18 महीने बाद अहम पद पर हुई उर्जित पटेल की वापसी, बने NIPFP के चेयरमैन
नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल की 18 महीने बाद एक अहम पद पर वापसी हुई है। उन्हें नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी (NIPFP) का चेयरमैन नियुक्त किया गया है। NIPFP को भारत का सबसे अहम थिंक टैंक कहा जाता है। इससे पहले इस पद की जिम्मेदारी विजय केलकर के पास थी, जिनका कार्यकाल 6 साल के करीब रहा है। उर्जित इस पद की जिम्मेदारी 22 जून को संभालेंगे और उनका कार्यकाल चार साल का होगा।
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NIPFP एक स्वायत्त निकाय ( Autonomous Body) है, जिसे वित्त मंत्रालय, योजना आयोग और कई राज्य सरकारों ने मिलकर बनाया था। इसे एक स्वतंत्र गैर सरकारी संस्था माना जाता है, जो पब्लिक पॉलिसी के लिए रिसर्च करती है। साथ ही केंद्र और राज्य सरकार को सलाह देना भी इसका मुख्य काम है। पटेल की नियुक्त के बाद NIPFP ने कहा कि संस्था को इस बात की खुशी है कि आरबीआई के पूर्व गवर्नर 22 जून से उनके साथ जुड़ रहे हैं। साथ ही उम्मीद जताई कि वो संस्था को और आगे बढ़ाएंगे। NIPFP ने केलकर के योगदान के लिए उनका भी आभार जताया है।
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2018
में
दिया
था
इस्तीफा
साल
2013
से
पहले
उर्जित
केन्या
के
नागरिक
थे।
इसके
बाद
उन्होंने
भारत
की
नागरिकता
ली।
लंदन
स्कूल
ऑफ
इकोनॉमिक्स,
ऑक्सफोर्ड
यूनिवर्सिटी
और
येल
यूनिवर्सिटी
में
पढ़ाई
कर
चुके
उर्जित
को
2013
में
ही
आरबीआई
का
डिप्टी
गवर्नर
बनाया
गया।
एक
जमाने
में
उर्जित
पटेल
को
मिंट
स्ट्रीट
पर
सरकार
का
आदमी
माना
जाता
था,
लेकिन
आरबीआई
गवर्नर
बनने
के
बाद
उनके
तेवर
एकदम
से
बदल
गए।
उन्होंने
सरकार
की
नीतियों
पर
लगातार
सवाल
उठाना
शुरू
कर
दिया।
पटेल
का
कार्यकाल
सितंबर
2019
में
पूरा
होना
था,
लेकिन
10
दिसंबर
2018
को
अचानक
इस्तीफा
देकर
उन्होंने
सबकों
चौंका
दिया।
इसके
पीछे
उन्होंने
नीचे
कारणों
का
हवाला
दिया
था।