डार्क वेब पर COVID-19 के नाम पर हो रही धोखाधड़ी, महामारी का इलाज करने वाले वैक्सीन और खून बेचने का दावा
नई दिल्ली। दुनियाभर के देशों को अपनी चपेट में ले चुका कोरोना वायरस अब तक लाखों लोगों की जान ले चुका है। कोरोना के इलाज को लेकर इंटरनेट पर कई दावे किए जा रहे हैं जो की गलत है। कुछ ऐसा ही दावा डार्क वेब पर किया जा रहा है जहां कोरोना वायरस के चलते ऐसी चीजों की बिक्री की जा रही है जो वहां कभी नहीं होती थी। बता दें कि इंटरनेट की दुनिया में डार्क वेब का अपना एक बाजार है जो की गैरकानूनी चीजों के लिए जानी जाती है।
इंटरनेट का काला बाजार
इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है कि कोरोना वायरस संकट के बीच डार्क वेब पर महामारी को लेकर चर्चा ना हो। इस समय डार्क वेब पर वायरस डिटेक्टर्स से लेकर कोरोना वायरस की 'वैक्सीन' तक बेची जा रही है। यहीं नहीं इंटरनेट के इस काले बाजार में गैरकानूनी तरीके से रिकवर किए गए ठीक हुए कोरोना मरीजों का खून भी बेचा जा रहा है।
डार्क वेब पर बिक रहे ये सामान
डार्कनेट सर्च इंजन DarkOwl द्वारा जमा किए गए एक आंकड़े के अनुसार डार्क नेट पर वायरस डिटेक्टर्स, COVID-19 वैक्सीन, खून, कोरोना वायरस संक्रमित बलगम, प्लाज्मा जैसी कई चीजों की लिस्टिंग की गई है। Agartha नाम की एक डार्क वेब मार्केट पर 'कोरोना वायरस के खिलाफ इम्युनिटी के लिए रिकवर्ड पेशेंट्स का प्लाज्मा' लिस्टेड है। इसके सेलर नें प्लाज्मा के 25ml, 50ml, 100ml, 500ml के पैकेट्स की लिस्टिंग की है।
कोरोना वायरस का वैक्सीन भी मौजूद
इतना ही नहीं सेलर ने 2.036 बिटक्वाइंस यानी की करीब 10.86 लाख भारतीय रुपए में एक लीटक खून बेचने का भी दावा किया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक एक पेज पर कोरोना वायरस के वैक्सीन का पोस्टर भी लगाया गया है जिसमें दावा किया गया है कि उसे इजरायल के वैज्ञानिकों द्वारा तैयार किया गया है। इसके अलावा एक सेलर कोरोना एंटीवायरस डिटेक्टिव डिवाइस बेच रहा है।
23 हजार से लेकर डेढ़ लाख तक के सामान
प्लाजा बेचने वाले सेलर के ही पेज पर कोरोना वायरस की वैक्सीन भी 0.065 बिटक्वाइंस (34,751 रुपये) में बेची जा रही है। एक अन्य वेबसाइट पर कोरोना वायरस से जल्दी रिकवर करने के लिए 20 कैप्सूल्स का पैकेट 43 डॉलर (3,291 रुपये) में बेचा जा रहा है, इसके अलावा कोरोना वायरस में यूज हो रही एक दवा और जापान में महामारी के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एक एंटी वायरल दवा भी सेल की जा रही है। इनके दाम 23 हजार से लेकर डेढ़ लाख के बीच है।
डार्क वेब बिजनेस को हुआ नुकसान
डार्क वेब पर एक ओर जहां ऐसा माना जाता है कि अधिकतर सेलर अपने दावे पूरे करते हैं लेकिन कोरोना वायरस को लेकर शुरू किया गया व्यापार पूरी तरह से धोखा है। कोरोना वायरस को लेकर दुनियाभर के वैज्ञानिक दिन रात कड़ी मेहतन कर के वैक्सीन बनाने की कोशिश कर रहे हैं। कोरोना वायरस को लेकर इस तरह के दावे से डार्क वेब की सप्लाई चेन टूटी है और बिजनेस को नुकसान हुआ है।
क्या है डार्क वेब?
इंटरनेट पर ऐसी कई वेबसाइटें हैं जो आमतौर पर प्रयोग किये जाने वाले गूगल, बिंग जैसे सर्च इंजनों और सामान्य ब्राउजिंग के दायरे से परे होती हैं। इन्हें डार्क नेट या डीप नेट कहा जाता है। सामान्य वेबसाइटों के विपरीत यह एक ऐसा नेटवर्क होता है जिस तक लोगों के चुनिंदा समूहों की पहुँच होती है और इस नेटवर्क तक विशिष्ट ऑथराइज़ेशन प्रक्रिया, सॉफ्टवेयर और कन्फिग्यूरेशन के माध्यम से ही पहुँचा जा सकता है। अधिकांश डार्क वेब सामग्री में उन प्लेटफार्मों पर होस्ट की गई निजी फाइलें होती हैं, जहां केवल ग्राहक ही पहुंच सकते हैं।
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