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वो फॉर्मूला जो कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस सरकार बचा सकता है

कर्नाटक में एक दर्जन से ज़्यादा विधायकों के इस्तीफ़े के बाद से कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार गंभीर संकट में है.

ये सब उस वक़्त शुरू हुआ जब पूर्व जेडीएस अध्यक्ष एच विश्वनाथ विधायकों को लेकर असेंबली स्पीकर रमेश कुमार के चैंबर पहुंचे. हालांकि स्पीकर तबतक वहां से निकल चुके थे.

ये सभी विधायक अपना इस्तीफ़ा सौंपने पहुंचे थे. 

By BBC News हिन्दी
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@RAHULGANDHI

कर्नाटक में एक दर्जन से ज़्यादा विधायकों के इस्तीफ़े के बाद से कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार गंभीर संकट में है.

ये सब उस वक़्त शुरू हुआ जब पूर्व जेडीएस अध्यक्ष एच विश्वनाथ विधायकों को लेकर असेंबली स्पीकर रमेश कुमार के चैंबर पहुंचे. हालांकि स्पीकर तबतक वहां से निकल चुके थे.

ये सभी विधायक अपना इस्तीफ़ा सौंपने पहुंचे थे. स्पीकर तो उन्हें नहीं मिले, लेकिन वो स्पीकर दफ्तर के सचिव को इस्तीफ़ा दे आए.

कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने बीजेपी पर राज्य की गठबंधन सरकार को गिराने की कोशिश करने का आरोप लगाया है, लेकिन जेडीएस नेता एच विश्वनाथ का कहना है कि विधायकों ने स्वेच्छा से इस्तीफ़ा दिया है और वो किसी "ऑपरेशन कमल" से प्रभावित नहीं हैं.

उनका कहना है कि कर्नाटक की गठबंधन सरकार जनता की उम्मीदों को पूरा करने में नाकाम रही है.

एचडी कुमारास्वीमी
Getty Images
एचडी कुमारास्वीमी

इस बीच कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारास्वामी के देश वापस लौटने के बाद से बैठकों का दौर जारी है. कांग्रेस और जेडीएस मिलकर मंथन कर रहे हैं कि अगला क़दम क्या हो.

इस बीच कांग्रेस विधायक एसटी सोमशेखर ने रविवार को कहा कि इस्तीफ़े वापस लेने का सवाल ही नहीं है.

लेकिन क्या अब भी ऐसा कोई फॉर्मूला या तरीक़ा है, जिससे कर्नाटक की जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन सरकार की डूबती नैया पार लग सकती है. यही जानने के लिए बीबीसी संवाददाता गुरप्रीत सैनी ने वरिष्ठ पत्रकार विनोद शर्मा से बात की.

FACEBOOK/H D KUMARASWAMY

पढ़िए उन्होंने क्या कहा-

कर्नाटक में हमेशा कोई ना कोई फॉर्मूला होता है. सरकार बचाने का फॉर्मूला है कि जब विधायकों के मन में ये डर हो कि अगर सरकार गिर गई तो नए चुनाव होंगे.

कोई भी विधायक नया चुनाव नहीं करवाना चाहता है. भले ही वो बीजेपी का विधायक हो या कांग्रेस का विधायक.

ये चीज़ कांग्रेस और जेडीएस सरकार के पक्ष में जाती है.

अब इनके अपने हुनर पर निर्भर करता है कि ये सरकार बचा सकते हैं या नहीं.

ये बात भी सच है कि कांग्रेस के भीतर बहुत से लोग, ख़ासकर सिद्धारमैया वगैहरा बिलकुल ख़ुश नहीं है कि एचडी कुमारास्वामी वहां मुख्यमंत्री हो गए.

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क्योंकि जब जनता दल सेक्यूलर की सरकार बनी थी और कुमारास्वामी बीजेपी के समर्थन से पहली बार मुख्यमंत्री बने थे. उस वक़्त दावेदारी सिद्धारमैया की थी. लेकिन देवगौड़ा ने अपने बेटे को बना दिया था. इनमें खींचतान जब से चल रही है.

अब देखना है कि सिद्धारमैया सरकार बनाने के पक्ष में काम करते हैं या गिराने के पक्ष में, लेकिन मुझे नहीं लगता कि गिराने से उन्हें कोई फ़ायदा होने वाला है.

अगर सरकार गिरती है और नया चुनाव होता है तो सिर्फ़ भारतीय जनता पार्टी को फ़ायदा होगा.

लेकिन भारतीय जनता पार्टी के ख़ेमे में भी येदियुरप्पा के लिए भी कोई ख़ास सेंटिमेंट नहीं है. क्योंकि वहां पर बीजेपी अपना नेतृत्व परिवर्तन करना चाहती है और येदियुरप्पा की जगह कोई दूसरा नेता लाना चाहती है.

एचडी कुमारास्वीमी
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एचडी कुमारास्वीमी

विधायकों के इस्तीफ़े स्वीकार ना करने के पीछे पेंच?

विधायकों के इस्तीफ़े कौन स्वीकार करता है, ये स्पीकर पर निर्भर करता है. क्योंकि स्पीकर स्वीकृति देता है कि उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया और दूसरे पाले में चले गए.

इस मामले का जो भी नतीजा निकलेगा वो स्पीकर पर निर्भर करेगा.

HD KUMARASWAMY

आपसी मतभेद

कांग्रेस के अंदर मतभेद है. कांग्रेस और जेडीएस के बीच मतभेद है. बीजेपी के अंदर मतभेद है.

तो आज के दिन जो विधान सभा है, वो इतने हिस्सों में बंटा हुआ है कि आप अंदाज़ा नहीं कर सकते.

शायद इसलिए अमित शाह ने कुछ महीने पहले कहा था कि हम वहां नया चुनाव चाहते हैं. जिसके चलते वहां के विधायक डरे हुए हैं. वो सरकार चाहे बदलना चाहें, लेकिन नया चुनाव नहीं चाहते.

बीजेपी लगातार पूरे घटनाक्रम में अपना हाथ होने से इनकार कर रही है. किसी पर आरोप नहीं लगाया जा सकता लेकिन जब सरकारें गिरती हैं तो बहुत से लोगों का हाथ होता है. हर तरफ़ से कोशिश होती है.

एचडी कुमारास्वीमी
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एचडी कुमारास्वीमी

अंदर के विरोधाभास से सरकार गिरती है, बाहर के प्रोत्साहन से सरकार गिरती है.

इसलिए हमें ये देखने के लिए इंतज़ार करना होगा कि सरकार रहेगी या जाएगी. एकदम कुछ नहीं कहा जा सकता.

जबतक स्पीकर सरकार के पक्ष में है, सरकार को बचाने की कोशिश करेगा. इसलिए लगता है कि सरकार आश्वासित रह सकती है.

लेकिन वहां गवर्नर भी अपना रोल निभाएंगे और गवर्नर बीजेपी के पक्ष के हैं. इसलिए क्या होगा ये कहना मुश्किल है.

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English summary
Formula which can save Congress-JDS government in Karnataka
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