एक साल के अंदर बीजेपी ने अरुण जेटली समेत अपने इन 5 कद्दावर नेताओं को गंवाया
नई दिल्ली। बीजेपी के सीनियर लीडर, पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली का शनिवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया है। जेटली बीजेपी के फ्रंट लाइन लीडर थे और कई वर्षों से पार्टी के साथ थे। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ काम करने वाले जेटली को पीएम नरेंद्र मोदी के कैबिनेट में भी अहम जिम्मेदारियां मिलीं। जेटली का जाना पार्टी के लिए बहुत बड़ा झटका है और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि उन्होंने एक अच्छा दोस्त खो दिया है। पिछले एक साल में पार्टी अपने कई महत्वपूर्ण नेताओं को खो चुकी है। ये नेता निश्चित तौर पर बीजेपी से जुड़े ऐसे नाम थे जिनकी कमी शायद ही कभी पूरी हो सकेगी।
अटल बिहारी वाजपेयी
अटल बिहारी वाजपेयी का 16 अगस्त 2018 को एम्स में 93 वर्ष की आयु में निधन हो गया था। वाजपेयी पार्टी के एक ऐसे नेता थे जिन्हें विपक्ष का भी भरपूर सम्मान हासिल था। वे जनसंघ के संस्थापकों में से एक थे। 16 मई से 31 मई 996 तक वह पहले 13 दिन, फिर मार्च 1998 से 1999 तक 13 माह और फिर साल 1999 में देश के पीएम चुने गए। साल 1999 से साल 2004 तक उन्होंने पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा किया। इसके साथ ही वह पहले ऐसे गैर-कांग्रेसी पीएम बन गए जिसने पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा किया था। उनका निधन न सिर्फ बीजेपी के लिए बल्कि राष्ट्रीय राजनीति के लिए भी एक बड़ी क्षति माना गया था।
अनंत कुमार
अगस्त में वाजपेयी के निधन के गम से पार्टी उबरी ही थी कि नवंबर 2018 में बेंगलुरु से बीजेपी सांसद और लोकसभा में केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार के निधन की खबर आ गई। अनंत कुमार, कैंसर से पीड़ित थे और लंदन से इलाज कराकर वापस लौटे थे। अनंत कुमार के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके लिखा था कि वह न सिर्फ एक कुशल प्रशासक थे बल्कि उन्होंने कई अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी भी संभाली थी। अनंत कुमार भी वाजपेयी सरकार के समय से केंद्र में सक्रिय थे और उन्हें दक्षिण बेंगलुरु में बीजेपी का एक अजेय उम्मीदवार माना जाता था।
मनोहर पार्रिकर
गोवा के पूर्व सीएम और देश के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर का इस वर्ष 17 मार्च को निधन हो गया। पर्रिकर पैंक्रियास कैंसर से जूझ रहे थे और वह पहले आईआईटीयन थे जिन्होंने सक्रिय राजनीति को अपनाया था। 64 वर्ष के पार्रिकर का निधन बीजेपी के लिए बड़ा झटका था क्योंकि उन्हें पार्टी के एक ईमानदार नेता के तौर पर वोटर्स के बीच खासा सम्मान हासिल था। पार्रिकर के नेतृत्व में ही साल 2016 में पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया गया था।
सुषमा स्वराज
पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज छह अगस्त को अलविदा कह गईं। पार्रिकर के निधन के बस पांच माह बाद हर पार्टी की एक और कद्दावर नेता का इस तरह जाना पार्टी को बहुत हद तक दुखी कर गया। पांच अगस्त को सुषमा ने ट्विटर पर जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने की अपनी खुशी को बयां किया था। सुषमा को किडनी की समस्या थी लेकिन कार्डिएक अरेस्ट की वजह से एम्स में उनका निधन हो गया था। सुषमा का निधन 67 वर्ष की आयु में हुआ और उन्हें भी एक ऐसे नेता के तौर पर माना जाता है जिसे हर दल के व्यक्ति का सम्मान मिला।