दिल्ली में DTC-क्लस्टर बसों में महिलाएं जल्द कर सकेंगी मुफ्त यात्रा, मेट्रो में होगी देरी
नई दिल्ली- दिल्ली-एनसीआर में रहने वाली महिलाओं के लिए आधी-अधूरी अच्छी खबर है। दिल्ली सरकार की ओर से महिलाओं के लिए राजधानी के पब्लिक ट्रांसपोर्ट में मुफ्त यात्रा की घोषणा के संबंध में सोमवार को दिल्ली विधानसभा ने बड़ी मंजूरी दी है। दिल्ली विधानसभा ने इस संबंध में दिल्ली सरकार की 290 करोड़ रुपये की पूरक मांगों को मंजूरी दे दी है। ये डिमांड दिल्ली मेट्रो और डीटीसी में महिलाओं की फ्री यात्रा को लेकर की गई थी।
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सदन के सामने महिलाओं की मुफ्त यात्र के लिए जो 290 करोड़ रुपये की मांग प्रस्तावित की गई, उसमें 150 करोड़ रुपये दिल्ली मेट्रो और 140 करोड़ रुपये डीटीसी और क्लस्टर बसों में फ्री यात्रा की लिए रखी गई है। इनमें भी 90 करोड़ रुपये डीटीसी की बसों के लिए और 50 करोड़ क्लस्टर बसों के लिए रखी गई है। गौरतलब है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में इसका ऐलान किया था कि डीटीसी और क्लस्टर बसों में महिलाओं की मुफ्त यात्रा की व्यवस्था आने वाले 29 अक्टूबर से लागू हो जाएगी।
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री ने मनीष सिसोदिया ने इसके साथ ही बसों में मार्शल की तैनाती और रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम कॉरिडोर के लिए भी पूरक मांगें रखीं, जिसे सदन ने ध्वनि मत से मंजूरी दे दी। दिल्ली की बसों में मार्शल की तैनाती के लिए 142 करोड़ रुपये और आरआरटीएससी के लिए 47 करोड़ रुपये की रकम को विधानसभा से हरी झंडी मिली है।
लेकिन, दिक्कत ये है कि उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के मुताबिक दिल्ली में डीटीसी और क्लस्टर बसों में तो महिलाओं को मुफ्त यात्रा का फायदा जल्दी मिलना शुरू हो जाएगा, लेकिन दिल्ली मेट्रो में यह व्यवस्था लागू होने में अभी वक्त लगेगा। क्योंकि, सिसोदिया ने कहा है कि इसकी तैयारी करने में डीएमआरसी को कुछ और समय लगेगा।
बता दें कि इस साल जून में केजरीवाल ने यह घोषणा करके सबको चौंका दिया था कि उनकी सरकार राष्ट्रीय राजधानी में सभी पब्लिक ट्रांसपोर्ट में महिलाओं के लिए फ्री सेवा शुरू करने पर विचार कर रही है। उनकी इस घोषणा को अगले साल की शुरुआत में होने वाले दिल्ली विधानसभा के चुनावों को जोड़कर देखा गया। इसमें दिल्ली मेट्रो में महिलाओं के लिए मुफ्त सेवा देने को लेकर कई तरह के सवाल भी उठाए जा चुके हैं और तर्क ये दिया गया है कि लोक-लुभावन कार्यों के चलते कहीं इसकी गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ना न शुरू हो जाए।