कश्मीर के मसले पर नौकरी छोड़ने वाले पूर्व IAS ने अपने खिलाफ चार्जशीट पर साधा केंद्र पर निशाना
नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद वहां के लोगों के मौलिक अधिकार के हनन का हवाला देते हुए 33 साल के आईएएस अधिकारी कन्नान गोपीनाथन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था, इसके बाद वे कई दिनों तक सुर्खियों में रहे थे। वहीं, इस मामले के दो महीने बाद कन्नन गोपीनाथन ने दावा किया है कि उनके खिलाफ चार्जशीट तैयार की गई है। पूर्व आईएएस अफसर ने अपने खिलाफ लगे आरोपों के बारे में बताते हुए कई ट्वीट किया और इस दौरान जमकर केंद्र पर निशाना साधा।
चार्जशीट को लेकर गोपीनाथन ने गृह मंत्रालय पर निशाना साधा
केरल के रहने वाले कन्नान गोपीनाथन इस्तीफा देने से पहले केंद्रशासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली में तैनात थे, वे 2012 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। चार्जशीट को लेकर कन्नन गोपीनाथन ने गृह मंत्रालय पर जमकर निशाना साधा। गोपीनाथन ने ट्वीट किया, 'तो उन्होंने मुझे चार्जशीट ईमेल किया। मुझे पता है कि यह कठिन रहा होगा क्योंकि आपकी नाक के नीचे वकीलों और पुलिस के बीच जो कुछ हो रहा है, उसे सुलझाने में आप असमर्थ हैं। इसलिए देशहित में मुश्किल वक्त में आपको बिना परेशान किए, मैं इसे स्वीकार कर रहा हूं।'
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कन्नन गोपीनाथन ने शाह पर कसा तंज
कन्नन गोपीनाथन ने इस ट्वीट में गृह मंत्रालय को मेंशन किया है। एक अन्य ट्वीट में पूर्व आईएएस अधिकारी ने लिखा, 'विभागीय जांच का मेमो इस्तीफा देने के दो महीने बाद भेजा जा रहा है।' दूसरे ट्वीट में गोपीनाथन ने गृहमंत्री अमित शाह पर भी निशाना साधा है।
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कश्मीर में लोगों के मौलिक अधिकारों को बहाल करें- गोपीनाथन
गोपीनाथन ने कहा कि मुझे कोई भी राजनीतिक प्रभाव ना लाने की चेतावनी दी जा रही है। तो अमित शाह के अलावा गृह मंत्रालय को राजनीतिक रूप से प्रभावित करने में कौन सक्षम है। काश, मैं केवल अमित शाह को प्रभावित कर पाता।' गोपीनाथन ने ट्वीट में कहा कि प्लीज, कश्मीर में लोगों के मौलिक अधिकारों को बहाल करें।
कश्मीर के मसले पर दिया था इस्तीफा
बता दें कि जम्मू-कश्मीर के मसले पर इस्तीफा देने के बाद गोपीनाथन ने कहा था कि मेरे अकेले के इस्तीफा देने से कुछ फायदा नहीं है, लेकिन मैं अपने अपने फैसले से खुद की अंतरआत्मा को जवाब दे सकता हूं। गोपीनाथन ने कहा था कि जम्मू कश्मीर में लाखों लोगों का मौलिक अधिकार पिछले 20 दिनों में छीन लिया गया है। यह भारत में 2019 में हो रहा है। आर्टिकल 370 का खत्म किया जाना कोई बड़ा मुद्दा नहीं है, लेकिन लोगों के अधिकार को छीन लेना गलत है, यही मुख्य मुद्दा है।