अनिल अंबानी को टैक्स में मिली छूट में कोई राजनीतिक दखल नहीं- फ्रांस
नई दिल्ली। रिलायंस फ्लैग को फ्रांस में राफेल सौदे के बाद 1100 करोड़ रुपये से ज्यादा की छूट के खुलासे के बाद फ्रांस ने शनिवार को स्पष्टीकरण जारी किया है। फ्रांस दूतावास ने बयान जारी कर कहा है, रिलायंस फ्लैग और फ्रांस कर विभाग के बीच एक वैश्विक कर समझौता हुआ था, जो 2008-2012 के काल के कर विवाद को लेकर था। यह समझौता पूरी तरह से कर प्रशासन के वैधानिक और नियामक ढांचे के दायरे में हुआ और इस समझौते में कोई भी राजनीतिक दखल नहीं थी।
फ्रांस की तरफ से यह स्पष्टीकरण उन खबरों के आधार पर दिया गया है जिनमें अनिल अंबानी की फ्रांसीसी कंपनी को भारी-भरकम कर छूट मिलने की बातें की गयी हैं। आपको बता दें कि फ्रांस के अखबर में कहा गया है कि फरवरी और अक्टूबर 2015 के बीच जब फ्रांस भारत के साथ राफेल सौदे पर बातचीत कर रहा था तभी अनिल अंबानी को 143.7 मिलियन यूरो की कर छूट मिली। गौरतलब है कि अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस अप्रैल 2015 में पीएम मोदी द्वारा घोषित फ्रांस के साथ भारत के राफेल जेट सौदे में एक ऑफसेट साझेदार है।
French Ambassador in response to the article published by Le Monde today: This settlement was conducted in full adherence with legislative & regulatory framework governing this common practice of the tax administration. It was not subject to any political interference whatsoever. https://t.co/8ijyZaI8Tb
— ANI (@ANI) April 13, 2019
यह था पूरा मामला
फ्रांसीसी टैक्स अधिकारियों द्वारा अनिल अंबानी की रिलायंस अटलांटिक फ्लैग फ्रांस कंपनी की कथित तौर पर जांच की गई थी। इसमें पाया गया कि साल 2007 से 2010 की अवधि के लिए टैक्स के रूप में कंपनी को 60 मिलियन यूरो का भुगतान करना था। जबकि कंपनी ने इसके उलट 7.6 मिलियन यूरो का भुगतान करने की पेशकश की। फ्रांसीसी अधिकारियों ने पेशकश ठुकराकर फिर से एक और जांच शुरू कर दी। इस जांच में वर्ष 2010 से 12 तक का भी टैक्स निकाला जिसमें अनिल अंबानी की कंपनी को अतिरिक्त 91 मिलियन यूरो का टैक्स देने के लिए कहा गया।
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कंपनी ने यह टैक्स भी जमा नहीं किया और कुल टैक्स की रकम 151 मिलियन यूरो हो गई। वर्ष 2015 में राफेल डील की घोषणा के छह महीने बाद फ्रांसीसी टैक्स अधिकारियों ने रिलायंस से टैक्स विवाद का निपटारे को अंतिम रूप दे दिया। इसके तहत कंपनी से 151 मिलियन यूरो की बहुत बड़ी राशि की बजाय 7.3 मिलियन यूरो ही लिए गए। यानी रिलायंस से सीधे 141 मिलियन यूरो या 1100 करोड़ रुपए छोड़ दिए गए।