जम्मू-कश्मीर: खबरें भेजने में पत्रकारों को करना पड़ रहा है भारी दिक्कतों का सामना
श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में पत्रकारों को खबरें भेजने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हर किसी को ईमेल की एक्सेस के लिए कभी-कभी घंटों इंतजार करना पड़ता है। श्रीनगर के एक स्थानीय होटल में कॉन्फ्रेंस हॉल पत्रकारों से भरा हुआ है। एक कोने में चार कंप्यूटर लगे हैं, जहां रिपोर्टर इकठ्ठा रहते हैं। इनमें से भी दो सिस्टमों पर भी ज्यादातर सरकारी सूचना विभाग के अधिकारियों का कब्जा है।
ये चार कंप्यूटर कश्मीर में पत्रकारों के लिए इंटरनेट का उपयोग करने के लिए है इसके जरिए वो ही खबरें भेज रहे है और बाहर की दुनिया के बारे में जानकारी प्राप्त कर रहे हैं। गौरतलब है कि 5 अगस्त को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म करने का ऐलान किया था और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांट दिया था। इस फैसले के ऐलान के बाद ही पूरी घाटी में लॉकडाउन कर दिया गया था। इसके बाद यहां इंटरनेट और लैंडलाइन पर पूर्ण प्रतिबंध था और मोबाइल फोन सेवाएं पूरी तरह से बंद थीं। सरकार ने कर्मशियल उद्देश्य के लिए विशेष इंटरनेट लाइन के इस्तेमाल की अनुमति दी थी।
इंटरनेशनल संस्थाओं से जुड़े कुछ पत्रकारों ने सबसे पहले ग्राउंड रिपोर्ट बताई थी। यहां से एक व्यक्ति को फ्लैश ड्राइव में रिपोर्ट लेकर नई दिल्ली भेजा गया। एक हफ्ते तक, अधिकांश पत्रकारों ने ये ही काम किया। डिजिटल संवाददाताओं ने वीडियो रिकॉर्ड किए और उन्हें ओबी वैन के माध्यम से भेजा। कुछ संगठनों ने अपने कश्मीर स्थित पत्रकारों की तलाश में पत्रकारों को घाटी में भेज दिया। इसमें कुछ असफल होकर वापस दिल्ली गए। सरकार को मीडिया सुविधा केंद्र लगाने में एक हफ्ते का समय लगा, जहां से पत्रकार इंटरनेट का उपयोग कर सकते हैं और फोन कॉल कर सकते हैं। हर दिन यहां से सौ पत्रकार इन कंप्यूटरों का उपयोग अपनी स्टोरियों को फाइल करने के लिए करते हैं। इंटरनेट की स्पीड सही होने पर ये वो कर पाते हैं।