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फ्रांस के पूर्व पीएम ने मोदी को चिट्ठी लिखकर राफेल डील को दिया था समर्थन

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नई दिल्‍ली। शुक्रवार को राफेल डील को लेकर एक बार फिर हंगामा मचा और यह हंगामा अखबार द हिंदू की रिपोर्ट सामने आने के बाद हुआ। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि रक्षा मंत्रालय ने पीएमओ के सामने डील के समांतर चल रही एक प्रक्रिया को लेकर आपत्ति दर्ज कराई थी। अब डील के समय फ्रांस के प्रधानमंत्री रहे मैन्‍युल वाल्‍स की वह चिट्ठी सामने आई है जिसमें डील को लेकर भारत सरकार से रजामंदी जताई गई थी। इस चिट्ठी में वाल्‍स ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार से कहा था कि फ्रांस की सरकार उनकी कंपनियों की ओर से किए गए वादों का पूरा समर्थन करती है।

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क्या लिखा था पूर्व फ्रेंच पीएम ने

न्‍यूज एजेंसी एएनआई को पूर्व फ्रेंच पीएम वाल्‍स की यह चिट्ठी हासिल हुई है। इस चिट्ठी में वाल्‍स ने लिखा है, 'मैं इस बात की पुष्टि करता हूं कि फ्रांस की सरकार वह सबकुछ करने के लिए प्रतिबद्ध है जिससे डसॉल्ट एविएशन और फ्रांस एमबीडीए इंटर-गवर्नमेंट करार में किए अपने वादों पर खरी उतर सके।' उन्होंने इस चिट्ठी में आगे लिखा, 'दोनों सरकारों के बीच में बातचीत एक इंटर-गवर्नमेंट करार के द्वारा परिभाषित है. ये दो सरकारों के बीच एक काम को करने के लिए आपसी फैसला है।' यह चिट्ठी फ्रेंच पीएम की ओर डील फाइनल होने के बाद सितंबर 2016 में लिखी गई थी। इस चिट्ठी में वाल्‍स ने आगे लिखा था, 'नेगोशिएटिंग टीम और दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों के बीच जो सहमति हुई है, फ्रांस की सरकार उसके लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।' सितंबर 2016 में भारत ने फ्रांस के साथ 36 राफेल फाइटर जेट्स की डील की थी जिसकी कीमत 59,000 करोड़ रुपए है।

सरकार ने सिर्फ एक पक्ष ही छापा

रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने द हिंदू की रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए कहा कि अखबारों को इस तरह की रिपोर्ट पब्लिश करने से पहले सिर्फ एक पक्ष ही नहीं छापना चाहिए। उन्‍हें दूसरे पक्ष यानी तत्कालीन रक्षा मंत्री की राय भी लेनी चाहिए थी। सीतारमण ने अखबार पर रिपोर्ट के लिए 'सेलेक्टिव तरीका' अपनाने का आरोप लगाया है। द हिंदू में आए नोट के बाद ही राहुल गांधी ने पीएम पर हमला बोला है। जो नोट सामने आया है वह 24 नवंबर 2017 का है और रक्षा मंत्रालय की ओर से दर्ज कराए गए विरोध से जुड़ा है। इस नोट के मुताबिक पीएमओ की ओर से जारी समान वार्ता की वजह से रक्षा मंत्रालय और भारत की टीम से की ओर से जारी बातचीत कमजोर पड़ती जा रही थी। रिपोर्ट के मुताबिक इस पूरी खींचतान की तरफ डील के समय रक्षा मंत्री रहे मनोहर पार्रिकर का भी ध्‍यान गया था। रिपोर्ट में आधिकारिक डॉक्‍यूमेंट्स के हवाले से कहा गया है कि रक्षा मंत्रालय की ओर से पीएमओ के रुख का विरोध किया गया था।

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English summary
French PM had written to Indian govt backing the Rafale deal obligations in the year 2015.
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