गढ़चिरौली- कौन हैं एलीट C-60 कमांडो, जिन्हें नक्सलियों ने बनाया है निशाना
गढ़चिरौली। महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में नक्सलियों ने बुधवार को पुलिस की गाड़ी को निशाना बनाया। नक्सलियों के इस हमले में 16 जवानों की मृत्यु हो गई। यह जवान एलीट कमांडो फोर्स सी-60 का हिस्सा थे। यह एक आईईडी ब्लास्ट था और कमांडो एक प्राइवेट गाड़ी में सफर कर रहे थे। जवान हमले से पहले एक दिन पहले हुए नक्सल अटैक की जांच के लिए जा रहे थे। हमले के बाद नक्सलियों और पुलिस फोर्स के बीच फायरिंग भी हुई। सी-60 कमांडो फोर्स ने ही पिछले वर्ष अप्रैल में गढ़चिरौली जिले में ही 39 नक्सलियों को एक खास ऑपरेशन में ढेर कर दिया था। इस कमांडो फोर्स की खासियतें ही इसे बाकी बलों से अलग करती हैं। जानिए क्या है यह फोर्स और क्यों यह बाकी कमांडोज से अलग है।
यह भी पढ़ें-गढ़चिरौली में नक्सलियों ने पुलिस की गाड़ी को आईईडी से उड़ाया, 15 जवान शहीद
कब और किसने दिया आइडिया
बात 1989-90 की है और जब सी-60 कमांडो फोर्स का आइडिया सबसे पहले तत्काली डीजी केपी रघुवंशी के दिमाग में आया था। उस समय डीजी रघुवंशी इस जिले के एसपी थे और वर्तमान समय में रिटायर हो चुके हैं। साल 1992 में इस कमांडो फोर्स की शुरुआत हुई। इसकी जो बात सबसे खास है वह यह है कि इस फोर्स में सिर्फ स्थानीय लोगों को ही वरीयता दी जाती है। इस कमांडो फोर्स को गढ़चिरौली के पिछड़े समुदाय के साथ तैयार किया गया था। जहां बाकी कमांडो फोर्स राज्य स्तरीय होती हैं तो गढ़चिरौली एक जिलास्तर की कमांडो फोर्स है।
सी-60 कमांडो की 24 टीमें
इस कमांडो फोर्स की टैग लाइन है, 'वीरभोग्या वसुंधरा' यानी सिर्फ बहादुरों को ही दुनिया पर राज करने का मौका मिलता है। ये कमांडो स्थानीय लोग होते हैं इसलिए इन्हें यहां के चप्पे-चप्पे के बारे में सब-कुछ पता होता है। इन्हें नक्सलियों के लीडर्स और उनके संगठन के बारे में भी हर जानकारी होती है। सी-60 कमांडो की यूनिट ने 15 टीमों के साथ काम करना शुरू किया था। आज इनकी 24 टीमें हैं। इन टीमों को गढ़चिरौली हेडक्वार्ट्स और अहेररी प्रानहिता हेडक्वार्ट्स में बांट दिया गया है। जहां गढ़चिरौली हेडक्वार्ट्स के पास 24 टीमें हैं तो प्रानहिता के पास 10 टीमें हैं। अहेरी प्रानहिता का हेडक्वार्टर जिले के दक्षिण हिस्से में हैं। कमांडो की नौ टीमें गोदिंया में भी हैं।
हर मुश्किल का सामना कर सकते हैं कमांडो
पिछले वर्ष एक इंटरव्यू में गढ़चिरौली के एसपी अभिनव देशमुख ने कहा था कि जैसे लोहा, लोहे को काटता है वैसे ही सी-60 कमांडो, नक्सलियों को काट रहे हैं। यह कमांडो न सिर्फ घने जंगलों में ऑपरेशन को अंजाम दे सकते हैं बल्कि बारिश, झुलसा देने वाली गर्मी में भी एनकाउंटर को पूरा कर सकते हैं। इसके अलावा यह जूते या फिर नंगे पैरों के पहाड़ से कूद सकते हैं और यहां तक नदियों में भी छलांग लगा सकते हैं। इसके साथ ही बिना किसी डर के यह अंत तक नक्सलियों का मुकाबला कर सकते हैं।
ड्रोन का पता लगा सकते हैं कमांडोज
इन कमांडोज का सेलेक्शन बहुत आसान नहीं होता है। इन्हें शारीरिक क्षमता के अलावा, मानसिक क्षमता को भी साबित करना होता है। सी-60 कमांडोज की टीम अब नक्सलियों के लिए सिरदर्द बन गई है। एक कमांडो अपने अभियान पर निकलने के दौरान पीठ पर करीब 15 किलो वजन का सामान भी ढोता है, जिसमें हथियार, खाना, पानी, रोजाना इस्तेमाल की चीजों के अलावा फर्स्ट एड जैसी जरूरी चीजें शामिल होती हैं। इंटेलीजेंस के आधार पर कमांडो आगे की रणनीति बनाते हैं और उसी के आधार पर आसपास के क्षेत्र में अपनी योजना को अंजाम देते हैं। किसी भी ऑपरेशन को पूरा करने के लिए 30-30 कमांडो के दो ग्रुप बन जाते हैं। कमांडो को इस तरह से ट्रेनिंग दी जाती है कि ये किसी ड्रोन का पता लगाने के अलावा जीपीएस सेट तक को ऑपरेट कर लेते हैं।
लोकसभा चुनावों से जुड़ी हर जानकारी के लिए यहां क्लिक करें