चंद्रमा के और करीब पहुंचा चंद्रयान-2, चौथी बार सफलतापूर्वक बदली कक्षा
नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का महत्वकांक्षी मून मिशन चंद्रयान-2 ने 30 अगस्त को एक और सफलता हासिल हो गई है। वह चांद के एक कदम और पास पहुंच गया। इसरो की ओर से जारी बयान में बताया गया कि, चंद्रयान-2 30 अगस्त को शाम चंद्रमा की चौथी कक्षा में प्रवेश कर गया। अब चंद्रयान-2 चांद के चारों तरफ 126 किमी की एपोजी (चांद से सबसे कम दूरी) और 164 किमी की पेरीजी (चांद से ज्यादा दूरी) में चक्कर लगाएगा।
चंद्रयान-2 ने शुक्रवार शाम 6:18 बजे चौथी बार चांद की कक्षा सफलतापूर्वक बदल ली। इसके साथ ही यान चांद के सबसे नजदीक पहुंच गया है। चंद्रयान-2 दो दिन तक इसी कक्षा में चांद के चक्कर लगाएगा। इसके बाद यह 1 सितंबर को पांचवी कक्षा में प्रवेश करेगा। तब यह चांद के चारों तरफ 114 किमी की एपोजी और 128 किमी की पेरीजी में चक्कर लगाएगा। बता दें कि चांद के नजदीक के पास पहुंच रहे चंद्रयान ने तस्वीरें भेजना शुरू कर दिया है।
2 सितंबर को विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर यान से अलग हो जाएंगे। विक्रम लैंडर 7 सितंबर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा। लैंडर के चांद की सतह पर उतरने के बाद इसके भीतर से 'प्रज्ञान' नाम का रोवर बाहर निकलेगा और अपने छह पहियों पर चलकर चांद की सतह पर अपने वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देगा। लैंडिंग इसरो के लिए इस कारण से भी बड़ी चुनौती है क्योंकि भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने अब तक ऐसा नहीं किया है।
सबकुछ यदि ठीक रहता है तो अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चांद पर 'सॉफ्ट लैंडिंग' करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। इसके साथ ही अंतरिक्ष इतिहास में भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा। चांद की कक्षा में पहुंचने के बाद ऑर्बिटर एक साल तक काम करेगा। इसका मुख्य उद्देश्य पृथ्वी और लैंडर के बीच कम्युनिकेशन करना है। ऑर्बिटर चांद की सतह का नक्शा तैयार करेगा, ताकि चांद के अस्तित्व और विकास का पता लगाया जा सके। वहीं, लैंडर और रोवर चांद पर एक दिन (पृथ्वी के 14 दिन के बराबर) काम करेंगे। लैंडर यह जांचेगा कि चांद पर भूकंप आते हैं या नहीं।
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