रिटायर्ड एयरफोर्स चीफ बोले, अगर भारत के पास होते राफेल तो तबाह हो गए होते पाक जेट्स
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नई दिल्ली। इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) के पूर्व चीफ की मानें तो अगर आईएएफ के पास आज राफेल होते तो शायद 27 फरवरी को नजारा कुछ और होता। उन्होंने कहा है कि राफेल उस समय पाकिस्तान एयरफोर्स के आधे फाइटर जेट्स को तबाह कर चुका होता। पूर्व एयरफोर्स चीफ ने यह बात एक मीडिया हाउस की राष्ट्रीय सुरक्षा पर आयोजित सम्मेलन के दौरान कही है। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि भारत को किस तरह से पाक पर दबाव बनाना चाहिए और साथ ही आतंकवाद से निबटने की रणनीति कैसी होनी चाहिए।
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27 फरवरी को क्या हुआ था
एयर मार्शल (रिटायर्ड) एवाई टिपनिस ने मंगलवार को आईएएफ के लिए और ज्यादा फाइटर स्क्वाड्रन की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा, '24 पाकिस्तानी जेट श्रीनगर और अवंतिपोरा में एयरबेस पर हमले के मकसद से दाखिल हुए थे। अगर उस समय आईएएफ के पास राफेल जेट होते तो पाकिस्तान के आधे फाइटर जेट्स तबाह हो गए होते।' एवाई टिपनिस ने यह बात 27 फरवरी को हुई घटना के संदर्भ में कही। 26 फरवरी को बालाकोट में हुए हवाई हमले के बाद पाकिस्तान एयरफोर्स के जेट जम्मू कश्मीर के राजौरी के तहत आने वाले सुंदरबनी तक आ गए थे। पाक के एफ-16 समेत 24 जेट भारत में दाखिल हुए और उन्होंने भारत की वायुसीमा का उल्लंघन किया था।
कैसी हो आतंकवाद से निबटने की रणनीति
पूर्व एयरफोर्स चीफ ने आतंकवाद से निबटने के लिए विस्तृत रणनीति के बारे में भी बात की। एयर मार्शल टिपनिस ने कहा, 'भारत को चुप नहीं बैठना चाहिए। यह रणनीति सरकार बदलने के साथ बदलनी नहीं चाहिए। बल्कि एक दिशा की तरफ आगे बढ़नी चाहिए।'
पाक के साथ हर संबंध हो खत्म
इसके साथ ही उन्होंने पाकिस्तान पर दबाव डालने के लिए भारत को इसके साथ हर तरह के सांस्कृतिक और खेलकूद संबंध को भी खत्म करने पर जोर दिया। इस कार्यक्रम में पूर्व सेना प्रमुख जनरल (रिटायर्ड) बिक्रम सिंह भी मौजूद थे। पूर्व एयरफोर्स चीफ ने यहां पर कहा कि पाकिस्तान में आतंकवादी खुद को हर कानून से ऊपर समझते हैं। पाक में यह एक तरह से रोजगार का जरिया है।
कौन हैं एयर मार्शल टिपनिस
एयर मार्शल टिपनिस का पूरा नाम अनिल यशवंत टिपनिस है। 31 दिसंबर 1998 से 31 दिसंबर 2001 तक वह आईएएफ चीफ रहे। कारगिल की जंग के दौरान एयरफोर्स को बेहतरी से कमांड करने के लिए आज भी उनकी तारीफ की जाती है। कारगिल के संघर्ष के दौरान आईएएफ के जेट्स ने 18,000 फीट पर सफलतापूर्वक ऑपरेशन सफेद सागर को अंजाम दिया। इसके अलावा सेना को भी हर पल मदद पहुंचाई।