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CJI दीपक मिश्रा : तमाम चुनौतियों के बीच सुनाते रहे ऐतिहासिक फैसले
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) दीपक मिश्रा का कार्यकाल 2 अक्टूबर यानी की मंगलवार को खत्म हो गया, चूंकि दो अक्टूबर को गांधी जंयती की छुट्टी थी इसलिए एक दिन पहले ही बतौर CJI उनका कोर्ट में आखिरी दिन था।
दीपक मिश्रा को झेलनी पड़ी सहकर्मियों की बगावत
देश को कई ऐतिहासिक फैसले देने वाले दीपक मिश्रा का पूरा कार्यकाल काफी चर्चित रहा। वो भारत के न्यायिक इतिहास के एकलौते ऐसे प्रधान न्यायाधीश हैं, जिनपर अपने सहकर्मियों की बगावत झेलनी पड़ी और विपक्षी पार्टियों ने उनके खिलाफ महाभियोग लाने की भी कोशिश की थी हालांकि वे इसमें नाकाम रहे थे।
आइए एक नजर डालते हैं CJI दीपक मिश्रा के कुछ बड़े फैसलों पर
आधार के संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा
- केरल के सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं के प्रवेश की इजाजत दी।
- अयोध्या केस में मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का अभिन्न अंग है के बारे में 1994 के फैसले को दोबारा विचार के लिए संवैधानिक बेंच भेजने से इनकार कर दिया।
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धारा 497 को असंवैधानिक करार दिया
- एडल्ट्री यानी विवाहेत्तर संबंध को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने का अहम फैसला सुनाया और इससे जुड़ी आईपीसी की धारा 497 को असंवैधानिक करार दिया।
- धारा-377 के तहत दो बालिगों के बीच सहमति से बनाए गए समलैंगिक संबंध को अपराध के दायरे से बाहर कर दिया गया।
- दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि एमएलए और एमपी को देश भर की अदालतों में बतौर वकील प्रैक्टिस पर रोक लगाई जाए।
सरकारी नौकरियों में प्रमोशन में आरक्षण का रास्ता साफ
- एससी-एसटी से जुड़े लोगों को सरकारी नौकरियों में प्रमोशन में आरक्षण का रास्ता साफ कर दिया
- भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में पांचों ऐक्टिविस्टों को राहत नहीं दी
- दहेज प्रताड़ना मामले में पति और उनके परिजनों को तुरंत गिरफ्तारी से मिले सेफगर्ड को खत्म कर दिया।
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English summary
Chief Justice of India Dipak Misra held court, along with his successor Ranjan Gogoi, for the last time on Monday, here is several historic verdicts.
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