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कन्हैया अवतार में उद्धव से मिले गडकरी, क्या देवेंद्र फडणवीस पर लटकी है तलवार!

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बेंगलुरू। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 में मिले जनादेश के बाद एनडीए गठबंधन के बीच चला आ रहा महाभारत आज 16वें दिन में प्रवेश कर चुका है। बीजेपी और शिवसेना दोनों संघर्ष विराम के मूड में नहीं दिख रही हैं इसलिए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी कन्हैया अवतार में शुक्रवार को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से मिले।

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दोनों नेताओं के बीच लंबी चर्चा हुई और दोनों दलों के बीच चल रहे द्वंद पर घंटों बातचीत करने के बाद जब नितिन गडकरी मीडिया से सामने रूबरू हुए तो उन्होंने आश्वस्त किया है कि सब ठीक है। गडकरी ने सीएम देवेंद्र फड़णवीस के मुख्यमंत्री दावेदारी को लेकर संशय नहीं व्यक्त किया, जो बड़ी बात थी, क्योंकि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ही नहीं, पूरी शिवसैनिक देवेंद्र फडणवीस को लेकर लामबंद है।

गौरतलब है उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर नितिन गडकरी से अगुवाई करने की वकालत की थी, क्योंकि 50-50 फार्मूले पर अड़ी शिवसेवा प्रमुख उद्धव ठाकरे अगर एनडीए गठबंधन में शामिल हो सकते हैं तो उसमें नितिन गडकरी की भूमिका महत्वपूर्ण मानी रही है। शिवसेना प्रमुख खुद देवेंद्र फडणवीस की जगह नितिन गडकरी को महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री का उम्मीदवार बनाए जाने की बात कह चुके हैं।

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देवेंद्र फडणवीस से शिवसेना की नाराजगी की वजह जगजाहिर हो चुकी है। फडणवीस ने शिवसेना के 50-50 फार्मूले को न केवल खारिज कर दिया था बल्कि महाराष्ट्र में अगले पांच वर्ष खुद को ही मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट करने पर शिवसेना आहत हुई थी। शायद यही कारण है कि शिवसेना देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में एनडीए में शामिल होने पर अमादा है।

यही वजह है कि पिछले 15 दिनों से महाराष्ट्र में सरकार गठन की लड़ाई में एक बार भी संघर्ष विराम की सूरत नहीं नजर आई। पूरे दो हफ्ते हो चली आ रही बीजेपी और शिवसेना की खींचतान में एक बार भी बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह अथवा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरी भी शिवसेना को अखर रही है।

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शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे कई बार मीडिया के दिए बयानों में यह कह चुके हैं कि बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष मामले में हस्तक्षेप क्यों नहीं कर रहे हैं। अब जब महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए बेहद कम समय बचा है, तो बीजेपी की ओर से नितिन गडकरी को उद्धव ठाकरे से बातचीत के लिए आगे किया गया है।

माना जा रहा है कि शिवसेना नितिन गडकरी के नेतृत्व में एनडीए सरकार में शामिल होने से नहीं कतराएगी, लेकिन उद्धव ठाकरे से बातचीत के नितिन गडकरी ने साफ कर दिया है कि उन्हें महाराष्ट्र में वापस लौटने की कोई दिलचस्पी नहीं है, क्योंकि वो दिल्ली में बेहद खुश है, जो यह बताता है कि नितिन गडकरी के महाराष्ट्र का नेतृत्व संभालने की कोई गुंजाइश नहीं है।

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उद्धव ठाकरे को देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में गठबंधन में शामिल होना होगा, लेकिन इतनी लंबी छिड़ी लड़ाई के बाद देवेंद्र फडणवीस के साथ शिवसेना का महाराष्ट्र में शामिल होना मुश्किल लग रहा है। होने को यह भी संभव है कि अब दोनों दल किसी जादुई समीकरण पर तैयार ही हो जाए, क्योंकि राजनीति में कुछ संभव है।

हालांकि अगर दोनों दल कल तक किसी समीकरण अथवा समझौते पर नहीं पहुंचे तो महाराष्ट्र में सरकार बनाने की कोशिशों को पलीता लग सकता है और तो सीएम देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ सकता है और सभी लाव-लश्कर भी वापस करना पड़ सकता है, क्योंकि अभी तक दोनों दलों के बीच सुलह की कोशिश कराने पहुंचे नितिन गडकरी के बयानों में कुछ भी कंक्रीट नहीं दिखा, जिससे महाराष्ट्र में एनडीए गठबंधन की सरकार बनने की दिशा में प्रगति की गुंजाइश पैदा हुई हो।

Bhagat koshyari

महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी राज्य की बदलती राजनीति पर लगातार नजर जमाए हुए हैं और सरकार गठन की संभावनाओं को क्षीण होता देखकर महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की घोषणा कर सकते हैं। राज्यपाल कोश्यारी ने इस संबंध में राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभाकोनी से कानूनी और संवैधानिक विमर्श किया है।

महाराष्ट्र में सरकार गठन की संभावनाओं के बीच गुरूवार को मातोश्री पहुंचे दक्षिणपंथी नेता संभाजी भिड़े ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से मुलाकात करने की कोशिश की है, लेकिन उनकी मुलाकात नहीं हो सकी। संभाजी भिड़े हालांकि अपनी बात शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे तक पहुंचा दी है, लेकिन देवेंद्र फडणवीस के बयानों से बुरी तरह नाराज उद्धव ठाकरे देवेंद्र फडणवीस के नाम पर किसी भी तरह से विचार करने को तैयार नहीं दिख रहे हैं।

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वहीं, बीजेपी भी महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को लेकर किसी ऊहापोह में नजर नहीं आ रही है। वरना नितिन गडकरी उद्धव ठाकरे से मुलाकात के बाद यह नहीं कहते कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ही होंगे, जिसके विरोध में शिवसेना सत्ता की लड़ाई 15वें दिन तक खींच लाई है।

फिलहाल, नितिन गडकरी नागपुर में हैं, जहां संघ प्रमुख मोहन भागवत से महाराष्ट्र में सरकार गठन की संभावनाओं पर विचार करने वाले हैं। हालांकि संघ प्रमुख मोहन भागवत पहले ही स्पष्ट कह चुके हैं कि बीजेपी और शिवसेना को आम सहमित से महाराष्ट्र में सरकार बनाने की पहल करनी चाहिए।

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शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत भी महाराष्ट्र में संघर्ष विराम के लिए संघ के दखल की मांग की है। संघ के चहेते चेहरों में शामिल नितिन गडकरी और देवेंद्र फडणवीस दोनों नागपुर से आते हैं और संघ के एक इशारे पर देवेंद्र फडणवीस की कुर्सी पर नितिन गडकरी की ताजपोशी भी हो सकती है और संघ की नाफरमानी बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व भी शायद ही करेगा।

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इस बीच बीजेपी नेता एकनाथ खड़से ने बीजेपी और शिवसेना के बीच विधानसभा चुनाव से पहले जो भी 'निर्णय' किया गया था, उसे अब सार्वजनिक करने की सिरफारिश की है ताकि उद्धव ठाकरे के 50-50' फॉर्मुले की हकीकत जनता को पता चल सके, क्योंकि शिवसेना प्रमुख बार-बार 50-50 फॉर्मूले को चुनाव पूर्व हुई सहमति होने की बात दोहराकर बीजेपी को घेरते आ रहे हैं।

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जबकि बीजेपी नेतृत्व ऐसे किसी फॉर्मूले से लगातार इनकार करती आई है। उधर, महाराष्ट्र के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने ट्वीट कर बीजेपी पर हमला करते हुए लिखा है कि 'जो नेता 25 साल पुराने सहयोगी को दिया वचन पूरा नहीं कर सकता वो जनता का क्या होगा?

उल्लेखनीय है शुक्रवार को बीजेपी राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती है, लेकिन बीजेपी किस आधार पर सरकार बनाने का दावा पेश करेगी, यह राजनीतिक पंडितों को भी हैरान-परेशान कर दिया है, क्योंकि निर्दलियों के सहयोग से बीजेपी महाराष्ट्र में सरकार बनाने से रही।

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शिवसेना और कांग्रेस ने विधायकों के टूट के डर से अपने विधायकों को फाइव स्टार होटलों में ठहरा दिया है। बीजेपी एनसीपी के साथ सरकार में शामिल हो सकती है इसकी संभावना कम दीखती है। एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से दिल्ली में मुलाकात के बाद महाराष्ट्र लौटकर स्पष्ट कर दिया है कि वो विपक्ष में बैठेंगे।

यह भी पढ़ें- Maharashtra: शिवसेना नहीं मानी तो एनसीपी से कर सकतें हैं संपर्क: वरिष्ठ भाजपा नेता

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English summary
The result of Maharashtra Assembly Elections 2019 came on October 24 and the people of Maharashtra gave the mandate to the NDA alliance, But NDA alliance Shiv Sena's condition of 50-50 formula to form government in Maharashtra created obstacle on it. Both BJP and Shiv Sena alliance successively won 161 seat in poll result.
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