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जानिए अनिल कुंबले के टूटे जबड़े की वो पूरी कहानी जिसका जिक्र प्रधानमंत्री मोदी ने 'परीक्षा पे चर्चा' में किया

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कुंबले की वो कहानी जिसका जिक्र प्रधानमंत्री मोदी ने किया

नई दिल्ली। परीक्षा पर चर्चा के दौरान प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी ने विद्यार्थियों को संबोधित किया है। विद्यार्थियों को उत्साहित करने और जीवन के प्रति सकारात्मक नजरिया बनाए रखने के लिए प्रधानमंत्री ने उनके सामने कुछ प्रेरणादायक उदाहरण रखे; उसमें से एक उदाहरण अनिल कुंबले के उस जीवट प्रदर्शन का था जिसमें कुंबले ने खेल के दौरान अपने जबड़े के टूट जाने पर भी हार नहीं मानी थी। प्रधानमंत्री का प्रेरणादायक उदाहरण के रूप में अनिल कुंबले को कोट करना महान अनिल कुंबले के अपने प्रोफेशन के 'स्परिट' को पूर्णता से जीने का अभिनन्दन करना भी है। जानते हैं उस घटना के बारे में सब-कुछ।

क्या थी वो घटना?

क्या थी वो घटना?

सेंट जॉन्स, 12 मई 2002 की बात है। भारत और वेस्टइंडीज के बीच एंटिगुआ में टेस्ट मैच खेला जा रहा था। उस वक्त सौरव गांगुली कप्तान और जॉन राइट भारतीय क्रिकेट टीम के कोच थे। इसी मैच के दौरान जब भारतीय टीम बैटिंग कर रही थी तब नंबर सात पर कुंबले बल्लेबाजी करने आए थे। वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाज मर्वन ढिल्लन की एक बाउंसर सीधे कुंबले के चेहरे पर आकर लगी और उनके जबड़े से खून बहने लगा था। उन्हें तुरंत मैदान से बाहर ले जाया गया। ऐसा लगा था की अब कुंबले भारत की तरफ से वेस्टइंडीज के खिलाफ इस मैच में बॉलिंग नहीं कर पाएंगे।

क्या किया था कुंबले ने?

क्या किया था कुंबले ने?

जब सबको ऐसा लग रहा था कि कुंबले अब इस मैच में गेंदबाजी नहीं करेंगे तब कुंबले मैदान में अपने टूटे जबड़े में पट्टी लगाए हुए आ गए। यह दर्शकों के लिए आश्चर्य जैसा था। यह उनका अपने खेल के प्रति प्यार, जज्बा, ईमानदारी और समर्पण ही था की उन्होंने अपने जबड़े में हो रहे दर्द को अपने खेल के ऊपर हावी नहीं होने दिया। इतना ही नहीं, उन्होंने इस मैच में लगातार 14 ओवर की गेंदबाजी भी की और महानतम ब्रायन लारा का विकेट भी झटका था। मैच के बाद जब अगले दिन उन्हें सर्जरी के लिए बैंगलोर वापस जाना था, तब उन्होंने कहा था कि कम से कम अब मैं इस सोच के साथ घर जा सकता हूं कि मैंने अपनी पूरी कोशिश की।

अनिल कुंबले का करियर

अनिल कुंबले का करियर

कुंबले भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रह चुके हैं। लेग स्पिनर खिलाड़ी के रूप में भारतीय टीम के पहले कप्तान भी हैं। खिलाड़ी के रूप में उनका सफर 18 सालों का रहा है। 1990 से लेकर 2008 तक उन्होंने क्रिकेट खेला है। अपने कैरियर का पहला एक दिवसीय मैच उन्होंने 25 अप्रैल 1990 को श्रीलंका के खिलाफ खेला था तो वहीं अपना आखिरी एक दिवसीय मैच 19 मार्च 2007 में बरमूडा के खिलाफ खेला था। टेस्ट क्रिकेट में कुंबले ने इंग्लैंड के खिलाफ 9 अगस्त 1990 को डेब्यू किया था और उनका आखिरी टेस्ट मैच 29 अक्टूबर 2008 में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध था। कुंबले भारत की ओर से 500 विकेट लेने वाले पहले खिलाड़ी भी हैं। कुंबले ने टेस्ट क्रिकेट में कुल 619 विकेट लिए हैं और वे तीसरे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले खिलाड़ी हैं। एकदिवसीय मैचों में उनके 337 विकेट हैं। कुंबले भारतीय क्रिकेट टीम के कोच भी रह चुके हैं और वर्तमान में वे आईसीसी क्रिकेट समिति के अध्यक्ष हैं।

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English summary
Know the full story of Anil Kumble's broken jaw, which Prime Minister Modi mentioned in the 'Discussion on Examination'
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