जस्टिस सीकरी को फोन कर जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने लिखी फेसबुक पोस्ट, बताया आलोक वर्मा को क्यों हटाया
नई दिल्ली। सीबीआई के डायरेक्टर आलोक वर्मा को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले पैनल ने गुरुवार को पद से हटा दिया। इसे लेकर कुछ लोग सरकार की आलोचना कर रहे हैं तो कुछ इसे एक सही कदम बता रहे हैं। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने इस पूरे घटनाक्रम को लेकर फेसबुक पर एक पोस्ट लिखी है। जिसमें उन्होंने विस्तार से बताया है कि जस्टिस सीकरी ने आलोक वर्मा को सीबाआई के डायरेक्टर के पद से हटाने के फैसले पर क्यों सहमत हुए। काटजू ने फेसबुक पर दो पोस्ट लिखी हैं। पहली पोस्ट में उन्होंने सिलेक्शन कमेटी के सदस्य रहे जस्टिस सीकरी के बारे में लिखा है। दूसरी पोस्ट में उन्होंने फैसले के बाद जस्टिस सीकरी से फोन पर हुई बातचीत का जिक्र किया।
बताई ये वजह
उन्होंने दूसरी पोस्ट में लिखा कि, कल मैंने जस्टिस सीकरी को लेकर एक पोस्ट लिखी थी। वो उन तीन लोगों की सलेक्शन कमेटी में थे, जिन्होंने आलोक वर्मा को सीबीआई पद से हटाने का फैसला किया। कई लोगों ने मेरी उस पोस्ट पर कमेंट कर पूछा कि फैसला लेने से पहले आलोक वर्मा को अपना पक्ष रखने का मौका क्यों नहीं दिया गया। इसलिए मैंने आज सुबह जस्टिस सीकरी को फोन किया और यही सवाल पूछा। इसके अलावा इस पोस्ट को लिखने की परमिशन भी मांगी। काटजू इस पोस्ट में लिखते हैं -
1- सीवीसी को वर्मा के खिलाफ गंभीर आरोपों की जांच में पहली बार देखने में कुछ साक्ष्य और निष्कर्ष मिले थे।
2- सीवीसी ने वर्मा को अपने प्रथम दृष्टया निष्कर्षों को दर्ज करने से पहले सुनवाई का मौका दिया था।
3- इन साक्ष्यों और उन पर आधारित निष्कर्षों के बाद जस्टिस सीकरी का मत था कि जब तक अलोक वर्मा पर लगे आरोपों की जांच पूरी नहीं हो जाती है तब तक उन्हें सीबीआई के डायरेक्टर के पद से हटा दिया जाए। या फिर उनका तबादला उनकी रैंक के समान की ही किसी दूसरी रैंक पर कर दिया जाए।
वर्मा को बर्खास्त नहीं किया गया है
4- वर्मा को बर्खास्त नहीं किया गया है जैसा कई लोगों को लग रहा है। उनको निलंबित भी नहीं किया गया है। बस समान तनख्वाह और सुविधाओं वाले पद पर तबादला किया गया है।
5- जहां तक वर्मा को सुनवाई का मौका न दिए जाने का सवाल है। ये एक स्थापित सिद्धांत है कि किसी आरोपी को सुनवाई का मौका दिए बिना निलंबित किया जा सकता है, और निलंबित होने के बाद भी जांच होते रहना बहुत सामान्य सी बात है। बिना सुनवाई का मौका दिए गए बर्खास्तगी नहीं की जा सकती।
6- वर्मा को ना निलंबित किया गया है और ना बर्खास्त किया गया है। सिर्फ उनका समान रैंक वाली पोस्ट पर ट्रांसफर किया गया है।
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पहली पोस्ट लिखी थीं ये बातें
आलोक वर्मा को पद से हटाए जाने के बाद जस्टिस काटजू ने एक और पोस्ट लिखी थी। उन्होंने लिखा कि, आलोक वर्मा को सीबीआई डायरेक्टर पद से हटा दिया गया है, जिसका फैसला पीएम मोदी की अध्ययक्षता वाली तीन सदस्यीय कमेटी ने किया। पीएम मोदी और जस्टिस सीकरी ने उन्हें हटाने का फैसला लिया, जबकि कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने उनके फैसले का विरोध किया। इस फैसले के बाद मेरे पास कई फोन आएं, और लोगों ने पूछा कि मेरा इसपर क्या कहना है। मैं जस्टिस सीकरी को बहुत अच्छे से जानता हूं क्योंकि मैं दिल्ली हाइकोर्ट में उनका चीफ जस्टिस था। मैं उनकी ईमानदारी की तारीफ सकता हूं। उन्होंने बिना किसी सबूत के अलोक वर्मा के खिलाफ फैसला नहीं लिया होगा। मुझे नहीं पता कि वो क्या सबूत हैं, पर मैं जस्टिस सीकरी को जानता हूं और अपनी जानकारी से कह सकता हूं कि वो किसी से प्रभावित नहीं हो सकते हैं। उनके ऊपर किसी भी तरह के आरोप लगाना गलत है।
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