J&K:महबूबा-उमर ही नहीं, फारूक के पिता शेख अब्दुल्ला 11 साल रहे थे कैद, कश्मीर में नहीं मिली थी जगह
नई दिल्ली- केंद्रीय गृहराज्य मंत्री जी कृष्ण रेड्डी ने कहा है कि जम्मू और कश्मीर पर संसद में विधेयक लाने से पहले जो गोपनीयता बरती गई थी, उसके लिए घाटी की परिस्थतियों को देखते हुए ही विशेषण रणनीति अपनाई गई थी। गृहमंत्रालय में कश्मीर मामलों के इंचार्ज कृष्ण रेड्डी ने कश्मीर पर केंद्र सरकार के फैसले को लेकर पहली बार कई महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की हैं और उन्होंने प्रदेश की जनता को भरोसा दिलाया है कि उन्हें इस बात के लिए निश्चिंत रहना चाहिए कि नए बदलाव के कारण उनकी संस्कृति या उनकी स्वतंत्रता में किसी तरह की कमी आने वाली है।
'कश्मीरियों की संस्कृति, स्वतंत्रता और शांति कायम रहेगी'
इकोनॉमिक्स टाइम्स के साथ आर्टिकल 370 के कुछ प्रावधानों को हटाने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बदलने के फैसले के बाद पहली बार बात करते हुए कश्मीर मामलों के इंचार्ज मंत्री ने सरकार के फैसलों के मद्देनजर बहुत सारी जानकारियां दी हैं। उन्होंने जम्मू और कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेश बनाने से पहले राज्य के लोगों को विश्वास में नहीं लिए जाने के आरोपों पर कहा कि "हमें कश्मीर के लोगों पर पूर्ण विश्वास है। मैं पूछना चाहता हूं कि उन्हें आर्टिकल 370 से क्या फायदा मिला? इस मामले में हमें विशेष रणनीति बनाकर चलना पड़ा, क्योंकि इसमें पूर्ण गोपनीयता की आवश्यकता थी। हम कश्मीर में शांति और विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं। मैं कश्मीर के लोगों को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि उनकी संस्कृति, स्वतंत्रता और शांति खत्म नहीं होगी। हर दिन हालात में सुधार हो रहा है। जितनी जल्दी हालात सामान्य हो जाएंगे, हम संचार पर लगी पाबंदियों को भी हटा लेंगे।"
11 साल कश्मीर से बाहर कैद में रहे शेख अब्दुल्ला
केंद्रीय मंत्री ने घाटी में राजनीतिक नेताओं की नजरबंदी का खुलकर बचाव किया है। रेड्डी ने कहा है कि "राजनीतिक नेताओं को घाटी में पहली बार हिरासत में नहीं लिया गया है। कांग्रेस पार्टी ने शेख अब्दुल्ला को राज्य के बाहर 10 साल से भी ज्यादा जेल के अंदर रखा था।" गौरतलब है कि जम्मू और कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस के पूर्व प्रमुख शेख अब्दुल्ला को 1953 में राज्य के प्रधानमंत्री पदसे से बर्खास्त कर दिया गया था। फारूक अब्दुल्ला के पिता शेख अब्दुल्ला की ये बर्खास्तगी राज्य के तत्कालीन संवैधानिक प्रमुख कर्ण सिंह ने की थी, जो जम्मू-कश्मीर के पूर्व महाराजा हरि सिंह के बेटे हैं। इसके बाद शेख अब्दुल्ला को प्रदेश के बाहर 11 वर्षों तक कैद में जिंदगी गुजारनी पड़ी थी। दरअसल, राज्य में दो पूर्व मुख्यमंत्रियों समेत कई नेताओं की गिरफ्तारी और नजरबंदी को लेकर राजनीतिक सवाल उठाए जा रहे हैं, जिसपर केंद्र सरकार ने अपना पक्ष रखने की कोशिश की है।
पाकिस्तान के नापाक मंसूबों के चलते पाबंदियां
रेड्डी ने इसके अलावा भी कई ऐसे उदाहण दिए हैं, जिसमें केंद्र की कांग्रेस सरकारों ने घाटी में कर्फ्यू लगाकर रखा और स्थानीय नेताओं के जेल में कैद कर दिया। उन्होंने बताया कि "अपने कार्यकाल में कांग्रेस ने जेकेएलएफ के यासिन मलिक को कई दफे गिरफ्तार किया था।" उन्होंने दावा किया है कि घाटी में लगाई गई मौजूदा पाबंदियां पाकिस्तान की हरकतों को रोकने के लिए है, जो प्रदेश के लोगों की जान को जोखिम में डालने की हरकतें कर सकता है। उन्होंने साफ कहा कि, "अगर आप पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के बयानों को देखेंगे तो आपको पता चल जाएगा कि वे घाटी में अशांति पैदा करना चाहते हैं। वे (पाकिस्तान) घाटी में अलगाववाद और आतंकवाद को बढ़ावा देते रहे हैं। यह भारत का अंदरूनी मामला है, अंतरराष्ट्रीय नहीं।" उन्होंने पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की कोशिशों का जिक्र कर कहा कि, "वाजपेयी ने पाकिस्तान की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया और उसने क्या किया? उन्होंने हमें कारगिल दिया। हमें पाकिस्तान की हरकतों को रोकने के लिए एहतियाती कदम उठाने ही पड़ेंगे।"
सरकार लोगों को बताएगी आर्टिकल 370 हटने के फायदे
इस बीच राज्य प्रशासन से कहा गया है कि आर्टिकल 370 को हटाने से होने वाले फायदे को लेकर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में एक मुहिम शुरू करे। अधिकारियों के मुताबिक इस सिलसिले में घाटी में कुछ परिवारों से भी संपर्क किया जाएगा और उन्हें बताया जायगा कि बदलाव के बाद कैसे उनकी जीवन बेहतर होगा। माना जा रहा है कि घाटी में लागू तमाम पाबंदियों को कम किए जाने के बावजूद, इंटरनेट पर लगी रोक आगे भी जारी रह सकती है, जबतक घाटी में पूरी तरह शांति बहाल न हो जाय और आशंकाओं के सभी बादल छट न जाएं।
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