघर्ष दोनों देशों के सैनिकों के बीच कई दशकों के बाद इस तरह की पहली हिंसक झड़प थी।
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गलवान की सच्चाई पर चीन बेनकाब
अबतक यही लग रहा था कि 15-16 जून की दरमियान रात पूर्वी लद्दाख में भारतीय सैनिकों और चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी के जवानों के बीच जो हिंसक झड़प हुई थी, वह स्थिति अचानक पैदा हुई थी। लेकिन, अमेरिकी कांग्रेस में पेश की गई वहां कि एक सिक्योरिटी रिपोर्ट से यह धारणा बदल गई है। इस रिपोर्ट में साफ किया गया है कि चीन ने पूरी प्लानिंग के साथ भारतीय सैनिकों पर हमला किया था और उसका मकसद भारतीय जवानों को हताहत करना था। रिपोर्ट में इस बात की प्रमुखता के साथ जिक्र की गई है कि सबूतों से जाहिर ही कि चीन ने गलवान की घटना की इस तरह की योजना बना रखी थी,'जिसका अंजाम घातक होने की संभावना हो। '
गलवान में चीन ने रची पूर्वनियोजित साजिश-रिपोर्ट
रिपोर्ट में इसे उदाहरण देकर समझाया गया है। मसलन, 'झड़प से कई हफ्ते पहले चीन के रक्षा मंत्री वेई फेंगही ने 'स्थिरता बढ़ाने के लिए संघर्ष का इस्तेमाल' करने जैसा बयान दिया। चीनी नेताओं की ओर से तनाव बढ़ाने का दूसरा बड़ा संकेत तब मिला जब, चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने एडिटोरियल लिखकर भारत को चीन के साथ व्यापार और आर्थिक संबंधों पर गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी थी, अगर वह चीन और अमेरिका की दुश्मनी के बीच में पड़ता है।' अमेरिकी रिपोर्ट ने संघर्ष वाली जगह की झड़प से पहले ली गई तस्वीरों के आधार पर यह विश्लेषण भी किया है कि 15 जून से पहले चीन ने वहां भारी तादाद में पीएलए के जवानों का जमावड़ा किया था और अमेरिकी पैनल के मुताबिक उस वक्त घटनास्थल पर करीब 1,000 पीएलए के जवान मौजूद थे।
भारत के साथ तनाव बढ़ाने के पीछे शी जिनपिंग-रिपोर्ट
अमेरिकी सिक्योरिटी पैनल की रिपोर्ट में इस तथ्य का भी खुला इजहार किया गया है कि चीन के मौजूदा राष्ट्रपति शी जिनपिंग के कार्यकाल में भारत-चीन के बीच सीमा विवाद बढ़ा है। रिपोर्ट में कहा गया है, 'चीन और भारत के बीच सीमा पर बीते कुछ दशकों में कई बार शारीरिक संघर्ष की स्थिति पैदा हुई है, लेकिन जब से महासचिव शी ने 2012 में सत्ता हासिल की है, दोनों देशों के बीच सीमा पर पांच बार गंभीर तनाव देखी गई है। इस साल एलएसी पर चीन सरकार के भड़काऊ बर्ताव का असल इरादा अभी भी साफ नहीं है।' रिपोर्ट में इस बात की ओर भी इशारा किया गया है कि संघर्ष के बाद पूरी गलवान घाटी पर अपना हक जताना चीन का नया दावा है।
भारत के 20 सैनिक हुए थे शहीद
गौरतलब है कि इस हिंसक झड़प में दोनों देशों के सैनिकों के बीच गुत्थम-गुत्था हुआ था, जो बाद में हिंसक रूप ले लिया। इस संघर्ष में भारतीय सेना के एक कर्नल समेत 20 जवान शहीद हो गए थे। दूसरी ओर पीएलए के कमांडिंग ऑफिसर समेत सैनिक भी काफी तादाद में हताहत हुए थे, जिसकी असल संख्या चीन ने आजतक नहीं बताई है। हालांकि, भारतीय-अमेरिकी इंटेलिजेंस अधिकारियों का अनुमान है कि चीन के 35 से 40 सैनिक उस दिन भारतीय जवानों के हाथों मौत की नींद सुला दिए गए थे।