पीएम मोदी से इस तरह पहली जंग जीते राहुल गांधी, अब असल लड़ाई के लिए तैयार
नई दिल्ली। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए मतदान से कुछ दिन पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री बनने के सवाल पर चुप्पी तोड़ी। राहुल गांधी ने कहा, 'हां, अगर कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनती है तो वह प्रधानमंत्री बन सकते हैं।' राहुल गांधी के इतना कहते ही सबसे पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने 'नामदार' कहकर निशाना साधा। पीएम मोदी ने लगे हाथ कांग्रेस पर सीनियर नेताओं की अनदेखी का भी आरोप जड़ दिया। सत्ता पक्ष और विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में सबसे अहम बात दो हैं। पहली- राहुल गांधी का पीएम बनने के सवाल का जवाब देना और दूसरी मौजूदा प्रधानमंत्री का बिना देरी किए पलटवार करना। पहली बात- राहुल गांधी का पीएम बनने के लिए तैयार होना बताता है कि मोदी के चैलेंजर के तौर पर अब उनका नाम एकदम ऑफिशियल हो गया है।
जब राहुल का नाम भी नहीं लेते थे मोदी
एक वक्त था जब नरेंद्र मोदी यह कहकर अरविंद केजरीवाल का नाम नहीं लिया करते थे कि उनकी कोई अहमियत नहीं है। इसी प्रकार से राहुल गांधी को भी नरेंद्र मोदी दरकिनार कर दिया करते थे। तब राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष नहीं थे और उनके तेवर भी बहुत तीखे नहीं थे, लेकिन अब स्थिति बदल गई है। गुजरात और हिमाचल चुनाव से लेकर कर्नाटक इलेक्शन तक पीएम मोदी ने बार-बार राहुल गांधी पर निशाना साधा।
कर्नाटक चुनाव से ऐन पहले राहुल गांधी की पीएम मोदी को सीधी चुनौती
कर्नाटक चुनाव प्रचार में राहुल गांधी ने कांग्रेस की ओर से कमान संभाली। उन्होंने बिना लाग-लपेट पीएम मोदी पर निशाना साधा और मतदान से ठीक कुछ दिन पहले खुद को संभावित पीएम बताकर राहुल गांधी ने एक प्रकार से नंबर 1 विपक्षी नेता कुर्सी तो हासिल कर ही ली। राहुल के इस ऐलान के पीछे कांग्रेस का एक मकसद यह भी था, कर्नाटक का वोटर यह बात समझ ले कि उनके बीच खड़ा भाषण देने वाला शख्स कल देश का पीएम भी बन सकता है। इससे राहुल की स्वीकार्यता पर काफी सकारात्मक असर पड़ेगा। दूसरा- कर्नाटक के रण को राहुल बनाम मोदी बनाने से त्रिशंकु विधानसभा की संभावना भी कम हो जाती हैं। यही कारण है कि बीजेपी को भी राहुल बनाम मोदी मुकाबला ज्यादा सूट करने लगा और सीधे राहुल गांधी को निशाने पर लिया गया।
गुजरात चुनाव में कांग्रेस के काम आई थी 'फोकस ऑन राहुल' ट्रिक
कर्नाटक चुनाव से ऐन पहले राहुल गांधी का पीएम रेस शामिल होना, ठीक वैसा ही है, जैसा गुजरात चुनाव के वक्त उन्हें पार्टी अध्यक्ष घोषित किया जाना। गुजरात चुनाव दो चरणों में हुए थे। पहले चरण का मतदान के दौरान राहुल गांधी बिना किसी विरोध कांग्रेस अध्यक्ष की दौड़ में थे और दूसरे चरण के मतदान से पहले वह अध्यक्ष चुन लिए गए थे। मतलब साफ था, पार्टी राहुल गांधी को बड़े राष्ट्रीय नेता के तौर पर प्रोजेक्ट करना चाहती थी, जो कि सीधे प्रधानमंत्री के समकक्ष खड़ा होकर जनता की बात कर सकता है। गुजरात में चुनावों में राहुल गांधी ने जब किसानों की बात की, तो उसका असर ठीक वैसा ही दिखा, जैसा कांग्रेस ने सोचा था।
एक-एक कर गिर गए सभी मोदी विरोधी, तो राहुल गांधी बने सबसे बड़े चैलेंजर
2014 लोकसभा चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी के विपक्ष में खड़े नेताओं की लिस्ट बहुत लंबी थी। यूपी में मुलायम सिंह यादव और उनके पुत्र अखिलेश यादव, बिहार में लालू यादव और नीतीश कुमार। दिल्ली में अरविंद केजरीवाल ने मोदी के सामने चुनौती पेश की और दूसरे विपक्षी नेताओं से एक कदम आगे बढ़कर केजरीवाल तो बनारस तक मोदी को चुनौती पहुंच गए। राष्ट्रीय स्तर पर मोदी के खिलाफ सोनिया गांधी खड़ी थीं। राहुल गांधी कहीं दूर-दूर तक मोदी के सामने नहीं थे। अब लालू जेल में हैं तो नीतीश कुमार की एनडीए में घरवापसी हो चुकी है। केजरीवाल ने खुद को एक छोटे से कोने में समेट लिया है तो मुलायम कुनबे में चली जंग के बाद से जख्मी योद्धा जैसी हालत में हैं। बची सोनिया गांधी, जिन्होंने सही मौका देखकर बेटे राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाया और अब मां से विरासत संभालने के बाद बेटे राहुल गांधी ने नरेंद्र मोदी को खुली चुनौती दे डाली है। कर्नाटक चुनाव का परिणाम अब चाहे जो हो, लेकिन अब राजनीति का वर्ल्ड कप का फाइनल मैच फिक्स हो गया है। मुकाबला टीम मोदी बनाम टीम राहुल होगा। इसमें शक नहीं कि मोदी की धोनी की चेन्नई सुपर किंग्स की तरह बेहद ताकतवर है, लेकिन राहुल गांधी भी 2019 के इस पॉलिटिकल वर्ल्ड कप में रॉयल चैलेंजर्स के अंदाज में दो-दो हाथ करने तैयार हैं।