शिक्षक राजनीति के भीष्म पितामह ओमप्रकाश शर्मा का हुआ निधन, 48 सालों तक MLC रहने का रिकॉर्ड
मेरठ। Omprakash Sharma died: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की शिक्षक राजनीति के भीष्म पितामह कहे जाने वाले पूर्व एमएलसी ओमप्रकाश शर्मा (Former MLC Omprakash Sharma) का शनिवार को 87 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। ओमप्रकाश के निधन की खबर से शिक्षा जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। बता दें कि ओमप्रकाश शर्मा, शनिवार सुबह जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में शिक्षकों की विभिन्न मांगों को लेकर जारी धरना प्रदर्शन और उपवास में शामिल हुए थे, इसके बाद उन्होंने जिला विद्यालय निरीक्षक को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा था। देर रात उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

48 सालों तक MLC रहने का रिकॉर्ड
शिक्षक राजनीति (Teacher politics) में आधी सदी तक अपना दबदबा कायम रखने वाले पूर्व एमएलसी ओमप्रकाश शर्मा के निवास स्थान पर सांत्वना देने वालों का तांता लगा हुआ है। मेरठ (Meerut) के रहने वाले ओमप्रकाश शर्मा वर्ष 1970 से ही शिक्षक राजनीति में सक्रिय थे, उन्होंने मेरठ शिक्षक सीट से 48 साल तक लगातार एमएलसी बने रहने का रिकार्ड कायम किया। ओमप्रकाश शर्मा ने 1970 में पहली बार एमएलसी का चुनाव (Election of MLC) लड़ा और 37 वर्ष की आयु में पहली बार MLC निर्वाचित हुए। वे लगातार आठ बार एमएलसी चुने गए।
दो घंटे के अंदर मिल जाते थे 50 वोट
हालांकि इस बार हुए MLC चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने कहा था कि वह लगातार शिक्षकों के लिए काम करना जारी रखेंगे। शनिवार को ओमप्रकाश शर्मा के निधन के बाद मेरठ खंड शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से एमएलसी के चुनाव में उनका नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। ओमप्रकाश शर्मा ने अंतिम और आठवीं बार साल 2014 में शिक्षक विधायक का चुनाव (Election of teacher legislator) जीता था। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कथित तौर पर 90 के दशक में सुबह आठ बजे मतगणना शुरू होने के दो घंटे के अंदर 50 प्रतिशत से अधिक मत मिल जाते थे।
बीजेपी उम्मीदवार से हारे चुनाव
कुछ दिन पहले हुए शिक्षक विधायक चुनाव में उन्होंने नौवीं बार नामांकन भरा लेकिन दुर्भाग्यवश ओमप्रकाश शर्मा इस बार भाजपा उम्मीदवार श्रीचंद शर्मा से हार गए। पराजित होने के बाद शर्मा ने कहा था कि वह व्यक्तिगत स्तर पर शिक्षकों के हितों के लिए कार्य करते रहेंगे। बता दें कि शिक्षक हितों के लिए किए गए कार्यों को लेकर ओम प्रकाश शर्मा को 'शिक्षकों का मसीहा' भी कहा जाता था।