अफ्रीका में Covid19 वैक्सीन टेस्ट का सुझाव देकर घिरे फ्रेंच चिकित्सक, मांगनी पड़ी माफी!
बेंगलुरू। कोरोना वायरस महामारी संकट के बीच दो फ्रांसीसी डॉक्टरों पर नस्लवादी टिप्पणी का आरोप लगा है। दरसअल, टीवी चैनल पर बहस के दौरान नस्लवादी टिप्पणी करने वाले दोनों फ्रेंच डाक्टरों पर आरोप है कि कि उन्होंने सुझाव दिया था कि कोरोना वायरस के लिए एक संभावित टीका पहले अफ्रीका में लोगों पर परीक्षण किया जाना चाहिए।
रिपोर्ट कहती है कि एक फ्रांसीसी टेलीविज़न चैनल LCI पर बुधवार को बहस के दौरान फ्रेंच चिकित्सकों ने उक्त टिप्पणी की गई थी। बहस का टॉपिक था कि क्या तपेदिक के टीके बीसीजी का इस्तेमाल क्या कोरोना वायरस के इलाज के लिए किया जा सकता है। पूरी बहस यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में शुरू होने वाले COVID-19 परीक्षणों के बारे में चर्चा पर केंद्रित थी।
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It is totally inconceivable we keep on cautioning this.
Africa isn’t a testing lab.
I would like to vividly denounce those demeaning, false and most of all deeply racists words.Helps us save Africa with the current ongoing Covid 19 and flatten the curve. pic.twitter.com/41GIpXaIYv
— Didier Drogba (@didierdrogba) April 2, 2020
पेरिस के कोचीन अस्पताल में गहन देखभाल इकाई के प्रमुख जीन-पॉल मीरा ने कहा कि "यह उकसाने वाला हो सकता है, लेकिन क्या हमें अफ्रीका में यह अध्ययन नहीं करना चाहिए, जहां कोई मास्क नहीं है, कोई उपचार या गहन देखभाल नहीं है, ऐसा ही थोड़ा कुछ एड्स अध्ययनों के लिए किया गया था, जहां वेश्याओं के बीच, हम चीजों की कोशिश करते हैं, क्योंकि हम जानते हैं कि वे इसको लेकर अत्यधिक खुले विचारों वाले हैं और अपनी रक्षा नहीं करते हैं?"
जीन-पॉल मीरा की उक्ट टिप्पणी पर सहमित व्यक्त करते हुए फ्रांस के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान इंसेरम के शोध निदेशक केमिली लोचेट ने कहा, "आप सही हैं और वैसे हम इसी दृष्टिकोण का उपयोग करते हुए अफ्रीका में एक समानांतर अध्ययन के बारे में सोच रहे हैं।" हालांकि दोनों फ्रेंच चिकित्सकों की नस्लवादी टिप्पणी को सोशल मीडिया पर आलोचना शुरू होने में ज्यादा देर नहीं लगी।
चेल्सी के लिए खेल चुके आइवरियन पेशेवर फुटबॉल खिलाड़ी डिडिएर ड्रोग्बा ने फ्रेंच चिकित्सकों की ट्विवीटर पर आलोचना करते हुए लिखा, अफ्रीका परीक्षण प्रयोगशाला नहीं है, मैं उन अपमानजनक, झूठे और गहरे नस्लवाद से भरे शब्दों की निंदा करना चाहूंगा।"
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फ्रांस की सोशलिस्ट पार्टी के ओलिवियर फॉरे ने कहा कि फ्रेंच चिकित्सकों की उक्त टिप्पणी उकसावे वाले थे, लेकिन यह मात्र उकसावा नहीं, बल्कि सिर्फ नस्लवादी टिप्पणी है," उन्होंने ट्विटर पर लिखा, "अफ्रीका यूरोप की प्रयोगशाला नहीं है अफ्रीकी चूहे नहीं हैं!"
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फ्रांस के मीडिया नियामक में निंदा करने के लिए बुलाए गए नस्लवाद विरोधी समूह एसओएस रेस्जिमी ( SOS Racisme) औपचारिक रूप से फ्रेंच चिकित्सकों की नस्लवादी टिप्पणी की निंदा की है। समूह ने एक बयान जारी करते हुए कहा, " कोई भी अफ्रीकी गिनी सूअर नहीं हैं"। आगे जोड़ते हुए उन्होंने कहा कि टिप्पणी में एड्स और वेश्याओं के साथ तुलना "समस्याग्रस्त" और "स्वागत योग्य नहीं" थे।
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इस बीच, मोरक्को के वकीलों के एक समूह ने सामूहिक रुप से कहा कि नस्लीय मानहानि के लिए जीन पॉल मीरा पर मुकदमा करने जा रहा था। ट्विटर और इंस्टाग्राम पर Locht के एक नियोक्ता ने हैशटैग #FakeNews के साथ पोस्ट करते हुए लिखा है कि टिप्पणी को संदर्भ से बाहर लिया गया था।
बयान में कहा गया, "LCI टीवी चैनल पर हमारे शोधकर्ताओं में से एक के साक्षात्कार से लिया गया विकृत वीडियो अब गलत व्याख्या का विषय है, जो कि COVID -19 के खिलाफ BCG वैक्सीन के संभावित उपयोग पर एक अध्ययन के बारे में था। बयान में यह भी कहा गया है कि अफ्रीका को "इस अनुसंधान से हटाया नहीं जाना चाहिए, क्योंकि महामारी वैश्विक है।"
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हालांकि बाद में मीरा ने अपने नियोक्ता द्वारा प्रकाशित एक बयान में अपनी नस्लवादी टिप्पणी के लिए माफी मांग ली।मीरा ने कहा, "मैं उन सभी से माफी मांगना चाहता हूं, जो इस सप्ताह एलसीआई पर अनाड़ीपन में व्यक्त की गई मेंरी टिप्पणी से आहत, हैरान और अपमानित महसूस कर रहे थे।"
हफिंगटन पोस्ट के साथ एक साक्षात्कार में, मीरा ने आगे स्पष्ट किया, "अफ्रीका गंभीर रूप से और भी अधिक नुकसान उजागर हो सकता है, क्योंकि सामाजिक संरचना की वजह से लोग वहां बहुत कम लोगों के मॉस्क पहनते हैं और थोड़े प्रतिबंध में रहते हैं। उन्होंने कहा, "मुझे यह दिलचस्प लगा कि फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया के अलावा एक अफ्रीकी देश इस अध्ययन में भाग ले सकता है, मैंने शो में इसके बारे में सुनने से पहले कभी नहीं सुना था।
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गौरतलब है अफ्रीकी महाद्वीप कोरोना वायरस से सबसे कम प्रभावित है, जहां वर्तमान में COVID-19 के लगभग 7,500 मामले सामने आए हैं और करीब 320 मौतें हुई हैं। हालांकि इस बात की आशंका है कि परीक्षण की कमी के कारण वहां संक्रमितों के मामलों की संख्या कम है। विशेषज्ञों ने भी चेतावनी दी है कि कई अफ्रीकी देशों में खराब स्वास्थ्य प्रणाली एक गंभीर कोरोनो वायरस प्रकोप का कारण बन सकती है।
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