चुनाव आयोग के दो बड़े फैसलों पर आयोग के मुख्य कानूनी सलाहकार का बड़ा खुलासा
नई दिल्ली। चुनाव आयोग के मुख्य वकील के तौर पर काम कर चुके एस के मेंदीरत्ता ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने उनसे दो सबसे विवादित मामलों पर राय नहीं ली थी, जिसकी वजह से आयोग को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि आयोग ने आम आदमी पार्टी के विधायकों के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द करने और हिमाचल प्रदेश के चुनाव नतीजों को गुजरात के चुनाव नतीजों से अलग करने के फैसले पर राय नहीं ली थी। एसके मेंदीरत्ता पांच दशक तक चुनाव आयोग के कानूनी सलाहकार के तौर पर काम कर चुके हैं।
आयोग पर लगा था आरोप
आयोग के कानूनी सलाहकार ने कहा कि ये दोनों ही फैसले मुख्य चुनाव आयुक्त एके जोटी ने लिए थे, जिसकी वजह से उन्हें काफी आलोचना का शिकार होना पड़ा था। आप के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने यह फैसला दिया कि यह प्राकृतिक न्याय के खिलाफ है, जबकि गुजरात चुनाव की तारीखों के मुद्दे पर विपक्ष ने कहा था कि चुनाव आयोग भारतीय जनता पार्टी का साथ दे रहा है और वह जानबूझकर भाजपा सरकार को अधिक समय दे रहा है, ताकि वह अधिक चुनाव प्रचार कर सके।
आयोग की छवि को पहुंचा नुकसान
मेंदीरत्ता ने पिछले महीने ही चुनाव आयोग के कानूनी सलाहकार के पद से इस्तीफा दिया है। उन्होने कहा कि मैं आयोग के साथ कॉट्रैक्ट पर काम कर रहा था, मैंने आयोग को हमेशा अपनी राय दी है जब भी उसने मुझसे किसी भी मामले पर राय मांगी है। आप के विधायकों की सदस्यता रद्द करने के मामले में आयोग ने मेरे सुझाव की जरूरत नहीं समझी, इसलिए मैंने इस मसले पर अपनी राय आयोग को नहीं दी। उन्होंने कहा कि मैं इस बात से दुखी था कि आयोग ने इन दोनों ही मुद्दों पर मेरी राय नहीं मांगी, जिसकी वजह से आयोग की छवि को नुकसान पहुंचा।
आयोग की छवि काफी अहम
चुनाव आयोग के बारे में मेंदीरत्ता ने कहा लोगों के बीच चुनाव आयोग की छवि काफी अहम है, हमे इस बात को देखना होगा कि आयोग की साख लोगों की बीच नहीं गिरे। जिस तरह से कुछ लोग मेरे पास आए और इस मुद्दे पर चर्चा की उसके बाद मुझे पता था कि इन दोनों ही मुद्दे पर चुनाव आयोग की किरकिरी होगी। कोर्ट ने आप विधायकों की सदस्यता को रद्द करने के आयोग के फैसले को रद्द कर दिया था। आपको बता दें कि मेंदीरत्ता का चुनाव आयोग के साथ 31 मार्च को करार खत्म हो गया है।