1 अप्रैल से भारत में दुनिया के सबसे स्वच्छ पेट्रोल-डीजल की होगी आपूर्ति
नई दिल्ली। पर्यावरण और सुरक्षित और बेहतर बनाने की दिशा में भारत एक बड़ा कदम उठाने जा रहा है। भारत में 1 अप्रैल से दुनिया के सबसे साफ पेट्रोल और डीजल का इस्तेमाल किया जाएगा। दरअसल भारत ने यूरो-4 से यूरो 6 का सफर महज तीन वर्षों में तय किया है, जोकि अपने आप में पर्यावरण को बेहतर करने का अच्छा प्रयास है। दुनिया के किसी भी बड़े आर्थिक रूप से मजबूत देश ने इतनी तेजी से इस दिशा में कदम नहीं बढ़ाए हैं। ऐसे में भारत दुनिया के सबसे साफ पेट्रोल और डीजल का इस्तेमाल करके पर्यावरण को और बेहतर बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रहा है।
सबसे कम सल्फर
भारत में सबसे स्वच्छ पेट्रोल डीजल का इस्तेमाल किया जाएगा, जिसमे प्रति मिलियन सिर्फ 10 हिस्से ही सल्फर के होंगे, जोकि गाड़ियों से निकलने वाले प्रदूषण को कम करेगा। सल्फर की वजह से ही पर्यावरण को नुकसान होता है और शहरों में प्रदूषण फैलता है। इंडियन ऑयल कोर्पोरेशन के चेयरमैन संजीव सिंह ने बताया कि तकरीबन सभी रिफाइनरी में अल्ट्रा लो सल्फर का इस्तेमाल हो रहा है, जिससे कि बीएस-6 की गाड़ियों में कम से कम प्रदूषण होगा। देश की तमाम तेल कंपनियों ने यह निर्णय लिया है कि जल्द से जल्द देश के एक-एक बूंद ईंधन को नए ईंधन में बदल देना है।
बीएस-6 के वाहनों के लिए बेहतर
संजीव सिंह ने कहा कि हम अपने लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में काम कर रहे हैं, 1 अप्रैल तक बीएस-6 के वाहनों को स्वच्छ पेट्रोल और डीजल मुहैया कराया जाएगा। सभी रिफाइनरी में इसके लिए काम चल रहा है, देशभर के तेल डिपो में ईंधन को पहुंचाया जा चुका है। बता दें कि भारत ने भारत स्टेज यानि यूरो -3 जिसमे 3500 पीपीएम सल्फर होता है उसे 2010 में लागू किया था। इसके सात साल बाद यूरो 4 को बाजार में लागू किया गया, जिसमे 50 पीपीएम सल्फर होता है। लेकिन यूरो 4 से यूरो 6 का सफर महज तीन वर्षों मेमं तय किया गया, जिसमे
35000 करोड़ रुपए खर्च
सरकार द्वारा अधिकृत तेल कंपनियों ने तकरीबन 35000 करोड़ रुपए खर्च किए हैं ताकि कम से कम सल्फर वाला ईंधन लोगों को मुहैया कराया जा सके। इससे पहले अपग्रेडेशन का खर्च 60000 करोड़ रुपए आया था। बता दें कि बीएस-6 में सिर्फ 10 पीपीएम सल्फर होता है जोकि यह सीएनजी के जितना ही प्रदूषण उत्पन्न करता है जोकि पर्यावरण के लिहाज से काफी बेहतर है। शुरुआत में दिल्ली और इससे जुड़े शहरों में ही बीएस-6 ईंधन की आपूर्ति की जा रही थी, लेकिन 1 अप्रैल 2020 से पूरे देश में इसकी आपूर्ति की जाएगी।
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