राफेल डील के छह माह के अंदर ही फ्रांस ने माफ किया था अनिल अंबानी का 1,124 करोड़ रुपए का टैक्स!
नई दिल्ली। फ्रांस के एक स्थानीय अखबार ने एक बार फिर से राफेल डील पर बड़ा खुलासा किया और इस बार घेरे में हैं अनिल अंबानी। फ्रांस के अखबार ला मोंडे का दावा है कि साल 2015 में राफेल डील के बाद फ्रांस की अथॉरिटीज ने अनिल अंबानी का 143.7 मिलियन यूरो यानी 1,124 करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज माफ किया था। अखबार के मुताबिक जिस समय भारत की सरकार ने 36 राफेल फाइटर जेट फ्रांस से खरीदने का ऐलान किया था, अनिल अंबानी कंपनी की फ्रेंच कंपनी रिलायंस फ्लैग अटलांटिक फ्रांस की, फ्रांस की सरकार पर 151 मिलियन यूरो का टैक्स अदायगी बची थी। लेकिन डील के बाद सरकार ने टैक्स की वसूली को कैंसिल कर दिया।
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छह माह तक चला था टैक्स विवाद
फ्रांस की वेबसाइट द टेलर. कॉम के मुताबिक फरवरी 2015 से अक्टूबर 2015 तक टैक्स का विवाद चला था और इसी बीच इस विवाद को सुलझा लिया गया था। यह वही समय था जब भारत और फ्रांस की सरकार आपस में 36 राफेल की डील की बातचीत कर रहे थे। अनिल अंबानी की कंपनी के खिलाफ फ्रेंच अथॉरिटीज ने जांच की और पता लगा कि 60 मिलियन यूरो कंपनी को बतौर टैक्स अदा करना है। टैक्स की यह रकम साल 2007 से 2010 के बीच की है। रिलायंस अटलांटिक फ्लैग फ्रांस ने 7.6 मिलियन यूरो टैक्स अदा करने की पेशकश की थी लेकिन अथॉरिटीज ने इसे मानने से इनकार कर दिया था। इसके बाद अथॉरिटीज की ओर से एक और जांच करवाई गई थी। साल 2010 से 2012 तक एक और जांच अनिल अंबानी की कंपनी के खिलाफ करवाई गई थी। कंपनी को इस समय 91 मिलियन यूरो की अतिरिक्त राशि टैक्स के तौर पर अदा करने को कहा गया था।
डील का ऐलान और टैक्स माफी
पीएम मोदी ने जब रॉफेल डील का ऐलान किया तो उसके सिर्फ छह माह के अंदर ही फ्रेंच अथॉरिटीज ने अनिल अंबानी का 143.7 मिलियन यूरो टैक्स की राशि पर समझौता कर लिया। अथॉरिटीज ने सिर्फ 7.3 मिलियन यूरो की राशि रिलायंस से बतौर सेटेलमेंट ली जबकि टैक्स की अदायगी 151 मिलियन यूरो थी। रिपोर्ट के मुताबिक अनिल अंबानी की कंपनी इस समय अपने बड़े वित्तीय संकटों के लिए जानी जाती है। रिलायंस की अन्य कंपनियों के लिए दूरसंचार से जुड़ी सेवाएं देने वाली इस कंपनी पर भारी टैक्स बकाया है। रिपोर्ट के मुताबिक 31 मार्च, 2014 को इसका टर्नओवर करीब छह मिलियन यूरो (करीब 470 करोड़ रुपए) था। फ्रेंच अखबार ने कंपनी के ऑडिटर की 30 जनवरी, 2015 की रिपोर्ट के दस्तावेजों के आधार पर बताया है कि कंपनी को टैक्स बकाये से जुड़े दो मामलों में फायदा पहुंचाया गया था।
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