जुलाई के अंत में भारत आएंगे 4 राफेल फाइटर जेट, चीन-पाकिस्तान बॉर्डर पर होगी तैनाती
नई दिल्ली। जुलाई माह के अंत तक फ्रांस से चार राफेल फाइटर जेट्स भारत आएंगे। राफेल जेट्स को पहले मई माह में भारत को मिलने वाले थे मगर कोरोना वायरस महामारी के चलते इनकी डिलीवरी दो महीने के लिए टाल दी गई थी। इस जेट के भारत आने से इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) की ताकत में कई गुना तक इजाफा होगा। न्यूज एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से इस खबर की पुष्टि की है। इन जेट्स को पाकिस्तान से लगी पश्चिमी सीमा चीन से सटी पूर्वी सीमा पर तैनात किया जाएगा।
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मिडिल ईस्ट होते हुए भारत पहुंचेगा जेट
रक्षा सूत्रों ने बताया है कि चार एयरक्राफ्ट जिसमें तीन डबल सीटर ट्रेनर एयरक्राफ्ट और एक सिंगल सीटर फाइटर एयरक्राफ्ट है, वह जुलाई के अंत तक अंबाला एयरबेस पर पहुंच जाएंगे। ट्रेनर जेट्स का टेल नंबर RB सीरीज में होगा। इस नंबर के जरिए एयरफोर्स चीफ आरकेएस भदौरिया को सम्मानित किया जाएगा जिन्होंने डील को फाइनल करने में अहम भूमिका अदा की है। जो पहला एयरक्राफ्ट होगा उसे आईएएफ के अंबाला 17 गोल्डन एरो स्क्वाड्रन के कमांडिंग ऑफिसर एक फ्रेंच पायलट के साथ उड़ाएंगे। एयरक्राफ्ट फ्रांस से मिडिल ईस्ट के रास्ते भारत आएंगे। मिडिल ईस्ट में आईएएफ के आईएल-78 टैंकर्स जेट्स को रि-फ्यूल करेंगे। सूत्रों के मुतबिक राफेल जेट्स फ्रांस से सीधे भारत आ सकते हैं। लेकिन 10 घंटे की फ्लाइट छोटे से कॉकपिट में काफी तनावपूर्ण हो सकती है।
दूसरी स्क्वाड्रन चीन के करीब
इस एयरक्राफ्ट की दूसरी स्क्वाड्रन पश्चिम बंगाल के हाशिमारा में होगी । यहां पर राफेल की स्क्वाड्रन को चीन से सटे बॉर्डर को ध्यान में रखते हुए रखा जाएगा। आईएएफ की 17 स्क्वाड्रन ने कारगिल की जंग के समय मिग-21 को ऑपरेट किया था और इसके पास उस समय की नंबर प्लेट भी है। राफेल की पहली कॉम्बेट यूनिट वही गोल्डन एरो स्क्वाड्रन है जिसे सन् 1999 में कारगिल की जंग के समय पूर्व आईएएफ चीफ बीएस धनोआ ने कमांड किया था। सितंबर 2016 में भारत ने फ्रांस की सरकार और डसॉल्ट एविएशन के साथ 36 राफेल जेट की डील साइन की थी। यह डील करीब 7.8 बिलियन डॉलर की थी। पाकिस्तान से सटे वेस्टर्न बॉर्डर को और मजबूत करने के लिए भी इस डील को मंजिल तक पहुंचाया गया था। आईएएफ की योजना राफेल की एक स्क्वाड्रन को उत्तर प्रदेश के सारस्वत एयरबेस पर तैनात करने की भी थी लेकिन जमीन के अधिग्रहण से जुड़े कुछ मुद्दों की वजह से ऐसा नहीं हो सका।